दुधवा, कतर्नियाघाट और चूका के लिए हेलीकॉप्टर सेवा

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दुधवा, कतर्नियाघाट और चूका जैसे इको टूरिज्म के स्थलों पर सुगम आवागमन के लिए शुरू करें हेलीकॉप्टर सेवा……मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश राज्य वन्य जीव बोर्ड की 16वीं बैठक….वन्य जीवों की सेवा में लगे पशु चिकित्सकों का कैडर बनाएं……नेपाल से सटे इलाकों में नेपाली संचार कंपनियों का नेटवर्क आना गंभीर….इको टूरिज्म स्थलों पर स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित कर बनाएं गाइड…वन्य जीवों के साथ क्रूरता बड़ा अपराध, कोई भी दोषी मिले तो करें कठोर कार्रवाई…….सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग इतिहास के अनेक रहस्यों को संजोये हुए है, यहां पुरातात्विक उत्खनन आवश्यक…….

● मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की अध्यक्षता में उत्तर प्रदेश राज्य वन्य जीव बोर्ड की 16वीं बैठक संपन्न हुई। बैठक में प्रदेश की जैव विविधता को संरक्षित करने और इको पर्यटन की संभावनाओं को विस्तार देने सहित अनेक महत्वपूर्ण विषयों पर मुख्यमंत्री द्वारा दिशा-निर्देश दिए गए…

● दुधवा नेशनल पार्क, कतर्नियाघाट वाइल्डलाइफ सेंचुरी एवं पीलीभीत टाइगर रिजर्व के चूका जैसे इको टूरिज्म के स्थलों पर सुगम आवागमन हेतु हेलीकॉप्टर सेवा एवं 4 लेन रोड कनेक्टिविटी की सुविधा हो। ऐसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों पर स्थानीय लोगों को गाइड के रूप में प्रशिक्षित कर नियोजित करने, सैलानियों के ठहरने की उत्तम व्यवस्था विकसित कर टूरिज्म का माहौल बनाने पर जोर दिया जाए।

● पशु-पक्षियों का संरक्षण-संवर्धन हमारी संस्कृति का अंग है। प्रदेश में हर साल एक तय समय पर बड़ी संख्या में साइबेरियन पक्षियों का आगमन होता है। इनकी सुरक्षा हम सबकी साझी जिम्मेदारी है। इन पक्षियों अथवा अन्य पशु-पक्षियों के साथ क्रूरता/अमानवीयता स्वीकार नहीं है। ऐसी हर एक घटना के दोषियों के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई की जाएगी।

● गंगा की निर्मल एवं अविरल धारा के विकास एवं उनके संरक्षण हेतु किए जा रहे कार्यों से डॉल्फिन की संख्या में आशातीत बढ़ोतरी हुई है। इसी प्रकार, घाघरा, चंबल, सरयू, गेरुआ आदि अन्य नदियों में भी पाई जाने वाली डॉल्फिन व अन्य जीवों को संरक्षण देते हुए उनके संवर्धन का प्रयास किया जाए। इसके लिए स्थानीय ग्रामीणों को जागरूक करते हुए डॉल्फिन मित्र बनाया जाए। भारत सरकार से भी इस कार्य में आवश्यक सहयोग लिया जा सकता है।

● नदियों में बढ़ती गाद एवं बाढ़ की समस्या के दृष्टिगत उनकी ड्रेजिंग का सतत जारी रखा जाना चाहिए। इससे गांवों के कटान में कमी आएगी, साथ ही, वनों एवं वन्य जीव की सुरक्षा की जा सकेगी। आय में वृद्धि भी होगी।

● वन्य जीवों की चिकित्सा-सेवा में लगे पशु चिकित्सकों का कैडर बनाया जाए। इन चिकित्सकों का कार्य बड़ा महत्वपूर्ण है। कैडर होने से इन्हें समयबद्ध प्रोन्नति व अन्य लाभ आसानी से मिल सकेंगे।