विविधतापूर्ण व्यक्तित्व के धनी उद्यमी सत्यनारायण सिंहानिया

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दशकों से किए जा रहे व्यापार के समानांतर बिल्कुल नए तरह के व्यवसाय में भी कामयाब हुआ जा सकता है। जी हां, यह कोरी कहानी या उपन्यास के पात्र का चित्रण नहीं है। व्यावसायिक विविधता की मिसाल बने एक ऐसे ही उद्यमी सत्य नारायण सिंहानिया से मिलाते हैं, जो पिछले 49 वर्षों से कपड़े के पैतृक व्यवसाय के संचालन के साथ व्यापक स्तर पर सामाजिक सरोकारों में सक्रिय भूमिकाएं निभाते ‌ हुए बिल्कुल नए क्षेत्र जीवन बीमा व्यवसाय में सिर्फ उतरे ही नहीं कामयाब होकर प्रेरणास्रोत बन गए हैं।

औद्योगिक नगरी से व्यापार केंद्र में परिवर्तित हुए कानपुर के सत्य नारायण सिंहानिया तीसरी पीढ़ी के तौर पर कपड़े के पैतृक व्यापार में सक्रिय हैं। व्यापार के साथ साथ-साथ एम काॅम किया और एलएलबी की डिग्री हासिल की। विरासत में मिली सकारात्मक सोच, कार्य के प्रति पूर्ण समर्पण और ईमानदारी को संबल बनाकर कपड़ा व्यापार और समाज हित में लगे रहे। ‘सब अपने हैं’ की धारणा पर सामाजिक सरोकारों में भी सक्रिय रहने से सिंहानिया उत्तर भारत के ऐतिहासिक कानपुर कपड़ा बाजार की निर्विवादित शख्सियत माने जाते हैं।

एक शताब्दी के समीप पहुंच रही कानपुर कपड़ा कमेटी के विभिन्न पदों का बखूबी निर्वाह करते हुए अध्यक्ष भी रहे। पिछले पंद्रह वर्षों से कमेटी के चुनाव अधिकारी के रूप में बेदाग भूमिका निभाते आ रहे हैं। वर्ष 1923 में स्थापित कानपुर कपड़ा कमेटी कानपुर के उस कपड़ा उद्योग के स्वर्णिम इतिहास का अभिन्न अंग है और उसके उतार-चढ़ाव की चश्मदीद भी रही है। जिसके दम पर इस नगरी को पूर्व का मानचेस्टर कहा जाता था।

समय की बदली करवट ने तमाम व्यापारों का तो विकेंद्रीकरण कर दिया। इसके बावजूद छोटी-बड़ी दुकानों, कपड़ा मिलों के वितरकों और एजेंट्स को मिलाकर तकरीबन चार हजार एस्टेब्लिशमेंट हैं। जिनके बल पर कानपुर जनरल गंज कपड़ा बाजार का अस्तित्व कायम है। देश भर की कपड़ा फैक्ट्रियों के कार्यालय या वितरण केंद्र अथवा एजेंट की इस बाजार में स्थाई मौजूदगी निश्चित समझिए।

सिंहानिया कानपुर की कई और नामचीन ऐतिहासिक महत्व की सामाजिक, शैक्षिक और धार्मिक संस्थाओं से दशकों से जुड़े रहकर अप्रतिम योगदान देते आ रहे हैं। कानपुर परेड में पिछले 145 वर्षों से भव्य रामलीला का वार्षिक आयोजन करने वाली श्री राम लीला सोसायटी में 39 वर्षों से उपाध्यक्ष पद पर, कानपुर मारवाड़ी समाज (संस्था) में भिन्न वर्षों में चौदह साल अध्यक्ष रहे।

बहुत कम लोगों को यह जानकारी है कि महान साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद्र कानपुर में स्थित श्री मारवाड़ी विद्यालय इंटर कालेज में वर्ष 1924 में प्रिंसिपल रहे। इस गौरवशाली इतिहास को समेटे इस शिक्षण संस्थान की स्थापना 1913 में की गई थी। आज भी विद्यालय के प्राचीन भवन में गौरवगाथा प्रस्फुटित होती महसूस होती है। अन्य संस्थाओं की भांति पुरातात्त्विक महत्व के इस संस्थान को, इसमें अध्ययनरत छात्रों को सिंहानिया की क्षमताओं का लाभ मिल रहा है।

