जानिए पीड़ादायक गठिया से कैसे पाएं निजात

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गठिया का दर्द पीड़ित ही समझता है। गठिया बीमारी के कारण निवारण घरेलू उपाय सहित विभिन्न पहलुओं पर श्रीनाथ चिकित्सालय भगवत दास घाट सिविल लाइंस कानपुर के मुख्य चिकित्सक डॉ रविंद्र पोरवाल ने बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी दी है।

गठिया जीवन शैली की देन : गाउट जीवन शैली, अप्राकृतिक दिनचर्याऔर खानपान से जुड़ी हुई बीमारी है। इसमें यूरिक एसिड अपने सामान्य स्तर से बहुत बढ़ जाता है और फिर जोड़ों मांसपेशियों विशेषकर हाथ के अंगूठे, पैर के अंगूठे एडी में दर्द लालामी सूजन के साथ-साथ चलने फिरने में लाचारी हो जाती है।

क्या है यूरिक एसिड : यूरिक एसिड एक कार्बनिक पदार्थ है, जो हमारे गलत रहन सहन, तले मसालेदार जंक फूड, फास्ट फूड खाने से बढ़ता है। शरीर में विभिन्न रासायनिक क्रियाओं के दौरान इसकी अल्प मात्रा बनती है। जिसे गुर्दे छानकर शरीर से बाहर निकाल देते हैं। जब यह शरीर में अत्यधिक मात्रा में बनने लगता है और रक्त में इसकी मात्रा बहुत बढ़ जाती है यही बढ़ी हुई यूरिक एसिड की स्थिति गठिया जैसी दुखदाई बीमारी के लिए जिम्मेदार होती है।

कारण भी जानिए : भूख से अधिक मात्रा में खाना खाना, अधिक प्रोटीन युक्त भोजन का नियमित रूप से सेवन और दैनिक आहार में जंक फूड और फास्ट फूड की अधिकता, शराब कोल्ड ड्रिंक चाय और कॉफी का भरपूर मात्रा में सेवन, विलासिता पूर्ण और आलसी जीवन बिल्कुल भी मेहनत ना करना, बढ़ता हुआ मोटापा और मांसाहारी भोजन का ज्यादा सेवन करना यूरिक एसिड बढ़ने का मूल कारण माना जाता है। कुछ एलोपैथिक दवाएं भी यूरिक एसिड को बढ़ाते है।

प्यूरीन को भी समझिए : भोजन के पाचन के समय जैव रासायनिक क्रियाओं के दौरान कुछ अवशिष्ट पदार्थ बनते हैं। इनमें एक अवशिष्ट प्यूरीन भी बनता है जो यूरिक एसिड के टूटने से ही बनता है। चाट पकौड़ी तले मसालेदार भोजन और डिब्बाबंद आहार में अधिक मात्रा में पाए जाने वाला प्यूरीन नामक पदार्थ के विखंडन से बने यूरिक एसिड को ही गठिया यानी गाउट का मुख्य कारक माना जाता है। आयुर्वेदिक दृष्टि से प्यूरीन बादी प्रकृति के खाद्य पदार्थों जैसे कटहल बैगन कद्दू गोभी मटर, राजमा छोला उड़द की दाल मशरूम, सेम और शराब यहां तक कि बीयर में भी पाया जाता है।

घरेलू उपाय परखें : प्यूरिन के प्रकोप से बचाव के लिए रोजाना सुबह 2 से 3 अखरोट खाए, मखाना चिरौंजी और छुआरे का भी निसंकोच सेवन किया जा सकता है। कैथा, ज्यादा मात्रा में लाल और हरी मिर्ची गरम मसाला एवं खटाई आमचूर का सेवन बिल्कुल ना करें। किंतु नींबू का सेवन लाभकारी होता है क्योंकि नींबू में विटामिन सी भारी मात्रा में पाया जाता है जो यूरिक एसिड का सफाया करने में कारगर है।

भोजन सुधारें : हाई फायबर फूड जैसे अंकुरित अनाज, ओटमील, दलिया, बींस, ब्राउन राईस, सप्ताह में एक या दो बार छिलके वाली मूंग की दाल, फ्रेश ग्रीन या फ्रूट सलाद, ताजी मौसम की हरी सब्जियां और मौसम के फल खाने से यूरिक एसिड की ज्यादातर असंतुलित मात्रा एब्जॉर्ब हो जाती और उसका लेवल बिना किसी दवा के नियंत्रित हो जाता है।

यह भी अपनाए : सुबह खाली पेट एक चम्मच कच्चा जीरा चबाकर पानी पीना और रात्रि में सोने से पहले आधा चम्मच मोटी सौंफ और आधा चम्मच अजवाईन का सेवन रोजाना करने से मांसपेशियां मजबूत होती है शरीर के अंदर अतिरिक्त मात्रा में पित्त का निर्माण कम हो जाता है।

महाऔषधि को अपनाये : अलसी को भून कर पीस लें और 10 ग्राम सुबह तथा 10 ग्राम रात्रि में सेवन करने से यूरिक एसिड कुछ ही सप्ताह में नियंत्रण में आ जाता है। बथुआ का साग खाने से भी बढ़ा हुआ यूरिक एसिड नियंत्रण में हो जाता है। बथुआ और अलसी का यथोचित मात्रा में सेवन करने से बार-बार यूरिक एसिड बढ़ने की समस्या का भी पूरी तरह समाधान हो जाता है।

योग को ना भूले : योग आसनों विशेषकर तिर्यक भुजंगासन, भुजंगासन त्रिकोणासन, गुप्तासन, मत्स्येंद्रासन, मर्कटासन और पदचालन आश्चचालन जैसे आसन इस बीमारी के जड़ से ठीक होने में मददगार हैं। वही षटकर्म की क्रियाओं में कुंजल और शंख प्रक्षालन चमत्कारी लाभ प्रदान करते हैं। अनुलोम विलोम और कपालभाति प्राणायाम भी बड़े हुए यूरिक एसिड को शांत करने के लिए अत्यधिक लाभप्रद माने जाते हैं। सप्ताह में 1 दिन केबल पानी पीकर उपवास करना भी पित्त को नियंत्रित करके यूरिक एसिड से मुक्ति काएक श्रेष्ठ उपाय है।