यूपी में पकने लगी उपचुनाव की खिचड़ी

* अयोध्या व कन्नौज का रेप कांड और दलित आरक्षण में कोटे में कोटा होंगे प्रमुख चुनावी मुद्दे * यूपी भाजपा के पांच धुरंधरों ने संभाल ली है जिम्मेदारी, सबको दो-दो विधानसभाओं का मिला है जिम्मा * सपा में भी छह सीटों पर नाम लगभग तय, शिवपाल कटेहरी और अवधेश प्रसाद बने मिल्कीपुर के प्रभारी * बसपा भी सभी दस सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी, दो सीटों पर नाम तय, औपचारिक घोषणा बाकी * कांग्रेस के भी सभी दस सीटों के लिए प्रभारी तय , सपा से गठबंधन का अभी कोई ऐलान नहीं

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लखनऊ। संसद का मानसून सत्र समाप्त हो गया है। अब कभी भी उत्तर प्रदेश में दस विधानसभा सीटों के लिए उपचुनावों की घोषणा हो सकती है। चुनावी खिचड़ी पकनी शुरू हो गई है। वैसे भी इस समय अयोध्या और कन्नौज के रेप कांड का मामला गर्म है। सपा इस समय दबाव में भी है। ऐसे में उपचुनाव के लिए भाजपा को इससे मुफीद समय नहीं मिल सकता। इसके अलावा यूपी में भाजपा का पावर गेम भी फिलहाल थमा हुआ है। ऐसे में सभी दिग्गजों को अपनी क्षमता दिखाने का मौका भी मिल जाएगा। दूसरी तरफ सपा में भी इस चुनाव को लेकर मंथन चल रहा है। सपा ने जहां छह सीटों पर प्रत्याशी लगभग तय कर लिये हैं वहीं बसपा ने भी सभी दस सीटों पर प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर इस चुनाव को त्रिकोणीय बना दिया है। उधर कांग्रेस ने भी सभी दस सीटों के लिए प्रभारियों की घोषणा कर दी है। सपा से उसके सीट बंटवारे की अभी तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है।

लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आने के बाद प्रदेश भाजपा में उठी वर्चस्व की लड़ाई फिलहाल थम सी गई है। इसके अलावा अयोध्या और कन्नौज में सपा नेताओं द्वारा नाबालिग लड़कियों से किए गए रेप कांड ने भी भाजपा को बैठे-बिठाए एक चुनावी मुद्दा दे दिया है। ऐसे में भाजपा के पक्ष में माहौल भी बनता दिख रहा है। इसके मद्देनजर सीएम योगी ने अपनी चुनावी बिसात भी बिछानी शुरू कर दी है। उन्होंने स्वयं समेत डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, डिप्टी सीएम बृजेश पाठक, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मपाल को दो-दो विधानसभा क्षेत्रों का जिम्मा सौंप कर दौरे करने के निर्देश दे दिए हैं। इसके अलावा योगी ने पहले ही हर विधानसभा क्षेत्र के लिए तीन-तीन मंत्रियों की तैनाती कर रखी है। भाजपा इस उपचुनाव को पूरी गंभीरता से ले रही है। इसीलिए हाईकमान के निर्देश पर यूपी में पावर गेम फिलहाल थमा हुआ है। पार्टी अयोध्या के भदरसा में पार्टी नेता मोइद खां के सामूहिक रेप कांड और कन्नौज में सपा नेता नवाब सिंह यादव द्वारा नाबालिग लड़की से रेप के मामले को को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में है।

