मधुबाला ने डाक्टर से कहा, मुझे बचा लो… मैं मरना नहीं चाहती

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किस्से फिल्मी दुनिया के… 

ऐसा नहीं था कि दिलीप कुमार खामोश बैठ गये हों। वो मधुबाला से हर हाल में शादी करना चाहते थे। किस्सा यह भी मशहूर है कि मधुबाला किशोर कुमार के साथ ‘ढाके की मलमल” की शूटिंग कर रही थीं। दिलीप कुमार बिना किसी इज्जात लिये उनके मेकअप रूम में चले आये आैर मधुबाला से कहा,’अगर तुम मुझसे शादी करना चाहती हो तो अभी इसी वक्त चलो मेरे घर। घर पर काजी बैठा है निकाह पढ़वाने को।” मधुबाला उनकी बात सुनकर बड़ी बड़ी आंखों से उन्हें खामोशी से निहारती रहीं। कुछ भी नहीं बोलीं। उन्होंने फिर कहा,’मधु आज अगर तुम नहीं चलीं तो मैं कभी लौटकर नहीं आऊंगा।” अब मधुबाला की आंखों से झर-झर आंसू बहने लगे आैर वो एक शब्द भी नहीं बोलीं। दिलीप कुमार उनकी खामोशी का मतलब समझ गये आैर मेकअप रूम से बाहर आ गये। उन्होंने जोर से दरवाजा बंद कर दिया। यह भी कहा जा सकता है कि उन्होंने नौ साल की मोहब्बत के दौरान जिये सभी हसीन पलों का द्वार भी हमेशा हमेशा के लिए बंद कर दिया।

मधुबाला की ख्याति हिन्दुस्तान की सरहदों से पार विदेशों में भी धूम मचा रही थी। अमेरिका की एक नामचीन मैगजीन थियेटर आर्ट ने एक आर्टिकल लिखा कि ‘दुनिया की सबसे बड़ी अदाकारा हैं मधुबाला, लेकिन वो अमेरिका की नहीं हैं”। अमेरिका के मशहूर फिल्म डायरेक्टर फ्रैंक कैप्प्रा मधुबाला की खूबसूरती आैर अदाकारी से प्रभावित होकर इंडिया आये। वे अपनी फिल्म में उन्हें कास्ट करना चाहते थे। एक फाइव स्टार होटल में डिनर के साथ मीटिंग रखी गयी। लेकिन मधुबाला के वालिद ने यह कहकर इंविटेशन को ठुकरा दिया कि उनकी बेटी चाकू कांटे से खाना नहीं जानती। उनके जाने के बाद अताउल्लाह खान फिल्म इंडिया मैगजीन के एडिटर बाबूराव पटेल के पास पहुंचे आैर इल्तिजा की वे मधुबाला को अपनी पत्नी सुशीला रानी से अंग्रेजी की ट्यूशन दिलवा दें। सुशीला रानी एक अच्छी शास्त्रीय गायिका थीं। बात तय हो गयी।

मधुबाला शूटिंग के बाद रोज अंग्रेजी बोलने की ट्यूशन लेने पहुंच जातीं। मेहनत रंग लायी। मधुबाला छह महीने के अंदर अंग्रेजी बोलने लगीं। शुरू में मधुबाला थोड़ा हिचकिचातीं लेकिन एक अच्छी स्टूडेंट होने के नाते फर्राटे से अंग्रेजी बोलने लगीं।… उनकी हर चीज सीखने की लगन बचपन से बहुत ज्यादा थी। जब ‘मुगले आजम” में उन्हें ‘प्यार किया तो डरना क्या” गीत पर डांस करना था तो उन्होंने कहा कि उन्हें इतना अच्छा डांस नहीं आता। फिर क्या था के आसिफ ने दो महीने का समय दिया कि वे डांस सीखकर आयें। बताते हैं कि मधुबाला ने दो महीने से पहले ही डांस में महारत हासिल कर ली।

