बैंकों में आरबीआई के नियमों के उल्लंघन की घटनाएं तेजी से बढ़ीं
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने 7 जुलाई को नियामकीय नियमों को ताख पर रखकर दागदार एनबीएफसी ग्रुप आईएल ऐंड एफएस को कर्ज मुहैया कराने में संलिप्त जिन चौदह बैंकों पर 14.50 करोड़ रुपए का जुर्माना ठोका है, उनमें देश का अग्रणी भारतीय स्टेट बैंक सहित आधा दर्जन सरकारी क्षेत्र के बैंक शामिल हैं।
आरबीआई इसके पहले पिछले माह 8 जून को बैंक आॅफ इंडिया पर 4 करोड़ रु का जुर्माना ठोक चुका है। भारतीय बैंक नियम तोड़ने के लती और एवज में करोड़-दो करोड़ का जुर्माना भरने के आदी हो गए हैं। नियम तोड़ने वाले बैंकों के बैंकिंग लाइसेंस रद्द करने से कमतर दंड बढ़ती समस्या को काबू नहीं कर पाएगा। दरअसल आरबीआई ने एक समय देश के सबसे बड़े एनबीएफसी इंफ्रास्ट्रक्चर लीज़िंग ऐंड फाइनेंशियल (आईएल ऐंड एफएस) ग्रुप के ढहने के बाद एनबीएफसी को ऋण देने संबंधी नियमों- प्रावधानों को सख्त करते हुए नए दिशा निर्देश बैंकों को जारी किए थे।
इन दिशा निर्देशों और नियमों को दरकिनार करते हुए बैंकों ने एनबीएफसी को ऋण मुहैया कराए। आरबीआई ने इस पर बैंकों को नोटिस जारी किया था। बैंकों से संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर दंडात्मक कार्रवाई के तहत 7 जुलाई को जुर्माना ठोक दिया। जसकी जानकारी देर शाम मीडिया तक पहुंची।
आरबीआई ने बैंकिंग उद्योग के अग्रणी भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) पर सबसे कम 50 लाख रु का जुर्माना लगाया। पर सबसे अधिक 2 करोड़ रु बैंक आॅफ बड़ौदा पर ठोका है।अन्य 12 दोषी बैंकों पर 1-1 करोड़ रु का जुर्माना लगाया गया है। इनमें सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब ऐंड सिंध बैंक,इंडियन बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, जम्मू ऐंड कश्मीर बैंक, साउथ इंडियन बैंक, कर्नाटक बैंक, करूर वैश्य बैंक, बंधन बैंक, उत्कर्ष स्माल फाइनेंस बैंक, इंडस इंड बैंक और विदेशी बैंक क्रेडिट सुईस एजी शामिल है।
यही नहीं दोषी बैंकों में से 50 प्रतिशत से अधिक बैंकों ने 7 जुलाई को लगाए गए जुर्माना की सूचना स्टॉकएक्सचेंजों को अगले दिन 8 जुलाई को प्रेषित की। भारतीय स्टेट बैंक ने तो दोपहर 1 बजे, बैंक आॅफ बड़ौदा ने दोपहर 1.36 बजे, इंडियन बैंक ने 12 बजे के बाद जानकारी दी, तब तक आधे से अधिक ट्रेडिंग समय गुजर चुका था। जम्मू ऐंड कश्मीर बैंक ने तो ट्रेडिंग समाप्त होने के बाद शाम 5 बजे और सेंट्रल बैंक आॅफ इंडिया ने शाम 4 बजे सूचना दी।
हालांकि अन्य बैंकों ने पेनाल्टी की सूचना 7 जुलाई को ही स्टॉक एक्सचेंजों को प्रेषित कर दी थी। ज़िक्र करना जरूरी है कि आईएल ऐंड एफएस ग्रुप ने अपनी डूबत ऋण राशियों की जानकारी चार सालों तक आरबीआई से छिपाए रखी थी। साल 2014-15, 2015-16, 2016-17 और 2017-18 की बैलेंस शीटों में विंडो ड्रेसिंग करके बैड लोन को छिपाया गया था। भंडा फूटने पर देश के समूचे वित्तीय क्षेत्र में हाहाकार मच गया था।
सरकार ने ढह गए आईएल ऐंड एफएस ग्रुप को 2018 में अपने हाथ में ले लिया था। आरबीआई, सेबी सहित कई और एजेंसियों ने इस केस की जांच-पड़ताल की। बैंकों से लेकर क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों तक की संलिप्तता सामने आई थी। आरबीआई तभी से एनबीएफसी को ऋण देने संबंधी नियमों में सख्ती बरतते हुए बैंकों को दिशा निर्देश जारी किए थे।
देखने में आया है कि इधर साल दो साल से देशी बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक के दिशा निर्देशों, नियमों- प्रावधानों का उल्लंघन धड़ल्ले से कर रहे हैं। बैंकिंग उद्योग में ऐसी घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। उन्हें नियामक का ज़रा भी डर नहीं रह गया है। सरकारी हो या प्राइवेट अथवा सहकारी क्षेत्र के बैंकों को उल्लंघन के एवज में जुर्माना भरने में कोई शर्म- लिहाज नहीं है।
बेकाबू दिशा की ओर तेजी से बढ़ते भारतीय बैंकिंग उद्योग पर सख्ती नहीं की गई तो समस्या बहुत ही जटिल हो जाएगी। नियमों के उल्लंघन में बैंकों के अधिकारियों की व्यक्तिगत जवाबदेही तय करके उनसे जुर्माना निर्धारित करने के साथ-साथ दोषी बैंकों के बैंकिंग लाइसेंस निश्चित अवधि तक निलंबित करने का प्रावधान लागू किए बिना बिगड़े ढर्रे में सुधार की उम्मीद नहीं की सकती।
प्रणतेश नारायण बाजपेयी