दूसरी ओर अपनी पार्टी के नेताओं मोइद खां और नवाब सिंह यादव द्वारा रेप जैसी घृणित करतूत ने सपा मुखिया अखिलेश यादव को थोड़ा असहज कर दिया है। वे फिलहाल बैकफुट पर दिख रहे हैं। वैसे उनकी चुनावी तैयारियां अंदरखाने चल रही हैं। खबर है कि पार्टी ने छह सीटों पर प्रत्याशी भी तय कर लिये हैं। सूत्रों का कहना है कि ज्यादातर सीटों पर जीत कर सांसद बन गए नेताओं के परिजनों को ही उनकी खाली हुई सीट पर उतारने की योजना है। बाकी चार सीटों पर फैसला कांग्रेस से बातचीत होने के बाद लिया जाएगा। अभी तक की सूचना के अनुसार सपा सात सीटों पर और कांग्रेस तीन सीटों पर लड़ सकते हैं। परंतु अभी आखिरी फैसला बाकी है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय का कहना है कि उपचुनाव हम मिलकर लड़ेंगे।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी सभी दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव लड़ने का फैसला लिया है। उन्होंने इस बाबत बैठकें तेज कर दी हैं। गत शनिवार को हुई समीक्षा बैठक में उन्होंने सभी दस सीटों पर प्रत्याशी उतारने की घोषणा की है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार दो सीटों पर तो प्रत्याशियों का चयन भी कर लिया गया है। बसपा के भी मैदान में आ जाने से मुकाबला और रोचक हो जाएगा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में दिए गए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में कोटे के अंदर कोटे की मंजूरी को मुद्दा बनाने का फैसला लिया है। उन्होंने वोटरों को समझाने के लिए कार्यकर्ताओं को गांव-गांव में चौपाल लगाने का निर्देश दिया है। उनका कहना है कि यह कोटा सिस्टम दलितों का आरक्षण खत्म करने का हथियार बन सकता है। हालांकि संसद के मानसून सत्र की समाप्ति के दिन अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सांसदों को मुलाकात के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने आश्वस्त किया है कि कोई रास्ता निकाल कर इसे लागू नहीं किया जाएगा।

उपचुनाव की आहट सुनकर सीएम योगी ने कमान संभाल ली है। उन्होंने सभी दस विधानसभा सीटों को स्वयं और पार्टी के चार धुरंधरों में दो-दो सीटों का बंटवारा कर दौरे तेज करने का निर्देश दिया है। पहले चरण में सीएम ने अयोध्या से अभियान शुरू किया है। वे अयोध्या में मिल्कीपुर और अम्बेडकरनगर की कटेहरी सीट का दौरा करने मंगलवार को निकले थे। भाजपा के लिए मिल्कीपुर विधानसभा सीट जीतना प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। मिल्कीपुर से अवधेश प्रसाद पासी विधायक थे।अब वे अयोध्या-फैजाबाद से सांसद चुन लिए गए हैं। इसीलिए भाजपा मिल्कीपुर का रण हर हाल में जीतना चाहती है ताकि फैजाबाद में लोकसभा की हार का बदला लिया जा सके। सूत्र बताते हैं कि योगी ने इसीलिए मिल्कीपुर और कटेहरी का जिम्मा खुद लिया है। योगी की बढ़ती सक्रियता को देखकर बीते बुधवार को फैजाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद पासी ने योगी आदित्यनाथ को चुनौती दी है कि मिल्कीपुर में चुनाव जीत कर दिखाएं। उनका कहना है कि यहां मुख्यमंत्री योगी की दाल नहीं गलने वाली है।

मुख्यमंत्री के अलावा प्रदेश भाजपा कोर कमेटी के चार अन्य सदस्यों को भी दो-दो सीट की जिम्मेदारी दी गई है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या फूलपुर और मझंवा सीट के दौरे करेंगे। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक सीसामऊ और करहल की जिम्मेदारी उठाएंगे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी मीरापुर और कुंदरकी विस क्षेत्र का दौरा करेंगे। प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल को खैर और ग़ाज़ियाबाद की जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा उपचुनाव के मद्देनजर यूपी में भाजपा संगठन को मजबूत करने की भी तैयारी है। खबर है कि पार्टी सदस्यता जल्द ही अभियान भी चलाएगी। सूत्रों के अनुसार जहां उपचुनाव होने हैं वहीं से अभियान की शुरुआत की जाएगी। बस हाईकमान की मंजूरी का इंतजार है।

