अच्छी सेहत के लिए इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें

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एकाकी और खोए खोए से रहना, सिर में भारीपन सर पकड़ कर बैठे रहना, अलर्टनेस स्मार्टनेस और हंसना-बोलना प्रसन्नता कम हो जाना ऐसी समस्याएं हैं, जो पीड़ित व्यक्ति के जीवन की एक-एक सांस को दुख और कष्टमय बना देती है। डॉ रविंद्र पोरवाल देश के वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य और केंद्रीय आयुष मंत्रालय भारत सरकार के बोर्ड मेंबर है। डॉ पोरवाल ने इन समस्याओं का मूल कारण, निवारण और उपचार पर वैज्ञानिक एवं शास्त्रों ढंग से बहुत ही सुंदर चर्चा की है।

इन लक्षणों को नजरअंदाज ना करें : यह समस्या छुपे रुस्तम की तरह आती हैं और पीड़ित को एहसास ही नहीं होता कि वह बड़ी समस्याओं ही नहीं अनेकों शारीरिक रोगों की गिरफ्त में आने वाला है। शुरू शुरू में कभी-कभी उदासी अकेलेपन की इच्छा किसी से बात करने की इच्छा ना होना और सिर में भारीपन नींद में खराब-खराब सपने आना सपनों में मारपीट, डर-भय, नुकसान, राक्षस, बरसों पहले मरे हुए लोग आदि दिखाई देते हैं। धीरे धीरे यह स्वप्न बढ़ते जाते हैं और व्यक्ति रात्रि मैं सोने के बाद से प्रातः जगने तक पूरे समय सपनों के मायाजाल में ही नींद पूरी करता है।

ऐसी नींद मस्तिष्क को विश्राम नहीं देती। फल स्वरुप सोकर उठने पर थकान, आलस, गुस्सा, उबासी, सिर दर्द के साथ एंजाइटी नेगेटिविटी जैसी समस्याएं सामने आती है। इन लक्षणों के एहसास करते ही शुरुआती दौर में बीमारी को गंभीरता से समझ कर आत्मचिंतन करना चाहिए और पनप रही समस्याओं की जड़ खोज कर उसे सुधार होने के मार्ग पर लाना चाहिए। श्री रामचंद्र मिशन की हार्टफुलनेस ध्यान अमृत की तरह सभी तकलीफों का नाश करता है और पूर्ण आरोग्यमय जीवन जीना सिखाता है। वही ऐसे मामलों में लापरवाही भविष्य के लिए बहुत कष्ट और दुखदाई होती है।

अपने अंदर कारण खोजें : कुतर्कों द्वारा अपने को बहुत ही समझदार काबिल और संपर्क में आए दूसरे लोगों को बेवकूफ मानना, अपने सामाजिक, राजनीतिक, रिश्तो का जबरदस्त अहंकार हो जाना, अपने मित्रों सहयोगीयों और परिजनों से चर्चा और बातचीत में अपने को सुपर हीरो समझना, अपने ऐश्वर्य, धन-संपत्ति, मान-सम्मान, प्रतिष्ठा को बार-बार दूसरों को सुनाना और अपनी मेहनत से बनाई हुई दौलत का सदैव राग अलापना आदि लक्षण वास्तव में मानसिक दुर्बलता के ही लक्षण है। जिन्हें प्रारंभिक अवस्था में ना तो व्यक्ति खुद ना ही घर परिवार के अन्य लोग पहचान पाते हैं और यही भूल विभिन्न मानसिक रोगों एवम समस्याओं का कारक बन कर स्वास्थ्य, धन-संपत्ति, मान मर्यादा सब को प्रभावित कर देती है।

परिजन भी ध्यान दें : परिवार के किसी सदस्य के व्यवहार में परिवर्तन होने पर, आदतों में अचानक बदलाव आने पर या अप्राकृतिक रूप से कभी हंसना, कभी रोना, चिल्लाना, कभी अत्यंत विनम्र और कभी झगड़ने को, लड़ने को हमेशा तैयार रहना, भूलने की बीमारी अचानक हो जाना, पत्नी एवं बच्चों से विमुखता बढ़ना, नींद में बड़बड़ाना और पूरे शरीर को अकड़ कर सोना जैसे परिवर्तन अगर परिवार के किसी सदस्य में दिखाई दे तो इस पर तुरंत प्रभावी उपाय करने की आवश्यकता है।

बिना दवा कारगर उपाय जानिए : श्री रामचंद्र मिशन के हार्टफुलनेस ध्यान के अभ्यास से मस्तिष्क के अंदर डोपामिन, सेरोटोनिन, फिनाइल इथाइल अमीन और ऑक्सीटॉसिन जैसे हारमोंस का बहाव तेज हो जाता है। फलस्वरूप उत्साह, खुशियां, विनम्रता, धैर्य और सकारात्मक चिंतन, शक्तिशाली विचार शक्ति के साथ साथ तुरन्त निर्णय लेने में सक्षमता का एहसास होता है। सच्चाई यह है हार्टफुलनेस ध्यान की अभ्यासी के मस्तिष्क का बाया हिप्पोकेंपस बढ़ता है। जिससे याददाश्त और सीखने की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है। टेंपरो पोरियर जंक्शन सशक्त होने से विनम्रता बढ़ती है। धैर्य आता है और क्रोध कम होता है। क्षमा की भावना पैदा होती है। वही इस ध्यान के अभ्यास करता के मस्तिष्क की चंचलता और भटकाव पोस्टीरियर सिगुलेट कोरटेक्स के सामान्य हो जाने के कारण पूरी तरह ठीक हो जाता है।

यह भी ना भूलिए : हार्टफुलनेस ध्यान के अभ्यासी के मन में अगर दुविधा या शक का भाव होता है। उसका विश्वास अगर डामाडोल रहता है तो पूज्य दाजी जी महाराज की कृपा उस पर नहीं बरसते और उसे पूर्ण लाभ नहीं मिलता लेकिन सच्चाई की बात यह है कि इस ध्यान से कभी भी कोई भी शारीरिक या मानसिक हानि नहीं होती यह ध्यान कि वह पद्धति है जो अभ्यासि का हमेशा कल्याण करती है।भौतिक जीवन को सुधारने के साथ-साथ आध्यात्मिक जीवन में भी यह मोक्ष प्रदान करने वाली पद्धति है। जो सहज है सरल है और बिना एक भी पैसा खर्च किए घर पर बैठकर इसका अलौकिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है।