विरासत संजोने का कमाल का हुनर रखते हैं भारतवासी

0
148

गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दुनिया के तमाम सभ्यताएं एवं संस्कृतियां समाप्त हो गईं लेकिन भारत आज भी हजारों वर्षों की सभ्यता और संस्कृति को संजोए हुए है। तमाम जंझावतों में भी विरासत को संभालने का कमाल हिंदुस्तानियों के पास है। श्रीराम हजारों वर्ष पूर्व अवतरित हुए थे लेकिन उनकी हजारों वर्षों की परंपरा से हर भारतीय आज भी जुड़ा हुआ है। विरासत को संभालने की परंपरा और इसके लिए हर स्तर के संघर्ष का ही प्रतिफल है कि 22 जनवरी को अयोध्या में प्रभु श्रीराम एक बार फिर अपने भव्य मंदिर में विराजमान होने जा रहे हैं।

सीएम योगी गोरखपुर महोत्सव 2024 के समापन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अपने इतिहास, लोक परंपरा और लोक संस्कृति को संजोना भारत की विशेषता है। संरक्षण की यही भावना भारत को बनाए हुए है। उन्होंने कहा कि अयोध्या को लक्षित कर संस्कृति और आस्था पर आघात करने वालों को परास्त और पददलित कर उनका भारतीयों ने नामोनिशान मिटा दिया और आज हम प्रभु श्रीराम के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के साक्षी बनने जा रहे हैं। हमारे पर्व व त्यौहार अद्भुत हैं। इनके जरिए उन लोगों तक भी भारतीय संस्कृति का संचार होता है जो किन्हीं कारणों से इसे जानने से वंचित रह गए । दीपावली, होली, रामनवमी, महाशिवरात्रि, रक्षाबंधन जैसे पर्व इसके उदाहरण हैं। इन सभी पर्वों में विशेष संदेश निहित है। इसी तरह महोत्सव को भी संदेश देने का वाहक बनना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अयोध्या में हजारों वर्ष पहले भगवान राम का प्रकटीकरण हुआ फिर भी उस परंपरा को आज भी हर भारतवासी अपने मन में समेटकर रामनवमी के साथ जुड़ता है। रामनवमी पर वर्ष 2023 में अयोध्या में 35 लाख लोग आए। अयोध्या में तब न रेल सेवा अच्छी थी न एयरपोर्ट था। सड़के भी निर्माणधीन थीं। आज तो अयोध्या फोरलेन एवं सिक्स लेन की कनेक्टविटी, रेल की डबल लाइन और एयरपोर्ट से जुड़ चुका है। नये एयरपोर्ट पर एक साथ 8 विमान लैण्ड कर सकते है। आज वहां धर्मशाला एवं अच्छे होटल भी उपलब्ध हैं। कुम्भ की तरह एक टेंट सिटी भी बसाई जा रही है। इसी प्रकार श्री कृष्ण जन्मोत्सव का कार्यक्रम भी होता है। 5 हजार वर्ष बाद भी हम उसी उत्साह से अपनी परम्परा को मनाते हैं। रात्रि के 12 बजे हर जनपद, हर घर एवं हर थाने, मंदिर, में कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाता है। जेल भी इस उत्सव का मंच बनता है और ऐसा केवल भारत में ही होता है।

आध्यात्मिक, सांस्कृतिक व प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न है पूर्वी उत्तर प्रदेश : मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरखपुर और पूर्वी उत्तर प्रदेश सांस्कृतिक व आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध रहा है। बाबा गोरखनाथ ने अपनी साधना स्थली के रूप में गोरखपुर को चुना था। भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बनी यहां से 90 किमी की दूरी पर है। उनका परिनिर्वाण स्थल गोरखपुर से 60 किमी दूर कुशीनगर में है। संतकबीर का जन्म काशी में हुआ किन्तु अंत समय में वे मगहर आ गये। गोरखपुर से अयोध्या की एवं काशी की दूरी भी मात्र कुछ घण्टो की है। सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध यह क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों से भी भरपूर है। यह क्षेत्र मीठे जल की प्रचुरता से समृद्ध है। यहां की भूमि बेहद उर्वर है। धरोहर से सम्पन्न इस क्षेत्र के बारे में सबको एहसास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पलायन की बजाय संघर्ष की प्रकृति पैदा की जानी चाहिए। परिश्रम व पुरूषार्थ का भाव होना चाहिए।

सफलता का परचम लहरा रहा गोरखपुर महोत्सव : सीएम योगी ने कहा कि यह प्रसन्नता का क्षण है कि गोरखपुर महोत्सव सफलता के परचम को लहरा रहा है। महोत्सव में अनेक कलाकरों ने अपनी प्रस्तुति देकर गोरखपुर एवं पूर्वी यूपी की जनता का इस भीषण शीतलहर में भी मनोरंजन करके उत्साहवर्धन किया। महोत्सव के पीछे की धारणा भी यही है कि हम लोक परंपरा व लोककला को प्रोत्साहित करें। नए कलाकारों को मंच प्रदान कर उन्हें आगे बढ़ने को प्रेरित करें। गोरखपुर महोत्सव को गोरखपुर के नामकरण, इसकी विकास यात्रा, इसके महानायकों की थीम के साथ इसे आगे बढ़ाया गया है। गोरखपुर का आधुनिक विकास, नयापन एवं आजादी के लड़ाई में यहां के महानायको का योगदान आदि का उल्लेख भी इस महोत्सव के माध्यम से देखने को मिला है।

