कोविड : बैक गियर में समूह बीमा योजना

0
981

भारतीय जीवन बीमा निगम मात्र पचास फीसद विकास दर हासिल कर सका

पिछला वित्तीय वर्ष कोविड काल अवश्य रहा परंतु जीवन बीमा कंपनी केनरा एचएसबीसी लाइफ, टाटा आईएआई लाइफ और आदित्य बिड़ला सनलाइफ ने आश्चर्यजनक प्रदर्शन कर दिखाया। कोविड काल निजी क्षेत्र की जीवन बीमा कंपनियों के लिए ज़्यादा फलदायी साबित हुआ।

घरेलू जीवन बीमा उद्योग की समग्र विकास दर की तुलना में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) मात्र पचास फीसद की विकास दर हासिल कर सका। जबकि निजी क्षेत्र ने उद्योग के मुकाबले दोगुना से अधिक और एलआईसी से साढ़े चार गुना से भी ज्यादा बढ़त दर्ज की। लेकिन समूह बीमा योजना के मामले में उद्योग का प्रदर्शन उतना ही निराशाजनक रहा।

घरेलू जीवन बीमा उद्योग में 28 हजार करोड़ रूपए से ज्यादा पूंजी लगी हुई है। भारतीय बीमा नियामकीय और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) से जुटाई गई जानकारी से ये तथ्य सामने आए हैं। वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान घरेलू जीवन बीमा उद्योग ने प्रथम वर्ष प्रीमियम के तौर पर 2 लाख 78 हजार 278 करोड़ रु की आय प्राप्त की, यह वित्तीय वर्ष 2019-20 में प्राप्त धनराशि से 19382 करोड़ रु या 7.49 फीसद अधिक है।

इसके सापेक्ष एलआईसी ने प्रथम वर्ष प्रीमियम आय में सिर्फ 3.48 फीसद बढ़त दर्ज की। एलआईसी 2019-20 में 1 लाख 77 हजार 977 करोड़ रु की तुलना में 2020-21 में 1 लाख 84 हजार 175 करोड़ रु का प्रथम वर्ष प्रीमियम प्राप्त कर सका। वहीं निजी क्षेत्र ने प्रथम वर्ष प्रीमियम आय में 2020-21 के दौरान 16.29 फीसद की बढ़त दर्ज की। इसे 2019-20 में 80 हजार 919 करोड़ के सापेक्ष 2020-21 में 94 हजार 103 करोड़ रु प्राप्त हुए।

वृद्धि की दर काफी कम होते हुए भी एलआईसी ने बाजार पर अपना दबदबा कायम रखा। निजी क्षेत्र की बाजार हिस्सेदारी 2020-21 में (प्रथम वर्ष प्रीमियम) 33.82 फीसद पर सिमटी रही। जबकि 66.18 फीसद बाजार पर एलआईसी काबिज़ रहा। सरकारी क्षेत्र में एलआईसी अकेला उपक्रम है जो जीवन बीमा उपलब्ध कराता है।

दूसरी ओर निजी क्षेत्र में दो दर्जन कंपनियां सक्रिय हैं। इनमें से आठ कंपनियां साल भर में एक हजार करोड़ रु का प्रथम वर्ष प्रीमियम भी प्राप्त नहीं कर सकीं, और इनमें से कई कंपनियों का प्रदर्शन और निराशाजनक रहा। फ्यूचर जनरेली की प्रथम वर्ष प्रीमियम आय 2019-20 में 768 करोड़ रु से लुढ़क कर 2020-21 में 523 करोड़ रु रह गई।

एक्साइड लाइफ की आय 889 करोड़ रु से 781 करोड़ रु, प्रामेरिका लाइफ की 515 करोड़ रु से 228 करोड़ रु, एगाॅन लाइफ की ओर 92 करोड़ रु से 62 करोड़ रु, भारती ऐक्सा लाइफ की 829 करोड़ रु से घटकर 783 करोड़ रु रह गई। इस उद्योग में सर्वाधिक वार्षिक विकास दर 50.79 हासिल करने का चमत्कार केनरा एचएसबीसी लाइफ ने कर दिखाया।

इसकी प्रथम वर्ष प्रीमियम आय 2019-20 में 1528 करोड़ रु से बढ़कर 2020-21 में 2303 करोड़ रु पहुंच गई। टाटा एआईए ने 27.86 फीसद की वृद्धि के साथ आय 3241 करोड़ से 4144 करोड़ रु, आदित्य बिड़ला सनलाइफ ने 24.81 फीसद वृद्धि लेते हुए 3657 करोड़ रु से 4564 करोड़ रु के स्तर पर पहुंचाने में सफलता प्राप्त की। मैक्स लाइफ की 5584 करोड़ से 22.27 फीसद बढ़कर 6827 करोड़ रु, एसबीआई लाइफ की आय 24.31 फीसद बढ़कर 2020-21 में 20625 करोड़ रु हो गई, 2019-20 में 16592 करोड़ रु हुई थी।

बजाज एलियांज का प्रदर्शन भी अच्छा रहा। इसकी आय 5179 करोड़ से 21.90 फीसद बढ़कर 6313 करोड़, एचडीएफसी लाइफ की 16.36 फीसद बढ़कर 17396 करोड़ से 20242 करोड़ रु होना सराहनीय प्रदर्शन है।

उद्योग ने बेशक प्रीमियम आय में कुल मिलाकर अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन इसके बिलकुल उलट समूह बीमा योजना के अंतर्गत प्रदर्शन अत्यंत निराशाजनक रहा। समूह बीमा योजना के अंतर्गत एलआईसी का प्रदर्शन उद्योग में आई गिरावट से भी ज्यादा खराब परिणाम आए।

उद्योग ने समूह बीमा योजना के अंतर्गत 2019-20 में 22 करोड़ 78 लाख 67 हजार की तुलना में 2020-21 में 21.10 फीसद कम अर्थात 17 करोड़ 97 लाख जीवन बीमित किए। एलआईसी का आंकड़ा 4 करोड़ 5 लाख से 22.12 फीसद घटकर 2020-21 में 3 करोड़ 15 लाख पर सिमट गया।

निजी क्षेत्र की जीवन बीमा कंपनियों की समूह बीमा योजना का भी कमोबेश वैसा ही नकारात्मक प्रदर्शन रहा। इसने 2019-20 में 18 करोड़ 73 लाख 37 हजार की तुलना में 2020-21 में 20.87 फीसद कम अर्थात 14 करोड़ 82 लाख 32 हजार बीमित किए।

प्रणतेश नारायण बाजपेयी