ऊटी हिल स्टेशन: सौन्दर्य का खजाना

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दक्षिण भारत का सौन्दर्य किसी एवं कहीं से कम नहीं। दक्षिण भारत का तमिलनाडु की धरती अपने आगोश में सौन्दर्य का अप्रतिम खजाना छिपाये हैं। तमिलनाडु का ‘ऊटी हिल स्टेशन” देश-दुनिया में अपनी एक अलग एवं खास पहचान रखता है। ‘ऊटी हिल स्टेशन” को नीलगिरी पर्वत श्रंखला का गहना भी कहा जाता है। ‘ऊटी हिल स्टेशन” में एक करिश्माई अहसास होता है। वास्तुशिल्प सौन्दर्य की बात हो या हिमस्खलन का लुफ्त हो या फिर वॉटर फॉल्स के अद्भुत नजारे हों। ‘ऊटी हिल स्टेशन” में एक अलग ही दुनिया का अहसास होता है।

ब्रिटिश शासन ने तमिलनाडु की ग्रीष्मकालीन राजधानी ऊटी को ही बनाया था। ‘ऊटी हिल स्टेशन” को उटकमंडलम के नाम से भी जाना जाता है। ‘ऊटी हिल स्टेशन” क्षेत्र के मुख्य आकर्षण में हिमस्खलन, घाटी का सौन्दर्य, डॉल्फिन की नाक, मेम्बर्स रॉक, रोज गार्डेन, कलहट्टी वॉटर फॉल्स, नीलगिरी माऊण्टेन, बोटैनिकल गार्डेन, एमेरल्ड लेक, घनी वनस्पतियां, चाय के बागान, नीलगिरी के वृक्ष, पर्वत श्रंखला आदि इत्यादि हैं। खूबसूरत एवं रोमांटिक स्थल ‘ऊटी हिल स्टेशन” कुदरत का नायाब नमूना है। दूर-दूर फैली हसीन वादियां, हिम आच्छादित पर्वत श्रंखला एवं आकर्षण वृक्ष श्रंखला निश्चय मोहित करने के लिए पर्याप्त हैं। इसे यूं भी कहा जा सकता है कि ‘ऊटी हिल स्टेशन” इन्द्रधनुषी सौन्दर्य का एक विशिष्ट आयाम है।

‘ऊटी हिल स्टेशन” मुख्यत: कर्नाटक एवं तमिलनाडु का सीमावर्ती शहर है। ‘ऊटी हिल स्टेशन” समुद्र तल से करीब 7500 फुट ऊंचाई पर है। ‘ऊटी हिल स्टेशन” की ‘खिलौना ट्रेन” बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी के आकर्षण का केन्द्र है। नीलगिरी पर्वत श्रंखला क्षेत्र कभी चेर साम्राज्य का हिस्सा था। ब्रिाटिश शासन के दौरान पड़ोसी जिला के तत्कालीन गवर्नर जॉन सुलिवान को ऊटी की आबोहवा बेहद पसंद थी लिहाजा उन्होंने इलाका की अधिसंख्य भूमि खरीद डाली। इसके बाद इस पर्वतीय क्षेत्र का विकास तेजी से हुआ। बाद में इस क्षेत्र को तमिलनाडु की ग्रीष्मकालीन राजधानी बना दिया गया। ‘ऊटी हिल स्टेशन” के उद्यान, मंदिर, सूर्योदय, सूर्यास्त बेहद मनभावन हैं।

सर्दियों के साथ साथ ‘ऊटी हिल स्टेशन” का मौसम हमेशा सुहाना रहता है। हालांकि सर्दियों में ‘ऊटी हिल स्टेशन” का तापमान शून्य से भी नीचे चला जाता है। ‘ऊटी हिल स्टेशन” के निकट ही कुन्नूर एवं कोटागिरी शहर भी हैं। यह शहर ‘ऊटी हिल स्टेशन” से कुछ ही दूरी पर है लिहाजा कुछ ही घंटों में इन शहरों की भी यात्रा की जा सकती है। कुन्नूर एवं कोटागिरी शहरों का तापमान भी ‘ऊटी हिल स्टेशन” जैसा ही रहता है।

