तो ऐसे 1.60 लाख करोड़ की विदेशी मुद्रा बची

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भारत से चालू कलेंडर वर्ष की पहली तिमाही में सेवाओं के निर्यात में न केवल 1460 करोड़ रु की वृद्धि हुई बल्कि यह मार्च महीने में 1.49 लाख करोड़ रु के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। पर इस तिमाही में सेवाओं के आयात में 6803 करोड़ रु अर्थात 2.73 फीसद की गिरावट आई। इसके विपरीत निर्यात 4.02 लाख करोड़ रु से भी ऊपर पहुंच गया।

जिसके परिणाम स्वरूप तीन महीनों में सेवाओं के व्यापार में 1.60 करोड़ रु की विदेशी मुद्रा की बचत हुई। निर्यात और आयात के बीच यह समीकरण आगे बरकरार रहने पर 2021-22 में सेवा निर्यात 16-17 लाख करोड़ रु के लगभग पहुंचने की प्रबल संभावना है।

भारतीय रिज़र्व बैंक से जुटाई गई जानकारी के अनुसार सेवाओं का निर्यात 2021, जनवरी में 1.24 लाख करोड़ रु, फरवरी में 1.28 लाख करोड़ रु और मार्च में 1.49 लाख करोड़ रु दर्ज किया गया। इसके सापेक्ष आयात जनवरी में 73715 करोड़ रु, फरवरी में 77475 करोड़ रु और मार्च में 9152 करोड़ रु रहा, इस तरह तिमाही स्तर पर पूर्व वर्ष की समान अवधि में हुए आयात की तुलना में 6802 करोड़ रु घटकर 2.42 लाख करोड़ रु रह गया।

2020, जनवरी में 87607 करोड़ रु, फरवरी में 80789 करोड़ रु और मार्च में 81117 करोड़ रु रहा। पिछले साल सेवाओं का निर्यात जनवरी में 1.38 लाख करोड़ रु, फरवरी में 1.29 लाख करोड़ रु और मार्च में 1.32 लाख करोड़ रु हुआ था। 2020 के पहले तीन महीनों में कुल आयात 2.49 लाख करोड़ के सापेक्ष कुल निर्यात 4 लाख करोड़ रु से अधिक होने से सेवा व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में था, अर्थात आयात की तुलना में निर्यात से 1.51 लाख करोड़ रु की विदेशी मुद्रा की बचत हुई थी।

वैसे कलेंडर वर्ष 2020 में कुल आयात 9.07 लाख करोड़ रु और कुल निर्यात 15.20 लाख करोड़ रु होने से 6.13 लाख करोड़ रु की विदेशी मुद्रा की बचत हुई थी। चालू साल की पहली तिमाही में कुल आयात की तुलना में निर्यात अधिक होने से 1.6 लाख करोड़ रु की विदेशी मुद्रा की बचत हुई।

प्रणतेश नारायण बाजपेयी