भाजपा की सहयोगी पार्टियों की बात करें तो इस उपचुनाव में रालोद, अपना दल और निषाद पार्टी भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकते हैं। ये किस रूप में होता है, ये देखने वाली बात होगी। जबकि सुभासपा के अध्यक्ष ओपी राजभर ने उपचुनाव को लेकर ऐलान किया है कि हम मैदान में नहीं उतरेंगे, एनडीए का जो भी प्रत्याशी होगा उसका समर्थन करेंगे। उधर निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद का कहना है कि एनडीए मझवां और कटेहरी में निषाद पार्टी के सिंबल पर उपचुनाव लड़ेगी। इस बारे में अपना दल की अनुप्रिया पटेल का कोई औपचारिक बयान नहीं आया है। हालांकि सूत्रों ने बताया कि भाजपा मीरापुर सीट अपनी सहयोगी दल रालोद को दे सकती है पर अभी तक कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है।

सूत्रों का कहना है कि सपा ने भी प्रत्याशियों के नाम पर मंथन चालू कर दिया है। पार्टी ने मिल्कीपुर से अजीत प्रसाद को प्रत्याशी बनाने का फैसला लिया है। अजीत प्रसाद फैजाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे हैं। उधर लालजी वर्मा के सांसद बनने से खाली हुई कटेहरी विधानसभा सीट से उनकी बेटी छाया वर्मा को उतारा जा सकता है। इसी प्रकार अखिलेश यादव द्वारा खाली की गई करहल विधानसभा सीट से उनके भतीजे तेज प्रताप यादव को प्रत्याशी बनाया जा सकता है। कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट से इरफान सोलंकी के पारिवारिक व्यक्ति को उतारने की चर्चा है। यह सीट इरफान सोलंकी को विधायक पद से अयोग्य घोषित किए जाने से खाली हुई है। कुंदरकी विधानसभा सीट से पूर्व विधान परिषद सदस्य हाजी रिजवान के नाम की चर्चा है। मीरापुर से पार्टी पूर्व सांसद कादिर राणा को प्रत्याशी बना सकती है। बाकी 4 सीटों को लेकर सपा में अभी मंथन जारी है। खबर यह भी है कि सपा ने छह सीटों के लिए प्रभारी भी नियुक्त कर दिए हैं। शिवपाल यादव को कटेहरी और फैजाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद पासी को मिल्कीपुर का दायित्व दिया गया है।

उधर सूत्रों का कहना है कि यूपी कांग्रेस भी उपचुनाव की तैयारी में जोर-शोर से जुट गई है। पार्टी ने सभी 10 विधानसभा सीटों पर पर्यवेक्षक भी नियुक्त कर दिए हैं। ख़बरें हैं कि पार्टी दस में से पांच सीटों पर उपचुनाव लड़ना चाहती है। जानकारी के अनुसार पार्टी ने सीसामऊ में किशोरी लाल शर्मा, मीरापुर में सांसद इमरान मसूद, कुंदरकी में सांसद राकेश राठौर, गाजियाबाद में तनुज पुनिया, मझवां में वीरेंद्र चौधरी , फूलपुर में उज्ज्वल रमन सिंह, कटेहरी में नसीमुद्दीन सिद्दीकी, मिल्कीपुर में अखिलेश प्रताप सिंह , खैर में राजकुमार रावत, करहल में रामनाथ सिकरवार को पर्यवेक्षक बनाया है। अभी तक सपा और कांग्रेस के बीच सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है। इसलिए पार्टी सभी दस विधानसभा सीटों पर अपनी तैयारियां कर रही है। पिछले दिनों सूत्रों के हवाले से खबर आई थी कि सपा सात सीटों पर और कांग्रेस तीन सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी। किंतु इसकी कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। देखें उपचुनाव की घोषणा तक क्या पिक्चर बनती है। पर दोनों पार्टियों में सरगर्मी तेज हो गई है।