विकास में गोरखपुरवासियों ने नहीं आने दी कोई भी बाधा : सीएम योगी ने कहा कि आज एक नया गोरखपुर है। गोरखपुर के विकास में सभी नागरिकों ने भी सकारात्मक भाव के साथ योगदान दिया है। किसी भी स्तर पर नकारात्मकता नहीं आने दी है। उसी का परिणाम है कि आज 5 वर्ष बाद जो गोरखपुर आता है वह यहां के विकास से आश्चर्यचकित हो जाता है। आज यहां इन्फ्रास्ट्रक्चर भी है तो पर्यटन के लिए खूबसूरत रामगढ़ताल भी है। स्वास्थ्य का अच्छा केन्द्र एम्स और बीआरडी मेडिकल कालेज के साथ आयुष विश्वविद्यालय भी है। आज गोरखपुर में 4 विश्वविद्यालय हैं। आने वाले समय में और भी नयी संभावनाएं यहां आ रही है। औद्योगिक विकास, युवाओं के लिए स्किलिंग सेंटर की स्थापना के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में भी एक नये हब के रूप में गोरखपुर को स्थापित करने की कार्यवाही तेजी से आगे बढ़ रही है। यह सभी संभावनाएं गोरखपुरवासियों के सहयोग से आगे बढ़ रही हैं।

मच्छर माफिया के साथ इंसेफेलाइटिस का भी उन्मूलन : मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले गोरखपुर की पहचान माफिया व मच्छर से होती थी। लोग गोरखपुर को शंका की दृष्टि से देखते थे। आज माफिया व मच्छर की समाप्ति के साथ इंसेफेलाइटिस का भी उन्मूलन हो चुका है। विगत 40 वर्षो में 50 हजार बच्चों की मौत इस बीमारी से हुयी थी। आज इसे नियंत्रित कर खत्म किया जा चुका है। यह उपलब्धि हमारी प्रगति का मापक बनेगा।

समाज आगे, सरकार उसके पीछे रहे तभी प्रगति : सीएम योगी ने कहा कि विकास केवल सरकार का ही कार्य नहीं है बल्कि इसमें समाज को भी आगे आना चाहिए। समाज आगे होगा और सरकार पीछे होगी तो प्रगति होगी। यदि सरकार आगे और समाज पीछे रहेगा तो दुर्गति होगी। समाज को हमेशा नेतृत्वकर्ता के रूप में होना चाहिए तथा सरकार को पीछे से सपोर्ट करना चाहिए। आत्मनिर्भर व्यवस्था ही स्वावलम्बन का आधार बनेगा और स्वावलम्बी समाज ही समृद्धि का आधार। इस प्रगति की दिशा में हम सबको आगे बढ़ना है।

प्राण प्रतिष्ठा को लेकर सीएम ने की अपील : सभी लोगों को मकर संक्रान्ति की बधाई देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मकर संक्रान्ति से लेकर 22 जनवरी तक स्वच्छता अभियान में जुड़ना हम सबका दायित्व है। गोरखपुर को स्वच्छ व प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए आगे आना है। उन्होंने कहा कि जिस तरह हम दिवाली व अन्य मांगलिक अवसर पर अपने घर की साफ सफाई करते है वैसे ही मकर संक्रान्ति के अवसर पर साफ सफाई करेंगे। 16 जनवरी से हर घर व देव मंदिर में रामनाम संकीर्तन का पाठ करें। 22 जनवरी को भगवान श्रीराम के प्राण प्रतिष्ठा के दिन घर की साफ सफाई के बाद अयोध्या से सीधा प्रसारण अपने घर या मंदिरों पर स्क्रीन लगाकर देंखे। उन्होंने कहा कि कई पीढ़ियों के संघर्ष के लगभग 500 वर्षो के बाद यह सुअवसर आया है। यह हमारे लिए सौभाग्य की बात है कि हम भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा व लीला का अवतरण अपने आंखो से देखेंगे। उस दिन प्रभु की पूजा, प्रसाद एवं गर्म कपड़ों के वितरण के साथ ग्रीन आतिशबाजी भी करें। कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद 24 जनवरी को उत्तर प्रदेश का स्थापना दिवस भी मनाया जायेगा। इसी दिन 1950 में प्रदेश का नामकरण हुआ 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर संविधान के प्रति निष्ठा के साथ अपने नागरिक जिम्मेदारी को समझने का अवसर होगा। उन्होंने कहा कि यदि सभी प्रदेशवासी इन सबसे से जुड़ते हैं तो यह न केवल हमारे लिए बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए भी सुखदायी एवं मंगलदायी होगा।