सेबी ने एनएसई पर ठोका 6 करोड़ रु जुर्माना

0
1973

एनएसई ने नियम तोड़ 48 करोड़ कमाए

लंबी पड़ताल के बाद शेयर बाजार विनियामक सेबी ने विश्व के दस शीर्ष स्टॉक एक्सचेंजो में शुमार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को छह मामलों में दोषी करार देते हुए 6 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। सालों तक सेबी को अंधेरे में रखने के अपराध से एनएसई की साख पर बट्टा तो लगा ही, अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी साफगोई की धाक रखने वाला भारतीय प्रबंधन भी शर्मसार हुआ।

एनएसई के छह मामले सालों साल से दबे चले आ रहे थे और आगे भी इन पर मिट्टी जमा होती रहती, अगर  केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग ( सीईआरसी) ने पावर एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (पीएक्सआईएल) के व्यवसाय को एनएसई द्वारा जारी रखने के लिए नियामकीय अनुमति लिए जाने के बारे में सेबी से जानकारी मांगी नहीं होती।

हुआ यह कि सीईआरसी ने 2018, 2 जनवरी को एक पत्र सेबी को लिखा जिसमें यह प्रमाणित करने का अनुरोध किया गया कि क्या पीएक्सआईएल का व्यवसाय जारी रखने के अपने निर्णय का खुलासा एनएसई ने सेबी से किया ? सेबी  ने जांच में पाया कि एनएसई ने ऐसी कोई जानकारी विनियामक को नहीं दी जोकि प्रतिभूति अधिनियम के विरुद्ध है।

सेबी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच न्याय अधिकारी को सौंप दी। ढाई साल से ज्यादा चली पड़ताल से कई रहस्य खुले। एनएसई ने पीएक्सआईएल सहित अलग-अलग छह कंपनियों में अपने निवेश की अनुमति सेबी से नहीं ली।एनएसई ने 1991, अक्टूबर में पूर्ण स्वामित्व के तहत कंपनी एनएसईआईटी लि. के गठन  और इसमें पूंजी निवेश की अनुमति सेबी से नहीं ली। दूसरा मामला 2008 फरवरी में पीएक्सआईएल की 31 प्रतिशत शेयर हिस्सेदारी हासिल करने में भी सेबी नियमों का उल्लंघन पाया गया। तीसरा उल्लंघन नवंबर 2011 का निकला जब मार्केट सिम्पलीफाइड इन्डिया लि. ( एमएसआईएल) का अधिग्रहण करने के लिए नियामकीय अनुमति के बिना ही एनएसई ने इसके 30 प्रतिशत शेयर  हासिल किए थे।

चौथा मामला एनएसडीएल ई गवर्नेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लि. (एनएसडीएल ई) का है। एनएसई ने अप्रैल 2012 में इस कंपनी को अपनी सहायक कंपनी बनाने के उद्देश्य से इसके 25 प्रतिशत शेयर हासिल किए सेबी अनुमति के बगैर। पांचवां मामला 2013 का है, एनएसई ने कंप्यूटर एज मैनेजमेंट सिस्टम्स प्रा.लि. (सीएएमएस) का अधिग्रहण करने के लिए इसके 45 प्रतिशत  शेयरों का खरीद सौदा भी सेबी से छिपाए रखा। छठा और आखिरी उल्लंघन एनएसई  द्वारा रिसीवेबल्स एक्सचेंज ऑफ इंडिया लि. की 30 प्रतिशत हिस्सेदारी लेने का है, जो 2016 में घटित हुआ।

न्याय अधिकारी अमित प्रधान ने फैसले में इन सभी छह मामलों में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को सेबी अधिनियम के तहत एसईसीसी 2012 के एसईसीसी 2018 रेग्युलेशन 41 (3) के रेग्युलेशन 38 (2) के उल्लंघन का दोषी करार दिया। फैसले में एनएस आईसीएल की 31 मार्च 2018 की ऑडिटर रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि उक्त कंपनी ने  47.90 करोड़  रुपए बतौर लाभांश नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को  भुगतान किए। साथ ही एन एसईआईटीएल से 1 करोड़ रु., सीएएमएस से 43.21करोड़ रु., एनएसडीएल ई से 6.51 करोड़ रु. लाभांश के रूप में एनएसआईसीएल को प्राप्त हुए।

फैसले में इन सभी छह मामलों में अलग-अलग 1-1 करोड़ रुपए अर्थात कुल मिलाकर 6 करोड़ का जुर्माना किया गया है। यह फैसला (संख्या आर्डर / एपी/एसके/2020-21/9375) एक अक्टूबर 2020 को दिया गया। बता दें कि एनएसई में पहले भी कई स्कैंडल हो चुके हैं। कोलोकेशन घपले में तो कोई एक दर्जन व्यक्तियों सहित एनएसई के संस्थापक सदस्य और पूर्व सीएमडी रवि नारायण तथा पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्णन को दोषी पाया गया था।

प्रणतेश नारायण बाजपेयी