बसपा ने भी उपचुनाव के मद्देनजर अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने इसके लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में कोटे के अंदर कोटा की नई प्रणाली को सियासी धार देने का फैसला लिया है। पार्टी ने गांव-गांव में चौपाल लगाकर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वोटरों को जागरूक करने का फैसला लिया है। पार्टी सुप्रीमो मायावती को संदेह है कि इस फैसले से सरकार जब चाहेगी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का आरक्षण खत्म कर देगी। परंतु प्रधानमंत्री द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सांसदों को इस नियम को लागू नहीं होने का आश्वासन देने के बाद यह मुद्दा कमजोर हो सकता है। मायावती ने कार्यकर्ताओं को संदेश देते हुए कहा है कि ये उपचुनाव पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है। इसलिए इसे गंभीरता से लड़ना है।

आने वाले उपचुनाव भाजपा और सपा के लिए भी प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गए हैं। बेहतर प्रदर्शन कर भाजपा जहां अपनी खोई प्रतिष्ठा वापस पाना चाहती है वहीं सपा भी जीत की लय बरकरार रखना चाहेगी। बसपा भी कुछ सीटें हथियाकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रही है। ताकि प्रदेश में उसकी धाक बनी रहे। हालांकि इन दस सीटों में से एक पर भी उसका विधायक नहीं था। पर लोकसभा में एक भी सीट नहीं पाने वाली बसपा इस मौके को हाथ से नहीं जाने देना चाहती है। दूसरी तरफ भाजपा और सपा अपने वर्तमान सीटों में वृद्धि कर अपना प्रदर्शन बेहतर करना चाहेंगी। भाजपा की नज़र विशेष रूप से मिल्कीपुर और करहल विधानसभा सीट पर रहेगी। मिल्कीपुर में सपा को हराकर भाजपा यह संदेश देना चाहेगी कि हमने सांसद अवधेश प्रसाद पासी को उन्हीं के गढ़ में हराकर फैजाबाद में अपनी हार का बदला ले लिया।

हालांकि फैजाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद पासी ने योगी को चुनौती दी है कि वे मिल्कीपुर सीट जीतकर दिखाएं। उनका दावा है कि यहां सभी मेरे अपने हैं। यहां भाजपा को मुंह की खानी पड़ेगी। उनका तो यह दावा है कि 2027 के विधानसभा चुनाव में भाजपा साफ हो जाएगी और उसे अधिकतम 50-60 सीटें ही मिलेंगी। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा को इससे अधिक सीटें मिल गई तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा। करहल में सपा को हराकर भाजपा अखिलेश यादव को यह संदेश देना चाहेगी कि वे अपने गढ़ में भी अजेय नहीं हैं। इसके बाद भाजपा को अपने पक्ष में विजयी नैरेटिव गढ़ने में काफी आसानी रहेगी। वहीं सपा इन दोनों सीटों को किसी भी हाल में बरकरार रखना चाहेगी। कुल मिलाकर सपा और भाजपा ने अभी से अपनी पूरी क्षमता झोंक दी है। इसमें उनकी सहयोगी पार्टियां किस हद तक उनका सहयोग करती हैं, ये बहुत महत्वपूर्ण होगा। क्योंकि 99 सीट पाकर जहां कांग्रेस की सियासी हसरत बढ़ गई है, जो समाजवादी पार्टी का राजनीतिक स्वाद बिगाड़ सकती है वहीं भाजपा की भी सहयोगी पार्टियां भी उसकी कमजोरी का फायदा उठाने से नहीं चूकेंगी। देखते हैं कि उपचुनाव की घोषणा होने तक क्या स्थितियां बनती हैं।

अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक