करें घरेलू उपाय, एसिडिटी से मुक्ति पाएं

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एसिडिटी या अम्लपित्त या पित्त का प्रकोप जिसमें सीने में जलन, खट्टी कड़वी डकारे आना और पेट में गैस बनने जैसी दिक्कतें आती है। देश की बड़ी जनसंख्या इस दुखदाई रोग से पीड़ित है। एसिडिटी से स्थाई रूप से छुटकारा पाने के लिए श्रीनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय भगवत दास घाट कानपुर के मुख्य चिकित्सक डॉ रविंद्र पोरवाल ने बहुत ही सरल सहज और घरेलू उपाय सुझाए हैं।

बीमारी के कारण : सामान्यतः चरपरा मसालेदार तला भोजन जंक फूड और फास्ट फूड इस बीमारी का मूल कारक माना जाता है किंतु एच पाइलोरी जीवाणु भी इस बीमारी का एक बड़ा कारण है।

बार-बार खाना खाना, अधिक मात्रा में चाय कॉफी, कोल्ड ड्रिंक, अचार पापड़ जैसी चीजें खाना, भोजन के साथ खूब पानी पीना, भोजन के बाद शराब पीना या अन्य कोई नशा करना, अनियमित समय पर भोजन करना, खड़े खड़े या आधी लेट कर खाना खाना, बासा खाना खाना, बिना चबाएं खाना खाना, जल्दी-जल्दी खाना निगलना, और खाना खाकर तुरंत लेट जाना या कठोर शारीरिक श्रम करना, अत्यधिक मानसिक तनाव, नींद पूरी ना होना, जैसे अनेको कारण एसिडिटी के जनक माने जाते हैं।

बीमारी के लक्षण : इस रोग की शुरुआत में सुबह उठकर जी मिचलाना, उल्टी की इच्छा होना या मुंह में कड़वा और खट्टा पानी आ जाना जैसे प्रारंभिक लक्षण दिखाई देते हैं। बीमारी पुरानी होने पर खाना खाने के तुरंत बाद उल्टी हो जाना पीला कड़वा खट्टा पित्त उल्टी में निकलना जैसी दिक्कतें सामने आते हैं। किसी किसी को सिर में कील ठोकने जैसा दर्द होता है जो पित्त की उल्टी होने के बाद शांत हो जाता है।

बचाव कैसे करें : इस बीमारी में औषधि से ज्यादा परहेज लाभकारी होता है। गरम मसाला, हरी मिर्ची, लाल मिर्ची, रिफाइंड आयल व किचन के मसाले कम से कम इस्तेमाल करें। प्याज लहसुन, अदरक, टमाटर आदि को रिफाइंड में तल कर भून कर फ्राई करके खाना बंद कर देना चाहिए। अरहर की दाल, छोला, राजमा, साबुत उड़द आदि और आलू की सब्जी में नींबू डालकर खाएं। डिब्बाबंद आहार या पेय से बचना चाहिए।

जीभ के चटकारे और स्वाद पर लगाम लगाएं : आहार हमारे स्वास्थ्य के लिए हमारी दैनिक जीवन की विभिन्न क्रियाकलाप व जैव रासायनिक क्रियाओं के सही ढंग से संचालित होने के लिए आवश्यक सभी तत्वो की की पूर्ति के लिए होना चाहिए। लेकिन आधुनिकता की अंधी दौड़ में भोजन स्वास्थ्यवर्धक के स्थान पर केवल पेट भरने का साधन बन गया है। हमेशा सोच यह रहती है कि भोजन स्वादिष्ट होना चाहिए। चाहे पोस्टिक ना हो। विभिन्न प्रकार के रंग केमिकल्स कीटाणु नाशक भोजन की पौष्टिकता को नष्ट करते हैं और जब ऐसा आहार खाया जाता है तो यह अम्ल, पित्त, एसिडिटी जैसी समस्याएं उत्पन्न करते हैं।

घरेलू उपाय : आधा दूध और आधा पानी मिलाकर फ्रिज में रख ले। आधा चम्मच कच्चा जीरा चबाकर एक कप यह ठंडा दूध पानी दिन में तीन घंटे के अंदर से घूट घूटकर के पी ले। भयंकर अम्ल, पित्त को मिनटों में काबू करने वाला यह सरल उपाय है।

पुदीना का 15 मिलीलीटर रस व हरी धनिया का 30 मिलीलीटर रस दो चम्मच शहद मिलाकर प्रातः खाली पेट व रात्रि सोते समय पीने से अम्ल पित्त की दिक्कत पूरी तरह ठीक हो जाती है।

मुलेठी, गिलोय और आंवला का पाउडर बराबर बराबर मिलाएं। एक चम्मच पाउडर खाना खाने के बाद सुबह शाम ले चमत्कारी लाभदाई नुस्खा है।

अविपत्तिकर चूर्ण 10 ग्राम और 20 ग्राम एलोवेरा का ताजा गूदा के साथ सुबह शाम ले। गुलकंद, घर का बना हुआ आंवले का मुरब्बा अम्ल पित्त रोग में अमृत सदृश्य हितकारी आयुर्वेदिक योग हैं।