वनस्पति उद्यान: वनस्पति उद्यान की स्थापना 1847 में की गयी थी।करीब 22 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले इस उद्यान की देखभाल स्थानीय उद्यान विभाग करता है। वनस्पति उद्यान में एक पेड़ का जीवाश्म सुरक्षित रखा गया है। विशेषज्ञों की मानें तो यह जीवाश्म दो करोड़ वर्ष पुराना है। इस उद्यान में पेड़-पौधों की 650 से अधिक प्रजातियां हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि एवं पर्यावरण प्रेमियों के बीच यह वनस्पति उद्यान बेहद लोकप्रिय है। उद्यान में फूलों की एक लम्बी श्रंखला है। ग्रीष्मकाल में फूलोत्सव मनाया जाता है।

ऊटी झील: ऊटी झील का निर्माण 1825 में कराया गया था। करीब ढ़ाई किलोमीटर लम्बी इस झील में पर्यटक वोटिंग भी कर सकते हैं। ऊटी झील किसी सितारे से कम नहीं है। झील के आसपास घुड़सवारी का आनन्द भी लिया जा सकता है। इसी के निकट केटी वैली है। केटी वैली पिकनिक स्पाट के तौर पर मशहूर है।

डोडाबेट्टा चोटी: डोडाबेटटा चोटी समुद्र तल से करीब 2623 मीटर ऊंची है। ‘ऊटी हिल स्टेशन” क्षेत्र का यह सबसे ऊंचा पर्वत शिखर माना जाता है। यह पर्वत ‘ऊटी हिल स्टेशन” से करीब दस किलोमीटर दूरी पर स्थित है लिहाजा पर्यटक आसानी से डोडाबेट्टा चोटी की यात्रा कर सकते हैं। यहां से ‘ऊटी हिल स्टेशन” एवं घाटी का विहंगम दृश्य दिखता है।

मदुमलाई वन्यजीव अभ्यारण: मदुमलाई वन्यजीव अभ्यारण ‘ऊटी हिल स्टेशन” से करीब 65 किलोमीटर दूर है। अभ्यारण में दुर्लभ वनस्पतियों के साथ साथ वन्य जीवन की दुर्लभ प्रजातियां भी पायी जाती हैं। लुप्त प्राय: जीव-जन्तु भी पाये जाते हैं। हाथी, सांभर, चीतल, हिरन आदि आसानी से देखे जा सकते हैं। अभ्यारण का थेप्पाक्कडु हाथी कैम्प बेहद आकर्षक है।

कोटागिरी : कोटागिरी पर्वत ‘ऊटी हिल स्टेशन” से करीब तीस किलोमीटर दूर है। नीलगिरी के तीन हिल स्टेशनों में इसे सबसे पुराना माना जाता है। कोटागिरी ऊटी एवं कुन्नूर की भांति ही सुरम्य है। मौसम भी बेहद सुहाना रहता है। इस इलाके में चाय के बागान खूबसूरती में इन्द्रधनुषी रंग भरते हैं।

कलहट्टी वॉटर फॉल्स : कलहट्टी वॉटर फॉल्स सौ फुट ऊंचा झरना है। यह स्थान ‘ऊटी हिल स्टेशन” से मात्र 13 किलोमीटर दूर है। झरना के आसपास वाले इलाके में वन्य जीवों की अनेक प्रजातियां देखी जा सकती हैं।
‘ऊटी हिल स्टेशन” की यात्रा के लिए हवाई, सड़क मार्ग एवं रेलवे संसाधन उपलब्ध है। निकटतम हवाई अड्डा कोयम्बटूर है। ऊटी में उदगमंडलम रेलवे स्टेशन है। हालांकि मुख्य जंक्शन कोयम्बटूर है।