ऐसे कहें डायबिटीज को हमेशा के लिए अलविदा

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मधुमेह के रोगियों की संख्या भारत जैसे विकासशील देश में तेजी से बढ़ रही है। मुख्यतः हमारी जीवन शैली की गड़बड़ियां इस दुखदाई बीमारी का कारण बनती है। मधुमेह पर बहुत सारगर्भित और ज्ञानवर्धक जानकारी डॉक्टर रजनी पोरवाल कंसलटेंट श्रीनाथ चिकित्सालय भगवत दास घाट सिविल लाइंस कानपुर ने दी है।

मधुमेह क्या है ? : हमारे शरीर के अंदर भोजन को पचाने के लिए पेनक्रियाज नामक ग्रंथि बहुत महत्वपूर्ण है। पैंक्रियाज पाचक रसों के साथ-साथ इसकी बीटा सेल्स से इंसुलिन नामक हार्मोन बनता है। यह हार्मोन कोशिकाओं में ग्लूकोस की ऑक्सीडेशन में मदद करता है। जिससे शरीर को ऊर्जा प्राप्त हो जब विभिन्न कारणों से पेनक्रियाज की बीटा सेल्स इंसुलिन का समुचित मात्रा में उत्पादन नहीं कर पाती तो इंसुलिन की कमी के कारण शरीर की कोशिकाओं द्वारा ग्लूकोज ऊर्जा में नहीं बदल पाता और रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है। जिसे डायबिटीज या मधुमेह कहते हैं।

क्या है टाइप वन और टाइप टू डायबिटीज : जन्मजात या बाल्यावस्था में ऑटोइम्यून गड़बड़ी से पैंक्रियाज की बीटा सेल्स से इंसुलिन निर्माण बंद होना टाइप वन डायबिटीज, ढलती उम्र में किसी कारण से इंसुलिन का बनना कम होना मधुमेह टाइप टू डायबिटीज कहलाती है। वंशानुगत कारण, मोटापा, आलसी व विलासिता पूर्ण जीवन, अत्यधिक मानसिक तनाव, भोजन अत्यधिक तेल मसालेदार, अत्यधिक अंग्रेजी दवाइयां का सेवन और विभिन्न प्रकार के नशा तथा ज्यादा सुख सुविधाएं और विलासिता पूर्ण अप्राकृतिक जीवन शैली टाइप टू डायबिटीज की जनक है।

शरीर के संकेतों को गंभीरता से लें : अचानक थकान, कमजोरी लगना, भूख कम होना, बजन का गिरना, प्यास का बढ़ जाना और बार-बार पेशाब आना मधुमेह का प्रारंभिक संकेत है। जनन तंत्र की शक्ति मे शिथिलता, फोड़े फुंसी घाव का जल्दी न भरना, जनन अंगों के आसपास की खुजली आंखों का धुंधलापन हाथ पैरों में झनझनाहट, काम ना करने पर भी थकान ,और गुस्सा बढ़ जाना भी मधुमेह की ओर इशारा करते हैं।

जांच को समझें प्रीडायबिटिक घबराए नहीं : डायबिटीज की पहचान के लिए रक्त का परीक्षा किया जाता है। खाली पेट 100 से कम और खाना खाने के 2 घंटे बाद 140 से कम ग्लूकोज सामान्य है।किंतु खाली पेट 110 से 125 के बीच रक्त शर्करा के स्तर को इंपेयर्ड फास्टिंग ग्लूकोज यानी आई एफ जी एवं ग्लूकोज पिलाने या खाना खाने के 2 घंटे बाद 140 से अधिक किन्तु 199 से कम रक्त शर्करा होने को इंपेयर्ड ग्लूकोस टॉलरेंस यानी आईजीटी कहते हैं। यह चेतावनी वाली अवस्था होती है। इस अवस्था में श्वेतचीनी त्याग कर प्राकृतिक जीवन शैली अपनाकर मधुमेह के मकड़जाल से बचा जा सकता है।

जीवन में उतारें जरूर आजमाएं : मॉर्निंग वॉक, पसीना बहाने वाला शारीरिक श्रम, प्रतिदिन 30 मिनट योगासन और प्राणायाम तथा 10 मिनट हार्टफूलनेस मेडिटेशन के साथ भरपूर मात्रा में फाइबर और फाइटोन्यूट्रिएंट्स युक्त संतुलित आहार का सेवन मधुमेह के मकड़जाल से मुक्त दिलाने का सटीक उपाय है। असली वसंत कुसुमाकर रस, कनक सिद्ध मकरध्वज रसायन, सुद्ध शिलाजीत, सुवर्ण मधुमेह नाशिनी रस, जैसे बहुमूल्य आयुर्वेदिक शास्त्रोक्त योग डायबिटीज़ की जटिलताओं से बचाने का चमत्कारी लाभकारी उपाय है।

भ्रांतियों को भी दूर करें : फीकी चाय किंतु चाय के साथ दालमोठ, बिस्किट, नमकीन का सेवन, नास्ते में पूड़ी-पराठे, फास्ट फूड जंक फूड, भोजन में प्याज, लहसुन, टमाटर से फ्राइड दाल और सब्जियां व अचार पापड़ का सेवन उचित नहीं है। फलों आदि के प्राकृतिक कार्बोहाइड्रेट फ्रैक्टोज का किसी भी रूप में पूर्णता निषेध अच्छी सेहत के लिए खराब माना जाता है। श्वेत चीनी, क्रितम मिठास वाली शुगर फ्री मिठाइयां और स्वीटनर गोलियों का सेवन मधुमेह के रोगी की सेहत के लिए अच्छा नहीं है।

जंक फूड फास्ट फूड, डिब्बाबंद भोजन, कोल्ड ड्रिंक अत्यधिक मात्रा में चाय कॉफी का सेवन मांसाहारी भोजन का अत्यधिक सेवन, शराब, सिगरेट, तंबाकू, पान मसाला का प्रयोग घातक है। नींद पूरी ना होना मानसिक तनाव भी डायबिटीज के रोगी की बीमारी बढ़ाते हैं।