धर्म के झरोखे से करवा चौथ, अखंड शौभाग्य का आशीष

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कल 1 नवम्बर को है करवा चौथ…. स्वयं भगवान कृष्ण द्वारा द्वापर युग में इस व्रत के महत्व को लेकर कही गई है। दरअसल, एक बार अर्जुन तपस्या करने नीलगिरी पर्वत पर गए थे। कई दिनों तक उनकी कोई खबर न मिलने पर चिंतित पत्नी द्रौपदी ने कृष्ण भगवान का ध्यान कर अपनी चिंता व्यक्त की। तब श्रीकृष्ण ने कहा यह कथा द्रौपदी को सुनाई और करवा चौथ के व्रत का महत्व बताया।

श्रीकृष्ण कहते हैं, द्रौपदी! पति की सुरक्षा से जुड़ा इसी तरह का प्रश्न एक बार माता पार्वती ने महादेव से किया था। तब महादेव ने मां पार्वती को ‘करवा चौथ’ का व्रत बतलाया था। इस व्रत से पत्नी अपने पति की रक्षा कर सकती हैं। सुनो द्रौपदी, प्राचीन काल में एक ब्राह्मण के चार बेटे और एक बेटी थी। चारो भाई अपनी बहन को बहुत प्रेम करते थे और उसका छोटा-सा कष्ट भी उन्हें बहुत बड़ा लगता था। ब्राह्मण की बेटी का विवाह होने पर एक बार वह जब मायके में थी, तब करवा चौथ का व्रत पड़ा। उसने व्रत को विधिपूर्वक किया। पूरे दिन निर्जला रही। उसके चारों भाई परेशान थे कि बहन को प्यास लगी होगी, भूख लगी होगी पर बहन चंद्रोदय के बाद ही जल ग्रहण करेगी।

भाइयों से बहन को भूखा-प्यासा देखकर रहा ना गया और उन्होंने शाम होते ही बहन को बनावटी चंद्रोदय दिखा दिया। एक भाई पीपल के पेड़ पर छलनी लेकर चढ़ गया और दीपक जलाकर छलनी से रोशनी छितरा दी। तभी दूसरे भाई ने नीचे से बहन को आवाज दी- देखो बहन, चंद्रमा निकल आया है, पूजन कर भोजन ग्रहण कर लो। बहन ने ऐसा ही किया। भोजन करते ही उसे पति की मृत्यु का समाचार मिला। अब वह दुःखी हो विलाप करने लगी। उस समय वहां से रानी इंद्राणी निकल रही थीं! उनसे उसका दुःख न देखा गया!

वह विलाप करती हुई ब्राह्मण कन्या के पास गई। तब ब्राह्मण कन्या ने अपने इस दुःख कर्म पूछा, तब इंद्राणी ने कहा ! तुमने बिना चंद्रदर्शन किए ही करवा चौथ का व्रत तोड़ दिया इसीलिए यह कष्ट मिला। अब तुम वर्षभर में आनेवाली चतुर्थी तिथि का व्रत नियमपूर्वक करने का संकल्प लो तो तुम्हारे पति जीवित हो जाएंगे! ब्रहामण कन्या ने रानी इंद्राणी के कहे अनुसार चौथ के व्रत का संकल्प किया। इस पर उसका पति जीवित हो उठा और वह पुनः सौभाग्यवती हो गई। इसलिए प्रत्येक स्त्री को अपने पति की दीर्घायु के लिए यह व्रत करना चाहिए। द्रोपदी ने यह व्रत किया और अर्जुन सकुशल मनोवांछित फल प्राप्त कर वापस लौट आए। तभी से हिन्दू महिलाएं अपने अखंड सुहाग के लिए करवा चौथ का व्रत करती हैं।