मधुबाला समय की बहुत पाबंद थीं। रोज सुबह छह बजे स्टूडियो पहुंच जातीं आैर ठीक छह बजे स्टूडियो सेे बाहर निकलतीं। उनके फैंस स्टूडियो के बाहर भीड़ लगाकर उनकी एक झलक पाने को घंटों खड़े रहते। मधुबाला को बचपन से ही कुत्ते पालने का बहुत शौक था। उनके पास विभिन्न नस्ल के 18 कुत्ते थे। जिनकी देखभाल वे स्वयं करती थीं।
मधुबाला के बारे में एक बात मशहूर थी कि उनके गर्दिश के दिनों में जिन्होंने उनकी सहायता की थी वे उन्हें कभी नहीं भूलती थीं। जब मधुबाला चाइल्ड आर्टिस्ट थीं तो उनकी मां काफी बीमार हो गयीं। इलाज के लिए घर में पैसे भी नहीं थे। उन्होंने रंजीत स्टूडियो के मालिक से पैसे मांगे। उन्होंने दो हजार तुरन्त दे दिये। बाद में रणजीत स्टूडियो की फिल्में नहीं चल रही थीं अौर मधुबाला का सिक्का चल रहा था तब मालिक उनके पास आये आैर अपनी फिल्म में काम करने को कहा। उन्होंने बिना कहानी सुने हां कर दी जबकि उस फिल्म में हीरोइन के लिए करने को कुछ नहीं था।

मधुबाला के आशिकों में एक नाम प्रेम नाथ का भी था। प्रेम नाथ के साथ फिल्म ‘बादल” में उनकी मुलाकात हुई। जैसा कि सभी के साथ होता था उनका भी दिल मधुबाला के लिए धड़कने लगा। बात शादी तक पहुंच गयी। लेकिन इस बीच उन्हें पता चला कि उनका दिल तो केवल दिलीप कुमार के लिए ही धड़कता है तो वे पीछे हो गये आैर उन्होंने खूबसूरत बीना राय से शादी रचा ली। पाकिस्तान के वजीरे आला जुल्फिकार अली भुट्टो भी उनकी खुबसूरती के दीवाने थे। वे अक्सर स्टूडियो पहुंच जाते। घंटों मधुबाला को निहारते। शूटिंग खत्म होने के बाद वे किसी बड़े होटल में डिनर के लिए जाते।

आजादी के बाद वो जब भी इंडिया आते तो ‘मुगले आजम” की शूटिंग देखने के बहाने मधुबाला से जरूर मिलते।… उनकी एकतरफा मोहब्बत ने कोई गुल नहीं खिलाये।… कहा तो यह भी जाता है कि मशहूर निर्देशक व एक्टर गुरु दत्त फिल्म ‘मिस्टर एंड मिसेज 55″ के दौरान मधुबाला के काफी करीब आ गये थे। लेकिन हालात ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया।…

दिलीप कुमार के बाद मधुबाला का दिल एक बार फिर से धड़का गायक और एक्टर किशोर कुमार पर। फिल्म ‘चलती का नाम गाड़ी” में ‘एक लड़की भीगी-भागी-सी…” गाना गाकर किशोर ने मधुबाला का दिल जीत लिया। इससे पहले वे ‘झुमरू”, ‘हाफ टिकट”, ‘महलों के ख्वाब” व ‘ढाके की मलमल” में काम कर चुके थे। मधुबाला दिल की बीमारी से पीडि़त थीं जिसका पता 1950 में चल चुका था। लेकिन, यह सच्चाई सबसे छुपा कर रखी गयी। 1960 में किशोर कुमार ने अपना नाम बदलकर अब्दुल करीम रख लिया आैर मधुबाला से निकाह कर लिया। शादी के बाद किशोर कुमार पता चला कि मधुबाला के दिल में एक छोटा-सा छेद है। किशोर कुमार शादी के तीसरे दिन उन्हेें इंग्लैंड ले गये आैर डाक्टर ने साफ कर दिया कि दिल में छेद का आपरेशन करने में उनकी मौत हो सकती है। इस बीमारी का हमारे पास कोई इलाज नहीं है। उनके फेफड़ों में भी इंफेक्शन था जिसके चलते उन्हें चार घंटे बाद आक्सीजन लेनी पड़ती। मधुबाला ने डाक्टर से पूछ लिया कि वे कितने दिन जिन्दा रहेंगीं? डाक्टर ने कहा कि दो साल। फिर उन्होंने डाक्टर से कहा कि मुझे बचा लो… मैं मरना नहीं चाहती।

