कानपुर की वंदना का ‘जायकेदार’ बन गया मसाला ब्रांड

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आज एक ऐसी महिला सख्शियत से परिचय कराते हैं, जिन्होंने अथक परिश्रम और लगन के साथ ऐसे गुणी उत्पाद को बाजार में स्थापित करने में सफलता प्राप्त की। जिसका स्वाद जिस किसी ने भी चखा वो इसका मुरीद होकर परमानेंट ग्राहक बन गया। इन्होंने अपनी मां से मिले फार्मूले पर ही काबिलियत के सहारे कामयाबी की ऐसी इबारत लिख डाली, जो इनकी खुद की पहचान तो बनी ही साथ में कइयों के लिए प्रेरणास्रोत भी बन गई।

इनके बनाए ब्रांडेड जलजीरा और बुकनू उपभोक्ताओं में सबसे अधिक लोकप्रिय हैं। हां, यह जरूर है कि डेढ़ दर्जन मसालों के अनूठे सम्मिश्रण से तैयार प्योर देसी उत्पाद जितना जायकेदार उतना ही सेहत के लिए फायदेमंद भी। इतना सब करने में कानपुर की श्रीमती वंदना मिश्रा की अटूट मेहनत और काम के प्रति पूर्ण समर्पित तेरह सालों ने इन्हें अनुकरणीय उद्यमी का मानो प्रमाण पत्र प्रदान कर दिया जो किसी संस्था या सरकारी एजेंसी के सर्टीफिकेट से कहीं अधिक मान्यतादायक है।

श्रीमती वंदना का उद्यम कई महिलाओं और पुरुषों की गृहस्थी का आधार बनकर उभरा है। इनका ब्रांड ‘जायकेदार’ लोकप्रियता की सीढ़ियां चढ़ता जा रहा है। एकल उत्पाद से शुरू किए गए ब्रांड में एक-एक करके कई उत्पाद शामिल होते गए और अब ‘जायकेदार’ अकेला नहीं बहुउत्पाद ब्रांड की श्रेणी में आ गया है।

उपभोक्ताओं के बीच उत्पादों की निरंतर बढ़ती खपत से रिटेलर्स से मिलने वाले आर्डर से उत्साहित ये महिला उद्यमी उत्पादन क्षमता का विस्तार करने की कोशिश में लगी हुई हैं। उन्होंने अब तक के व्यावसायिक सफर और अपनी योजना के बारे में जनपथ टाइम्स के साथ साझा किया। वह उद्यम की शुरुआत के बारे में बताती हैं -‘ब्याह होने के बाद की बात है, एक बार मां ने अपने हाथों से तैयार बुकनू हमारे पास भेजी, यह स्वाद में हल्की सी चटपटी सोंधी खुशबूदार होने से बहुत पसंद आई।

तभी यह विचार कौंधा कि क्यों न बुकनू का काम डाला जाय। हां, पढ़ाई के समय से अपना खुद का कोई बिज़नेस करने की तरंग उठती रहती थी। यह भी एक संयोग कि मां की बुकनू ही पहला उत्पाद बनी। शुरुआती पूंजी उपलब्ध कराने का पूरा श्रेय जीवनसाथी को है। वे शुरू से आज तक सहर्ष सहयोग करते आए हैं, इससे बहुत बल मिलता है, टाॅनिक का काम करता है’। ‘थोड़ी पूंजी से नन्हें व्यवसाय को शुरू करने और चलाने में हर स्तर पर चुनौतियों का सामना करना पड़ा। कच्चे माल की खरीद हो या उत्पादन या फिर पैकेजिंग हो, मूल्य निर्धारण अथवा तैयार माल की बिक्री हो या बिक्री का भुगतान हासिल करने तक के लिए एक-एक रिटेलर के पास जाकर उत्पाद को दुकान में रखने के लिए उसे राजी करने में धैर्य ही साथ देता है’।