ऐसे परिप्रेक्ष्य में और ऐसे सरोकारों में व्यस्तता के बीच कपड़ा व्यापार से बीमा व्यवसाय में कैसे प्रवेश ‌हुआ? यह पूछने पर बताने लगे’ हमारे एक संबंधी प्रतिष्ठित बीमा कंपनी में अधिकारी हैं। उनसे बीमा पर बहुधा बातचीत होती रहती थी। होते करते 2009 में बीमा व्यवसाय से जुड़ने का मन बना और आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद 2010, फरवरी में टाटा एआईए लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड में इंश्योरेंस एडवाॅयज़र का लाइसेंस प्राप्त किया।

बाकायदा ट्रेनिंग हासिल करने के बाद बीमा करना शुरू कर दिया। शुरुआती दो-तीन सालों में व्यवसाय की गति बहुत धीमी रही, धीरे-धीरे लोगों से मिलने वाली माउथ पब्लिसिटी से आगे बढ़ने में इतना अधिक सपोर्ट मिला, जिसका अनुमान तक नहीं था। कई बार ऐसा भी हुआ जब ग्राहक स्वयं अपनी तरफ से बीमा कराने को उत्सुक मिले। आपने पहली बीमा पॉलिसी कितनी धनराशि की दी थी? यह पूछने पर वह बताते हैं’ पहला प्रीमियम 25000 रु का प्राप्त हुआ था। हम अब तक डेढ़ सौ से अधिक बीमा पॉलिसी दे चुके हैं और प्रति पाॅलिसी प्रथम प्रीमियम औसतन 50 हजार रु से एक लाख रु का रहा है। अब तक किसी एक पाॅलिसी से अधिकतम प्रीमियम कितना प्राप्त किया? जी हां, हमने एक बीमा पाॅलिसी दी थी। जिसका प्रथम प्रीमियम 11 लाख रु मिला था। जीवन बीमा ग्राहकों के निवेश रुझान के बारे में अनुभव साझा करते हुए बताया कि ज्यादातर ग्राहक टर्म प्लान पाॅलिसी लेने के इच्छुक रहते हैं क्योंकि इसमें प्रीमियम अपेक्षाकृत कम और फायदे अधिक रहते हैं।

साल में किए गए नए बीमा व्यवसाय का 40 लाख रु प्रथम प्रीमियम का लक्ष्य निर्धारित किया गया था लेकिन कोविड लाॅकडाउन की वजह से लक्ष्य राशि को घटाकर 30 लाख रु कर दिया गया था। मिलियन डॉलर राउंडटेबल (एमडी आरटी) हासिल करने के लिए दो में से एक शर्त को पूरा करना पड़ता है। पहली बीमा प्रीमियम राशि और दूसरी कमीशन राशि की शर्त। सालभर की अवधि में नए बीमा व्यवसाय पर 7.5 लाख रु का कमीशन प्राप्त करने की शर्त को पूरा करने में वह खरे उतरे।

पिछले पचीस वर्षों के आंकड़ों से पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर सिर्फ लगभग एक प्रतिशत एडवायज़र ही शर्तें पूरी करने में सफल हो पाते हैं। टाटा एआईए लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के शीर्ष अधिकारियों ने लिखित रूप में सिंहानिया के उत्कृष्ट प्रदर्शन पर न केवल इनकी कार्यशैली की प्रसंशा की बल्कि स्वयं कंपनी के गौरवान्वित होने की बात कह कर इनका मान और बढ़ा दिया। यह अपने आप में किसी तमगे से कमतर नहीं है।

टाटा एआईए के वरिष्ठ अधिकारियों ने लखनऊ के नामी होटल में आयोजित भव्य समारोह में सिंहानिया का मिलियन डॉलर राउंड टेबल पुरस्कार के लिए चयन किए जाने के उपलक्ष्य में स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। दरअसल मिलियन डॉलर राउंड टेबल का ‘वैश्विक समारोह 2020’ न्यूज़ीलैंड में सप्ताह पर्यंत आयोजन करने की घोषणा की गई थी। जिसमें सिंहानिया समेत देश-विदेश के मिलियन डॉलर राउंड टेबल सदस्यों को सम्मिलित होने के लिए निमंत्रित किया गया था। पर कोविड के दोबारा संक्रमण के कारण भौतिक आयोजन टलता जा रहा है। हालांकि इसे वर्चुअल स्तर पर संपन्न किया जा चुका है।

प्रणतेश नारायण बाजपेयी