जानिए क्या है शरद पूर्णिमा का महत्व

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शरद पूर्णिमा का अपना अलग ही महत्व है। इस दिन भगवान कृष्ण ने महारास का आयोजन किया था। कहा जाता है मध्य रात्रि चन्द्रमा किरणों द्वारा अमृत वर्षा करता है। इसे एक जागर व्रत के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है इस दिन लक्ष्मी देवी रात को भ्रमण करती हैं जो भी व्यक्ति इस रात्रि का जागरण करता है व लक्ष्मी जी का चिंतन करता है देवी उस पर कृपा करती हैं।

शरद पूर्णिमा की सुबह स्नान से पहले नहाने के पानी में थोड़ा सा गुलाब जल डाल कर स्नान करें। भगवान लक्ष्मी नारायण की पूजा जरूर करें। विष्णु सहत्रनाम का पाठ करें। संभव हो तो सत्यनारायण भगवान की कथा करें। खीर का भोग भगवान लक्ष्मी नारायण को अर्पित करें। रात्रि में चंद्रदेव की पूजा करें। इनकी रोशनी में मेडीटेशन अवश्य करें।

विद्यार्थी अपना पेन या आप अपनी उस चीज को जिसे आप अपने वर्क प्लेस पर ज्यादा उपयोग में लाते हैं। जैसे लैपटॉप, आप टेरो कार्ड रीडर हैं तो कार्ड इस तरह की वस्तुओं को चंद्रमा की रोशनी में जरूर रखें। इससे ये चीजें चन्द्रमा की रोशनी से एनर्जाइज होती हैं। खीर को रात भर चंद्रमा की रोशनी में रखना चाहिए। अगले दिन सभी सदस्यों को इसका सेवन करना चाहिए। स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा माना जाता है।

इस दिन खास तरह से पानी को भी चन्द्रमा की रोशनी में एनर्जाइज किया जाता है। यह बहुत कमाल का होता है। इस जल को स्टोर करके रख लेते हैं और सप्ताह में एक दिन घर में छिड़कते हैं। इस दिन श्रीयंत्र की पूजा अवश्य करें। गाय के घी का दीपक अवश्य प्रज्वलित करें।