ओडीओपी : यूपी से सीख लें देश के अन्य राज्य

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नई दिल्ली। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने ओडीओपी को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जमकर तारीफ करते हुए कहा है कि बाकी राज्यों को इस मामले में यूपी से सीख लेनी चाहिए।

केंद्रीय मंत्री गोयल ने आज दिल्ली में आयोजित ओडीओपी (एक जनपद एक उत्पाद) संपर्क कार्यक्रम (राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ) में ओडीओपी उपहार सूची और जेम पोर्टल पर ओडीओपी स्टोरफ्रंट का अनावरण किया। इस दौरान उन्होंने ओडीओपी कि दिशा में बेहतरीन प्रयास के लिए उत्तर प्रदेश की तारीफ करते हुए, अन्य राज्यों को भी उससे सीख लेने की बात कही। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव एमएसएमई नवनीत सहगल के अलावा, जम्मू कश्मीर, तेलंगाना सहित कई राज्यों के अधिकारियों ने भी ओडीओपी पर अपने राज्य में हो रहे कार्यों का ब्योरा पेश किया।

कार्यक्रम में पीयूष गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने इस योजना की शुरुआत की। हालांकि, बहुत कम समय में राज्यों और खास कर कारीगरों के सहयोग से हमने काफी सफलता हासिल की है। प्रधानमंत्री का मानना है कि भारत का विकास तब तक नहीं हो सकता, जब तक हर गांव और हर जिला विकास से न जुड़े। ओडीओपी योजना को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार देश के 700 से ज्यादा जिलों की उनके खास उत्पाद के लिए मदद का हर मुमकिन प्रयास कर रही है।

ओडीओपी योजना में उत्तर प्रदेश के अभूतपूर्व योगदान की सराहना करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ओडीओपी को नई दिशा मिल रही है। राज्य के 75 जिले, जिस तरह से काम कर रहे हैं, यह अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल है। राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रयास आज धरातल पर दिख रहे हैं। यूपी में ओडीओपी योजना की सफलता के माध्यम से हम यह देख सकते हैं कि इस योजना में कितनी संभावना है। योगी आदित्यानाथ और उनकी पूरी टीम इस बेहतरीन कार्य के लिए बधाई की पात्र है। उन्होंने इस दौरान केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी) की अहमियत भी बताई।

गोयल ने कहा कि उनकी सरकार को अगले पांच साल में 20 खरब रुपये के मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट के जुड़ने का भरोसा है। उन्होंने कहा कि इससे नई नौकरियों का बड़े पैमाने पर सृजन होगा। साथ ही आर्थिक गतिविधियों का विस्तार भी होगा। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लौटाने और देश को सही मुकाम पर पहुंचाने में काफी मदद मिलेगी।

इस मौके पर उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से ओडीओपी की दिशा में प्रगति पर प्रस्तुति देते हुए अपर मुख्य सचिव एमएसएमई नवनीत सहगल ने कहा कि प्रदेश में ओडीओपी को बढ़ावा देने और कारीगरों को प्रोत्साहित करने के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं। पैकेजिंग से लेकर प्रोडक्ट की क्वालिटी जांच तक के लिए आईआईटी, एनईएफटी और भारतीय पैकेजिंग संस्थान से मदद ली जा रही है। 25 सितंबर 2018 को शुरू हुए इस योजना ने तेजी से ख्याति पाई है और हर जिले के कारीगर इसमें बढ़-चढ कर हिस्सा ले रहे हैं। उन्होंने इस दौरान अब तक की उपलब्धियों और आगे की योजनाओं के बारे में बताया।

सहगल ने बताया कि ओडीओपी कार्यक्रम की यह पहल जनपदों को उत्पादों के विकास, संबंधित जनपदों में बेहतर रोजगार, तुलनात्मक एवं प्रतिस्पर्धात्मक भावना के साथ नवाचार के पथ पर अग्रसर करने को प्रेरित करेगी। साथ ही राज्य के एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को प्राप्त करने में ओडीओपी उत्पादों की भूमिका को सुदृढ़ करेगी।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के हर जिले के पारंपरिक उद्योग को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ‘एक जिला, एक उत्पाद’ समिट शुरू की थी। उत्तर प्रदेश जनसंख्या के लिहाज से देश का सबसे बड़ा राज्य है। उत्तर प्रदेश के हर जिले में कुछ खास पारंपरिक उद्योग हैं। इन उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट’ योजना शुरू की थी।

हर जिले का होगा अपना एक प्रोडक्टड : उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिले कांच के सामान, लखनवी कढ़ाई, इत्र, चरक के काम, बांस, लकड़ी और चमड़े के सामान के लिए पहचाने जाते हैं। इन उद्योगों से जुड़े कारीगरों की खोई पहचान वापस दिलाने को एमएसएमई सेक्टर के लिए ओडीओपी योजना लाई गई थी। इस योजना के शुरू होने के बाद से कई जिलों का सामान देश-प्रदेश में ही नहीं विदेश तक निर्यात होने लगा है। व्यवस्था के तहत उत्तर प्रदेश के सभी जिलों का अपना एक प्रोडक्ट है जो उसकी पहचान बन चुका है। स्थानीय कला का विकास करना और प्रोडक्ट की पहचान दिलाने के साथ कारीगरों को मुनाफा दिलाना इस योजना का मकसद है।

कारीगरों को दिया जा रहा है नई तकनीक का प्रशिक्षण : योजना के तहत कारीगरों को नई टेक्नोलॉजी का इस्तेामाल और प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इससे उनके प्रोडक्ट बाजार में दूसरे उत्पादों की बराबरी कर पा रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक, इससे 2023 तक यूपी में 25 लाख से ज्यादा लोगों को इस योजना से प्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। वहीं, कारीगरों को आर्थिक मदद देने के लिए एमएसएमई के तहत बेहद कम ब्याज दरों पर बिजनेस लोन दिलाया जा रहा है। एक प्रोडक्ट को एक ब्रांड का नाम दिया गया है। साथ ही उनके प्रोडक्ट की ब्राडिंग और पैकेजिंग पर भी सरकार की तरफ से कम किया जा रहा है।