उपराष्ट्रपति ने अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस को अनोखे तरीके से मनाया

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उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस को अनोखे तरीके से मनाया। इस दौरान उपराष्ट्रपति ने 22 भारतीय भाषाओं और अंग्रेजी में ट्वीट्स किए और देश के 24 स्थानीय अखबारों में मातृ भाषाओं को प्रोत्साहन की अहमियत पर लेख भी लिखे।

 

वैंकेया नायडू, जो मातृ भाषाओं को प्रोत्साहन देने के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने अपनी ट्वीट्स में कहा कि भाषागत विविधता हमारी संस्कृति की नींव का महत्वपूर्ण स्तंभ रही है। उन्होंने कहा, ये भाषाएं न सिर्फ संचार का माध्यम हैं बल्कि ये हमें हमारी विरासत से हमें जोड़ती हैं और हमारी सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान को भी परिभाषित करती हैं।

प्राथमिक शिक्षा से लेकर शासन व्यवस्था, हर क्षेत्र में मातृ भाषाओं के इस्तेमाल को बढ़ावा दिए जाने पर जोर देते हुए श्री नायडू ने ट्वीट में कहा, हमें अपनी मातृ भाषाओं में बातों और विचारों के रचनात्मक प्रकटीकरण को प्रोत्साहित करना चाहिए। श्री नायडू ने तेलुगू, तमिल, हिंदी, गुजराती, कश्मीरी, कोंकणी, मराठी, उड़िया, उर्दू, मलयालम, कन्नड़, पंजाबी, नेपाली, असमी, बंगाली, मणिपुरी, बोडो, संथली, मैथिली, डोगरी और संस्कृत भाषाओं में ट्वीट्स किए।

उपराष्ट्रपति की कलम से लिखे गए लेख द टाइम्स ऑफ इंडिया (अंग्रेजी) और 24 अन्य भारतीय स्थानीय भाषायी अखबारों में छपे हैं। इनमें दैनिक जागरण (हिंदी), इनाडू (तेलुगू), दिना थांथी (तमिल), लोकमत (मराठी), समाज (ओड़िया), सियासत (उर्दू), आदाब तेलंगाना (उर्दू), असोमिया प्रतिदिन (असमी), नवभारत टाइम्स (मैथिली), मातृभूमि (मलयालम), दिव्य भास्कर (गुजराती), वर्तमान (बंगाली), भांगर भुइं (कोंकणी), हायेननि रादाब (बोडो), संथाल एक्सप्रेस (संथाली), हिमाली बेला (नेपाली), हमरो वार्ता (नेपाली), दैनिक मिरमिरे (नेपाली), हमरो प्रजा शक्ति (नेपाली), हिंदू (सिंधी), जोति डोगरी (डोगरी), डेली काहवत (कश्मीरी), डेली संगारमल (कश्मीरी), सुधर्म (संस्कृत) अखबार शामिल हैं।

श्री नायडू ने शिक्षा मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक वेबिनार में हिस्सा लेकर भी अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस मनाया। इस अवसर पर हैदराबाद के स्वर्ण भारत ट्रस्ट द्वारा आयोजित एक अन्य कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति बतौर मुख्यातिथी शामिल हुए। इससे पहले 16 फरवरी 2021 को उपराष्ट्रपति ने संसद के दोनों सदनों के 771 सांसदों को मातृ भाषाओं के प्रोत्साहन को बढ़ावा देने हेतू लिखा था।