कानपुर l सेहत पर मानसिक रोगों का गंभीर असर पड़ रहा है। जैसे रोग प्रतिरोधक तंत्र कमजोर होना, हाई बीपी से दिल के रोगों का खतरा व पेट के रोग एसिडिटी गैस आदि वृद्धावस्था का समय से पहले आना तथा असमय मौत का खतरा इत्यादि है। उपरोक्त बात सोसाइटी योग ज्योति इंडिया के तत्वाधान में राष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी नीतू शर्मा के सहयोग से विश्व मानसिक सेहत दिवस के परिप्रेक्ष्य में नशा हटाओ मानसिक सेहत मजबूत बनाओ कोरोना भगाओ पेड़ लगाओ अभियान के तहत संस्था कार्यालय में आयोजित मानसिक स्वास्थ्य चौपाल मे अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्त अभियान के प्रमुख योग गुरु ज्योति बाबा ने कही।
ज्योति बाबा ने कहा की लॉकडाउन पीरियड में 43 फ़ीसदी डिप्रेशन पीड़ितों में तनाव में वृद्धि देखी गई। देश भर में किए गए एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार नौकरी करने वाले 38% डिप्रेशन के शिकार तथा 13.7% भारतीय मानसिक बीमारियों से ग्रस्त हैं। वास्तव में डिप्रेशन से आशय उस मनोदशा से है जिसमें व्यक्ति लगातार कई दिनों या लंबी अवधि तक तनावग्रस्त उदास और बुरे विचारों से स्वयं को जकड़ा हुआ महसूस करता है और उसे आगे कुछ बेहतरी की उम्मीद दिखाई नहीं देती है।
ज्योति बाबा ने कहा की डिप्रेशन का पहला ट्रेंड है एंग्जाइटी या मानसिक रूप से बेचैनी महसूस करना दूसरा ट्रेंड है.. मन में आत्महत्या का विचार आना डिप्रेशन का तीसरा ट्रेंड है.. बेवजह शक के विचारों से ग्रस्त होना जैसे मरीज सोचता है.. लोग उसे मार डालेंगे संपत्ति छीन ली जाएगी मरीज के दिमाग में कई शक पैदा होने लगते हैं।
ज्योति बाबा ने बताया कि 90% लोग खुदकुशी करने के संदर्भ में परोक्ष रूप से अन्य किसी व्यक्ति के साथ कभी ना कभी आत्महत्या के बारे में बात करते हैं। उन्हें उम्मीद रहती है कि कोई उन्हें रोकने की सलाह देगा, राष्ट्रीय संरक्षक डॉ आर पी भसीन ने कहा कि बहुत ज्यादा तनाव मन में भय पैदा करता है जो सिंपैथेटिक नर्वस सिस्टम पर बुरा प्रभाव डालता है। इस कारण एड्रीनलिन और कोर्टिसोल नामक न्यूरोकेमिकल शरीर से रिलीज होते हैं। जिससे दिमाग पर बुरा असर पड़ने के चलते व्यक्ति चिड़चिड़ाने लगता है। अंत में ज्योति बाबा ने डिप्रेशन से बचने के लिए रोज योग, डांस और सुबह की सैर को अनिवार्य हिस्सा बनाने के साथ नकारात्मक विचारों से दूर रहने का संकल्प भी कराया।