फसल बर्बाद होने पर 30 दिन में मिलेगी सहायता राशि

0
294

लखनऊ। प्रदेश के कुछ हिस्सों में सितंबर-अक्टूबर के दौरान हुई अतिवृष्टि के चलते किसानों को हुए नुकसान के प्रति योगी सरकार आवश्यक कदम उठा रही है। सरकार की ओर से कमेटी बनाकर किसानों के नुकसान का सर्वे और उसकी क्षतिपूर्ति की कार्यवाही प्रगति पर है। इस बीच, सरकार ने किसानों को एक और राहत दी है। सरकार की ओर से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध बीमा कवर प्रदान करने के लिए समयावधि को तय किया गया है।

बीमा कंपनियों को अब किसान के क्लेम आवेदन के बाद सभी कार्यवाही पूरी करते हुए अधिकतम 30 दिन में तात्कालिक सहायता राशि या संपूर्ण बीमित राशि मुहैया करानी होगी। अतिवृष्टि के कारण फसलों के खराब होने से निराश किसानों को सरकार के इस आदेश से बड़ी राहत मिलेगी। अपर मुख्य सचिव (कृषि) देवेश चतुर्वेदी ने सभी जनपदों के जिलाधिकारियों को इस आशय का आदेश जारी किया है और अधिसूचना में निर्धारित प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना प्रदेश में ग्राम पंचायत को इकाइ मानते हुए लागू की गई है। इसके अंतर्गत प्रदेश में खरीफ एवं रबी में प्रमुख फसलों को अधिसूचित किया गया है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत यदि फसलों की क्षति दैवीय आपदा के कारण होती है तो कई परिस्थितियों में बीमा कवर प्रदान किया जाता है। इसमें सबसे पहले मध्यावस्था क्षति के तहत बीमित राशि प्रदान की जाती है। मध्यावस्था फसल की प्रारंभिक अवस्था से लेकर फसल कटाई के 15 दिन पूर्व तक मानी जाती है। इस दौरान प्रतिकूल मौसमीय स्थितियों के कारण फसल की अनुमानित उपज से सामान्य उपज की तुलना में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी की स्थिति में जनपद के राजस्व व कृषि विभाग के कार्मिकों द्वारा फसल में क्षति की सूचना 3 कार्य दिवस के अंदर डीएम या उप कृषि निदेशक को लिखित रूप से देनी होती है।

सूचना प्राप्त होने के 7 कार्य दिवस के अंदर डीएम या उप कृषि निदेशक कार्यालय द्वारा प्रभावित ग्राम पंचायत के संबंध में सूचना लिखित रूप से बीमा कंपनी को उपलब्ध कराई जाएगी। जनपद स्तर पर राजस्व, कृषि विभाग एवं बीमा कंपनियों के अधिकारियों की गठित टीम द्वारा आपदा के 15 दिनों में संयुक्त सर्वेक्षण करते हुए क्षति का आंकलन किया जाएगा। इसके बाद सूचना प्राप्त होने के 30 दिन के अंदर ग्राम पंचायत में प्रभावित फसल के बीमित किसान को तात्कालिक सहायता के रूप में क्षतिपूर्ति प्रदान की जाएगी। इस तात्कालिक सहायता को मौसम के अंत में फसल कटाई प्रयोगों के आधार पर फसल की आंकलित कुल देय क्षतिपूर्ति की धनराशि में समायोजित किया जाएगा।

स्थानीय आपदाओं में 15 दिन में क्षतिपूर्ति : ओलावृष्टि, जलभराव (फसल धान को छोड़कर), भूस्खलन, बादल फटना, आकाशीय बिजली से उत्पन्न आग जैसी स्थानीय आपदाओं से फसलों की क्षति की स्थिति में किसानों को 72 घंटे के अंदर व्यक्तिगत दावा कंपनी को प्रस्तुत किया जाना होगा। दावे में किसानों को ग्राम पंचायत, प्रभावित खेत का खसरा नंबर, फसल व प्रभावित क्षेत्र का विवरण देना होगा। सूचना प्राप्त होने के 48 घंटे के अंदर बीमा कंपनी को सर्वेयर की नियुक्ति करनी होगी। अगले 10 कार्य दिवस में सर्वेयर डीएम या उप कृषि निदेशक द्वारा क्षेत्रीय स्तर पर नामित राजस्व व कृषि विभाग के अधिकारी व संबंधित किसान की उपस्थिति में क्षति का आंकलन करेगा। इसके बाद बीमा कंपनी द्वारा 15 दिवस के अंदर आपदा की स्थिति तक फसल की उत्पादन लागत में हुए व्यय के अनुरूप बीमित किसान को क्षतिपूर्ति का भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा। इसके अलावा, फसल कटाई के उपरांत आगामी 14 दिनों तक खेत में सुखाई हेतु रखी फसल को ओलावृष्टि, चक्रवात, बेमौसम या चक्रवाती वर्षा से क्षति पर भी बीमा कवर प्रदान किया जाएगा।

डीबीटी के माध्यम से सीधे खाते में पहुंचेगी राशि : प्रत्येक इकाइ क्षेत्र में अधिसूचित फसलवार गारंटीड उत्पादकता का निर्धारण नियमानुसार फसल विशेष मौसम की शुरुआत में ही किया जाता है। यदि वर्तमान में फसल की उत्पादकता निर्धारित गारंटीड उत्पादकता से एक ग्राम भी कम पाई जाती है तो गारंटीड उत्पादकता के सापेक्ष कमी के प्रतिशत का आंकलन करते हुए उसका बीमित राशि से गुणा करने पर जो धनराशि प्राप्त होती है उसे क्षति के रूप में अधिसूचित ग्राम पंचायत के समस्त बीमित किसानों को उनके खातों में डीबीटी के माध्यम प्रेषित किया जाएगा। इसके लिए जनपदों में विभिन्न फसलों पर क्रॉप कटिंग प्रयोग सीसीई एग्री एप के माध्यम से नियमानुसार संपादित करना जरूरी होगा एवं डीएम व अन्य अधिकारी क्रॉप कटिंग प्रयोग का मौके पर स्वयं निरीक्षण करेंगे।