ग्रहों के चक्रव्यूह में फंसे थे सुशांत सिंह राजपूत !

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फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के बारे में ज्योतिषीय विश्लेषण… । फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की उपलब्ध जन्म तारीख के अनुसार २१ जनवरी १९८६ दोपहर १२ बजे , पटना,  शुक्ल पक्ष की एकादशी में जन्म हुआ था। रोहिणी नक्षत्र के दूसरे चरण में पैदा हुए थे, इनकी कण्डली में बुध और शुक्र अस्त हैं। आइये कुण्डली का अवलोकन करें…फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की जन्मपत्री मेष लग्न की है, मेष लग्न प्रथम जन्मराशि होती है।  पहले घर में राहु, दूसरे घर में चंद्रमा, सातवें घर में मंगल और केतु, आठवें घर में शनि, दसवें घर में सूर्य, बुध, शुक्र एवं बृहस्पति बैठे हैं । नवांश में इनकी कर्क लग्न की नवांश है। पहले घर में राहु, तीसरे घर में बृहस्पति, पांच वें घर में शनि, सातवें घर में केतु और बुध, नौवें घर में सूर्य और शुक्र, ग्यारहवें घर में चंद्रमा, बारहवें घर में मंगल ।

वर्तमान में बृहस्पति में बृहस्पति का अंतर है और राहु का प्रत्यंतर चल रहा है। फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत का यह समय २७ अप्रैल २०२० से शुरू हो कर २२अगस्त २०२० तक रहना था। लग्न का राहु मनुष्य को अति साहसी, संघर्षशील, पेट रोगी मगर ज़िद्दी और तनावग्रस्त भी बनाता है। चंद्रमा बैठा है दूसरे घर में जो कि अपार लोकप्रियता भी देता है, इन्हें अपार लोकप्रियता छोटी सी उम्र में मिली भी ।

अमूमन देखा गया है कि रोहिणी नक्षत्र के व्यक्ति को माता का सुख कम मिल पाता है, माता से दूर रहना पड़ता है या मां का देहांत कम उम्र में ही हो जाता है । सातवें घर में केतु और मंगल बैठे हैं जो कि प्रबल मारक भाव होता है।राहु केतु का एक नियम यह भी है जब ये सप्तम या दूसरे भाव में बैठते हैं तो प्रबल रूप से मारक प्रभाव देते हैं। इनकी कुंडली में आठवें घर में शनि बैठे हैं, कायदे से शनि को आयु लम्बी करनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि शनि अपने प्रबल शत्रु मंगल की राशि मे बैठे हैं।

मंगल की निगेटिव राशि वृश्चिक होती है। दसवें घर में सूर्य, बुध, गुरु, शुक्र चार ग्रह बैठे हैं जो कि अत्यधिक धनवान, संपदास्वामी, ऐश्वर्यशाली एवं प्रबल स्तर का राजयोग बनाते हैं। इस कुंडली में चूंकि शुक्र अस्त हैं सो इन्हें प्रेम में सफलता नहीं मिली तथा पत्नी सुख में भी बाधा आती है यह तय है। बुध तीसरे व छठे घर का मालिक अस्त है। तीसरे घर से भाई, सहयोगियों और मित्रों का सुख दे खा जाता है। यद्यपि छठे घर का मालिक अस्त है, इनका शरीर स्वस्थ रहा होगा। छठे घर से रोग, शत्रु और कर्ज भी देखा जाता है। इनकी जन्मपत्री में हत्या का योग साफ दिखता है । राहु बैठे हुए हैं केतु के नक्षत्र अश्विनी में, केतु बैठे हैं राहु के नक्षत्र में। जब भी किसी मनुष्य का कत्ल होता है तो राहु, केतु एवं शनि का संबंध पहले घर से, आठवें घर से एवं पहले घर के स्वामी से जरूर होता है अन्यथा उस मनुष्य का कत्ल कदापि नहीं हो सकता।

इस कुंडली में राहु लग्न में बैठे हैं लग्नेश मंगल को देख रहे हैं। केतु सप्तम में मंगल के साथ युति कर रहे हैं । शनि आठवें घर में लग्नेश की शत्रु राशि में बैठे हुए हैं। इस कुंडली में केतु सर्वाधिक घातक समझ में आता है मुझे। यह घटना गुरु में क्यों घटी? गुरु आत्मकारक ग्रह है इसलिए अशुभ फलदायक हो गया। शून्य गत राशि का सिद्धांत  होता है। शून्य गत राशि एकादशी की धनु एवं मीन होती है, तिथि के हिसाब से शून्य गत राशि होती है।

बृहस्पति दशम में बैठकर निष्फल हो गया। केतु मृत्यु का सूचक दिख रहा है इस कुंडली में । केतु का अंक ७ होता है । कत्ल में ७ लोगों का हाथ समझ में आता है । मारने वाले मृतक के निवास से लगभग ७ किलोमीटर के दायरे में रहते हैं, दरवाजा दक्षिण मुखी है या सातवीं मंजिल में निवास है, इनके घर के मकान नंबर ७ से संबंधित हैं, उदाहरण के लिए मकान नं. ११५ का योग १+१+५= ७, या ७० का योग ७ । इनके मारने का ताना-बाना अप्रैल  २०२० में तैयार किया गया। मारने वालों के नाम के अक्षरों का योग ७ हो सकता है या अल्फाबेट का ७ वां अक्षर हो सकता है। ग्रहीय विश्लेषण से हत्यारों ने हत्या करते समय भूरे रंग  या चेकदार कपड़ा पहने थे क्योंकि केतु चेकदार या भूरे रंग का  कारक ग्रह होता है । उपरोक्त ज्योतिषीय गणना पर आधारित एक विश्लेषण मात्र है।

ज्योतिषाचार्य पं. विनय तिवारी