बौद्धिक संपदा में बहुत पिछड़ा है भारत… !

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स्वर्णिम इतिहास रहा है भारत का, यह निर्विवाद है। पर कड़वा सच यह भी है कि आधुनिक युग में विकास-उन्नति के जो पैमाने हैं उनकी कसौटी पर हम खरे नहीं उतरते। बौद्धिक संपदा अर्थात इंटेलेक्च्युअल प्रापर्टी (आईपी) के वैश्विक मानचित्र में भारत देश को ढूंढ़ने के लिए एक अदद दूरबीन की आवश्यकता पड़ती है। विश्व का दूसरा सबसे बड़ी आबादी वाला देश होते हुए भी बौद्धिक संपदा में ‘गरीबी रेखा’ से नीचे के स्तर पर भारत का होना स्वसिद्ध है।

डिजिटलीकरण, आविष्कार और टेकनाॅलाॅजी में हम अपने को अपमानजनक स्थिति में पाते हैं, क्योंकि इनका सीधा संबंध बौद्धिक संपदा से है। चीन, अमेरिका, जर्मनी, जापान तो हैं हीं, द.कोरिया जैसे देश आईपी के क्षेत्र में बहुत बहुत आगे निकल चुके हैं और हम इधर से फार्मूला ले आए तो उनकी बूढ़ी पड़ गई टेकनाॅलाॅजी को अपनाकर समृद्धता का पहाड़ा पढ़ते चले आए, कहीं की वित्तीय प्रणाली तो किसी मुल्क का आर्थिक माॅडल भा गया, किसी की शिक्षा पद्धति की काॅपी करके देश को आगे बढ़ाने के मौके देने का सिलसिला अब भी यथावत जारी रखे हैं। उधारी की तकनीक अपनाना आसान है परंतु खुद का शोध-अनुसंधान करने में पूंजी, श्रम और धैर्य लगाने की आदत डाले बिना ऐसे ही चलेगी अपनी गड्डी।

आईपी अधिकारों के संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र् ने 1967 में वर्ल्ड इंटेलेक्च्युअल प्राॅपर्टी ऑर्गनाइजेशन की स्थापना की थी। पिछले पांच दशकों में जागरूक देश कहां से कहां जा पहुंच गए। दुनिया के 151 देशों की संकलित सूचनाओं का विश्लेषण बताता है कि साल 2019 के दौरान विश्व में कुल 15 लाख पेटेंट दिए गए, इनमें से सर्वाधिक 30 फीसद या 445280 पेटेंट चीन के खाते में आए, 23.62 फीसद हिस्सेदारी के साथ या 354430 पेटेंट लेकर अमेरिका दूसरे पायदान पर, 12 फीसद अर्थात 179910 पेटेंट प्राप्त कर जापान तीसरे नंबर पर रहा, द.कोरिया 8.37 फीसद या 125661 पेटेंट और यूरोप को 137782 पेटेंट गए। 2018 की तुलना में 2019 में दिए गए पेटेंट की कुल संख्या में 5.5 फीसद इजाफा दर्ज किया गया।

ऑर्गनाइजेशन के आकड़ों के अनुसार 2019 में पेटेंट के लिए विश्व भर में कुल 3224200 आवेदन किए गए जोकि साल 2018 में किए गए कुल 3325400 आवेदनों के मुकाबले 3 फीसद कम रहे। यह गिरावट चीनियों द्वारा किए गए आवेदनों की संख्या में आई भारी कमी के कारण हुई। पिछले 24 सालों में पहली बार चीनियों द्वारा किए गए आवेदनों में गिरावट आई। चीन को अलग करके देखें तो 2019 में विश्व में किए गए कुल पेटेंट आवेदनों की संख्या में 2.3 फीसद की बढ़ोतरी पाई गई। इस आकड़े से वैश्विक स्तर पर चीन का वजन, रुतबा आसानी से समझा जा सकता है।

चीन की फर्राटेदार तरक्की का इतिहास कोई सदियों का नहीं सिर्फ तीन दशकों में सिमटा है, आज भी हम पसंघा ही हैं, अपने को तुर्रमशाह समझें तो समझते रहें। यही स्थिति औद्योगिक डिज़ाइन और पौधों की नई किस्मों के लिए वैश्विक स्तर पर 2019 में क्रमश: 1360900 व 21430 आवेदन किए गए जो 2018 में क्रमश:1343800 और 19880 के मुकाबले में 1.3फीसद व 7.8 फीसद अधिक हैं। 2019 में कुल पेटेंट आवेदनों (3224200) में करीब 14 लाख आवेदन चीन से, अमेरिका से 6.21 लाख, जापान से 3.07 लाख, द.कोरिया से 2.18 लाख और यूरोप से 1.81 लाख आवेदन किए गए।