इंग्लैंड से लौटने के बाद उन्होंने एक फिल्म साइन कर ली आैर पहले ही दिन शूटिंग में वे बेहोश हो गये। किशोर कुमार मधुबाला को उनके घर छोड़ आये। किशोर कुमार रिकार्डिंग आैर शोज में मशगूल हो गये। बीच बीच में वो मधुबाला को आकर देख जाते। बिना पति व दोस्त के मधुबाला बिस्तर पर पड़ी मौत का इंतजार करती रहीं। किशोर का कहना था कि जब भी कभी वो मधुबाला से मिलने जाते हैं तो वो रोने लगती है और वो नहीं चाहते कि रोकर वो और भी ज्यादा बीमार हो जाए। बीमार मधुबाला दर्द से तड़पती रहतीं और बेबस, लाचार बिस्तर पर पड़ी रहतीं! खांसते हुए उनके मुंह से अक्सर खून निकल जाया करता!… हालात बदतर हो गये। उनका शरीर पीला पड़ गया। वे हड्डियों का ढांचा बन गयीं। उन्होंने शीशा देखना भी बंद कर दिया।

मधुबाला की अंतिम इच्छा दिलीप कुमार से मिलने की थी। दिलीप कुमार ने उनकी इच्छा पूरी की। मधुबाला ने पूछा कि मैं ठीक हो जाऊंगी? दिलीप कुमार ने कहा आप ठीक हो जाएंगी। फिर उन्होंने कहा कि आप मेरे साथ फिल्म में हीरो बनेंगे। उन्होंने कहा जरूर बनूंगा। फिर उन्होंने कहा कि आप मेरा पास जो पैसा है वो अपनी फिल्म प्रोडक्शन कम्पनी में लगा दीजिए। दिलीप कुमार समझ गये कि वे अपने परिवार के लिए पैसा कमाना चाहती हैं। उन्होंने सलाह दी कि वे ऐसे जगह पैसा लगे जहां ज्यादा लाभ आैर कम समय में रिटर्न मिले। जिस कम्पनी ने पैसा लगाया गया उस फर्म ने लौटाने से इंकार कर दिया। बताते हैं कि वह पैसा दिलीप कुमार ने अपने पास से परिवार को लौटाया। जीवन के आखिरी नौ साल उन्हें बिस्तर पर ही बिताने पड़े। तमाम दर्द को झेलते हुए 23 फरवरी 1969 को वह इस दुनिया को अलविदा कह गईं। उनकी मौत के दिन दिलीप कुमार मद्रास में फिल्म ‘गोपी” की शूटिंग कर रहे थे। वे अगली फ्लाइट से बम्बई पहुंचे। वे सुपुर्दे खाक कर दी गयी थीं। वे उनकी मजार पर गये। कूछ दुआ पढ़ी। उन्होंने आंखों में आंसूू लिये एक लाल गुलाब उनकी मजार पर चढ़ाया। एक लाल गुलाब से शुरू हुई अमर प्रेम की दास्ताँ लाल गुुलाब से खत्म हो गयी।…
(विभिन्न स्त्रोतों से साभार)

प्रेमेन्द्र श्रीवास्तव