सदन में गूंजी चौपाई और कविता, हुई हास्य परिचर्चा भी

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सीएम योगी के तेवरों से विपक्ष हुआ पसीना-पसीना, कई मामले में विपक्ष को दिखाया आईना

उन्नाव-हाथरस मामले में पाकिस्तान और बांग्लादेश से हुए थे ट्विट

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तेवरों से विपक्ष पसीना-पसीना हो गया। उन्होंने कई मामले में विपक्ष को आईना भी दिखाया। वह किसी विषय पर नरम दिखे, तो किसी विषय पर उनके तेवर काफी तल्ख थे। उन्होंने सदन में चौपाई और कविता भी सुनाई, तो हास्य परिचर्चा भी की। कई बार पूरा सदन ठहाकों से गूंज उठा। इस दौरान उन्होंने कई किस्से भी सुनाए।

सीएम योगी ने अपने भाषण की शुरूआत राज्यपाल के अभिभाषण से की। इस दौरान उन्होंने 18 साल पहले का एक प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि उस समय प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी थे और एक बैठक चल रही थी। एक सांसद दौड़े-दौड़े आए और कहा कि हमें लेट हो गया। हम ट्रेन से आ रहे थे, तब तक एक सज्जन आए और कहा कि मैं फला पार्टी का नेता हूं। इतना सुनते ही पब्लिक उस पर टूट पड़ी। किसी तरह उसे बचाकर लाया हूं। यह स्थिति क्यों पैदा हो रही है? यह क्षरण क्यों हुआ है कोई बात तो होगी ही।

उन्होंने कहा कि मुझे अज्ञेय की कुछ पंक्तियां याद आ रही हैं… ‘सर्प तुम कभी नगर नहीं गए, नहीं सीखा वहां बसना। फिर कहां से तुमने विष पाया, और कहां से सीखा डसना’। उन्होंने कहा कि क्या हम अपने आचरण से इन संवैधानिक व्यवस्थाओं को क्षति नहीं पहुंचा रहे हैं। इस दौरान सदन में सन्नाटा छाया रहा।

इसके बाद उन्होंने टोपी को लेकर चुटकी लेते हुए दूसरा प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि मैं एक कार्यक्रम में गया था। अन्नप्राशन के लिए छह महीने का बच्चा था। मैंने जैसे ही उसे उठाया, महिला के साथ ढाई-तीन साल का एक और बच्चा था। इसी दौरान टोपी पहने कुछ लोग विरोध करने आ गए। उन्हें देखते ही बच्चे ने बोला कि मम्मी देखो, गुंडा-गुंडा। इतने छोटे बच्चे के मन में टोपी पहनकर आने वाले के बारे में क्या धारणा है? उनकी यह बात सुनकर पूरा सदन ठठाकर हंस उठा।

अवधपुरी सम प्रिय नहिं सोऊ : उन्होंने कहा कि हम भगवान राम की उस उक्ति को भी चरितार्थ कर रहे थे, तुलसीदास जी ने रामचरित मानस के माध्यम से कहा और जिसे हम बार-बार कहते थे, उस समय लोग विश्वास नहीं करते थे। ‘अवधपुरी सम प्रिय नहिं सोऊ, यह प्रसंग जाने कोऊ कोऊ’। उनके साथ-साथ आधे सदन ने इस चौपाई को दोहराया। उन्होंने कहा कि अवधपुरी के उस महत्व के बारे में देश, दुनिया ने उस महत्व को समझ लिया और अगर राज्यपाल के अभिभाषण में इसका जिक्र हुआ है, तो इसमें कौन सी बुरी बात है। यह तो राष्ट्रीय गौरव का विषय है हमारे लिए और अभी भी कुछ लोग राम नाम से इतना विद्वेष करते हैं, पता नहीं रामायण के कालखंड में राक्षस क्या करते थे? उन्होंने कांग्रेस की विधायक अदिति सिंह को मंदिर निर्माण के लिए अच्छी राशि देने पर धन्यवाद दिया, जिस पर सदन में जय श्री राम के नारे गूंज उठे।

जाति-जाति’ का शोर मचाते केवल कायर क्रूर : सीएम योगी ने महाराज सुहेलदेव के शौर्य और पराक्रम को नमन किया और कहा कि महाराज सुहेलदेव मातृभूमि के लिए लड़े थे। उनके सामने आक्रांता पूरी तरह परास्त ही नहीं हो गए थे, बल्कि 150 वर्षों तक कोई विदेशी हमलावर हमला करने का प्रयास नहीं कर पाया था। उन्होंने कहा कि मुझे महान कवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता याद आती है कि “मूल जानना बड़ा कठिन है नदियों का, वीरों का, धनुष छोड़ कर और गोत्र क्या होता रणधीरों का? पाते हैं सम्मान तपोबल से भूतल पर शूर, ‘जाति-जाति’ का शोर मचाते केवल कायर क्रूर”। यह सुनकर सदन तालियों से गूंज उठा।

हर मामले में अनावश्यक निगेटिव वातावरण प्रस्तुत करने का होता है प्रयास : उन्होंने हर मामले में राजनीति पर कहा कि जो अनावश्यक निगेटिव वातावरण प्रस्तुत करने का प्रयास होता है, हम उसको देखें। अभी हाल ही में उन्नाव में घटना हुई थी। पूरे मामले का पर्दाफाश हो चुका है, लेकिन उसमें कुछ स्वार्थी तत्वों ने क्या रूप देने का प्रयास किया था? क्या हम ऐसे गलत मोड़ देकर किसी बेटी को न्याय दे पाएंगे? जब हम किसी घटना को गलत मोड़ देते हैं और हर मामले में राजनीति शुरू कर देते हैं, तो वह सबसे सुरक्षित माहौल होता है किसी अपराधी को बचने के लिए। यह शरारतपूर्ण प्रयास है, चाहे वह हाथरस के मामले में हो या उन्नाव के मामले में।

क्या बहन बेटियों को दांव पर लगाकर राजनीति होगी? : उन्होंने कहा कि हमने सोशल मीडिया के पूरे मामले को देखा है। 85 फीसदी ट्विट उत्तर प्रदेश के बाहर से थे और दुनिया के उन देशों के भी थे, जो भारत के हितैषी नहीं हैं। पाकिस्तान और बांग्लादेश से ट्विट आए। वे लोग तय करेंगे वहां बैठकर। वहां से संचालित होगी व्यवस्था। उसके अनुरूप यहां पर नेता और राजनीतिक लोग अपना मानस तय करेंगे। सच्चाई को सही रूप में हम प्रस्तुत क्यों नहीं कर पाते हैं। क्यों हम अपनी बहन बेटियों के चित्र को बहुत निगेटिव तरीके से प्रस्तुत करने का प्रयास करते हैं। हर मामले में क्या राजनीति होती है राजनीति के बहुत सारे मुद्दे हैं, लेकिन क्या बहन बेटियों को दांव पर लगाकर राजनीति होगी।