विश्व में कुल आवेदनों में 84 फीसद से भी अधिक आवेदन सिर्फ इन पांच देशों के हैं। अपने देश में कृषि, औद्योगिक , जैव, स्वास्थ, भूगर्भ, सामुद्रिक और यहां तक कि वित्त-बैंकिंग क्षेत्र में रिसर्च संस्थान सक्रिय हैं लेकिन जरूरत पड़ने पर विदेशी ढांचे को हूबहू लाकर अपने यहां के नियामकीय संस्थानों को देसी लिबास ओढ़ाकर खड़ा करने की परंपरा रही है। इतने विशाल भारत सिर्फ और सिर्फ चार मेट्रो शहरों- मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और दिल्ली में पेटेंट कार्यालय खुले हुए हैं।

देश में आईपी से संबंधित समग्र क्रियाकलाप महानियंत्रक के अधीन रहते हैं, महानियंत्रक एक आईएएस अधिकारी होता है। आईपी महानियंत्रक वाणिज्य मंत्रालय के औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग के अंतर्गत आता है।‌‌ कहने को अपने देश की आबादी 138 करोड़ है, इस पर बमुश्किल 53627 पेटेंट आवेदन आए 2019 में, मतलब -प्रति 25733 व्यक्ति पर 1 आवेदन का औसत आया। 144 करोड़ की आबादी पर प्रति 1028 व्यक्ति पर औसतन 1आवेदन, अमेरिका की आबादी 33 करोड़ है और 532 व्यक्ति का औसत, जापान की आबादी 13 करोड़, 423 व्यक्ति का औसत और 5.12 करोड़ आबादी वाला द.कोरिया में मात्र 234 व्यक्ति के औसत से 1आवेदन आया। जर्मनी से कुल 67434 आवेदन, रूस से 35511, कनाडा से 36488 और आस्ट्रेलिया से 29758 पेटेंट आवेदन 2019 में किए गए।

भारत पेटेंट स्वीकृति के मामले में लगातार चार वर्षों से आशातीत प्रदर्शन करता आ रहा है। यह पेटेंट देने के मामले में 2018 में विश्व के 150 देशों की सूची में 10वें पायदान पर था। 2019 में 69.5 फीसद की बढ़त दर्ज करते हुए उछलकर 9वें स्थान पर पहुंच गया, जर्मनी वैश्विक रैंकिंग में 2018 में 9 वें स्थान से बढ़ कर 2019 में 7 वें पायदान पर आ टिका।

विश्व में लागू कुल पेटेंट की संख्या 2018 के मुकाबले 7 फीसद इजाफे के साथ 2019 में 1.5 करोड़ पार कर गई, सर्वाधिक 31 लाख पेटेंट अमेरिका में, 27 लाख पेटेंट चीन में और 21 लाख पेटेंट जापान में लागू हैं, भारत में लागू पेटेंटों की संख्या 76556 है। पेटेंट कार्यालय सूत्रों का कहना है कि स्टाफ काफी कम होने से कार्यदबाव जरूरत से ज्यादा रहता है, पे पैकेज असंगत है। कर्मियों के प्रमोशन की नीतियां त्रुटिपूर्ण हैं और पक्षपात तो बहुत है।

आईपी क्षेत्र के बारे में देश में जागरूकता का नितांत अभाव तो है। बताया गया कि आवेदकों से फीस की दर तर्कसंगत नहीं है, इससे आवेदक हतोत्साहित होते हैं। प्रचुर वित्तीय संसाधनों के होते हुए ये समस्यायें नहीं होनी चाहिए। 2017-18 में 153.58 करोड़ रु. और 2018-19 में 188.31 करोड़ रु.के कुल खर्च की तुलना में आईपी महानियंत्रक कार्यालय को उक्त 2 वर्षों में क्रमश:769.73 करोड़ रु. और 862.93 करोड़ रु. का राजस्व प्राप्त हुआ, बचने वाली धनराशि कहां जाती है?

प्रणतेश नारायण बाजपेयी