किसी भी नए नवेले उत्पादको उपभोक्ता तक पहुंचाने में नव उद्यमी को जितने पापड़ बेलने पड़ते हैं वे सारे पापड़ इन्होंने भी बेले। लेकिन जुनून के सामने समस्याएं भी घुटने टेक देती हैं, इसे भी श्रीमती वंदना ने साबित कर दिखाया। जैसा कि उन्होंने साझा किया ‘शुरू में पैकेजिंग की जानकारी नहीं थी, बाजार में मौजूद प्रतिष्ठित ब्रांडों की पैकेजिंग को देखकर उनकी बारीकियों को समझकर, वर्कशॉप, सेमिनारों, आईआईए और अन्य उद्योग संगठनों के कार्यक्रमों में शामिल होकर जानकारी हासिल करती रहती थी।

बाद में उसे अपनी जरूरत के अनुसार इस्तेमाल कर लेती थी। अच्छी, आकर्षक और इन्नोवेटिव पैकेजिंग के साथ- साथ क्वालिटी पर फोकस करने का फायदा यह हुआ कि ‘जायकेदार’ बुकनू ब्रांड बन गई’। बुकनू की बाजार में बनी गुडविल से हौसला और बढ़ा, उत्पाद भी बढ़ते गए और ‘जयकेदार’ ब्रांड के काफिला का विस्तार होता गया।

कानपुर की श्रीमती वंदना ‘जायकेदार’ मसालों की पूरी श्रृंखला का उत्पादन कर रही हैं। अपनी मेहनत के बल पर कानपुर और आसपास के कई जिलों तक अपना मार्केटिंग नेटवर्क फैला लिया है। एक महिला के लिए नेटवर्क खड़ा करना कठिन नहीं बहुत ही कठिन होता है। पूछने पर बताया ‘जायकेदार’ के सकल कारोबार में 70-75 फीसद हिस्सा बुकनू और जलजीरा का होता है।

वर्ष 2008 से व्यवसाय की विधिवत शुरूआत करने वाली श्रीमती वंदना अपने उत्पादों की गुणवत्ता को लेकर बहुत सख्त हैं। दूसरे प्रदेशों की थोक मंडियों से कच्चा माल यानी खड़े मसालों की खरीद करती हैं। अधिक से अधिक रोजगार अवसरों का सृजन करना और महिलाओं को अपने साथ जोड़ना इनकी प्राथमिकता होती है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ का मंत्र अपनाते हुए इन दिनों क्षमता विस्तार के इरादे सेअपने उद्यम यूवीएस महिला गृह उद्योग की नई इकाई की स्थापना के लिए उपयुक्त स्थान की तलाश कर रही हैं। अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों और व्यावसायिक व्यस्तताओं से समय निकालकर सामाजिक स्तर पर सक्रिय रहने वाली श्रीमती वंदना इंडियन इंडस्ट्रीज़ एसोसिएशन की कार्यकारिणी में योगदान के साथ ही साथ ही महिला प्रकोष्ठ की प्रेसिडेंट की भूमिका का निर्वाह भी कर रही हैं।

कानपुर से तत्कालीन सांसद मुरली मनोहर जोशी ने वर्ष २०१४ में श्रीमती वंदना को महिला उद्यमी सम्मान से विभूषित किया। वह सबसे पहले भारती महिला उद्यमी परिषद से जुड़ीं थीं। एमएसएमई मंत्रालय और जिला उद्योग केंद्र के तत्वावधान में आयोजित उद्योग समागम में सम्मानित की गईं। २०२० से इंडियन इंडस्ट्रीज़ एसोसिएशन की महिला प्रकोष्ठ की प्रमुख के रूप में महिला उद्यमियों को आगे बढ़ने में सहयोग-दिग्दर्शन करते हुए सामाजिक जिम्मेदारी निभाती चल रही हैं।

प्रणतेश नारायण बाजपेयी