देविकुलम हिल स्टेशन : एक मखमली एहसास

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दक्षिण भारत का केरल भी प्राकृतिक सौन्दर्य एवं मनोरम स्थलों से लबरेज है। कहीं मखमली घास की चादर बिछी दिखती है तो कहीं इन्द्रधनुषी पर्यावरण की शानदार छवि। केरल तो वैसे भी प्राकृतिक सौन्दर्य का एक विशिष्ट पर्याय है। सैर-सपाटा के लिए केरल का ‘देविकुलम हिल स्टेशन” खास तौर से देश-दुनिया के घुमक्कड़ों एवं पर्यटकों को लुुभाता है। ‘देविकुलम हिल स्टेशन” जिला इडुक्की के मुन्नार से करीब आठ किलोमीटर दूर एक सुन्दर पिकनिक स्पॉट है। जीव जन्तुओं की एक श्रंखला सी यहां कुलांचे भरते दिखेगी।

मखमली घास के बड़े मैदान-बड़े लॉन एक अनोखे आनन्द की अनुभूति कराते हैं। देश-विदेश की वनस्पतियां सुगंध से मन-मस्तिष्क को तरोताजा कर देती हैं तो वनस्पतियों की सुगंध स्वास्थ्य संवर्धक भी महसूस होती है। इसी के निकट ही सीता देवी झील भी है। श्रद्धा, आस्था एवं विश्वास के साथ ही यह झील प्राकृतिक सौन्दर्य का एक विशिष्ट आयाम भी है। झील का जल निर्मल अर्थात मोती सा चमकता है। निर्मल जल देख कर एक बारगी जलक्रीड़ा करने या जल से अठखेलियां करने का मन अवश्य होगा। झील में विभिन्न प्रजातियों की मछलियों का कुलंाचें भरना मनभावन प्रतीत होता है। सघन वन क्षेत्र में पक्षियों का कलरव बेहद कर्णप्रिय लगता है। ‘देविकुलम हिल स्टेशन” भले अत्यधिक बड़ा क्षेत्र न हो लेकिन मनभावन अवश्य है।

समुद्र तल से यह हिल स्टेशन करीब पांच हजार नौ सौ फुट के शीर्ष अर्थात ऊंचाई पर है। ‘देविकुलम” का शाब्दिक आशय यह है कि देव एवं कुलम का प्रवास एवं संयोजन है। इसे यूं भी कह सकते है कि यह मनोरम क्षेत्र देव स्थान है। साथ ही सौन्दर्यबोध से परिपूूरित भी है। विशेषज्ञों की मानें तो ‘देविकुलम” पौराणिक कथाओं से ताल्लुक रखता है। रामायणकाल में देवी सीता ने देविकुलम झील में स्नान किया था। इस झील को सीता झील कहा जाता है। यह किवदंती राम वनवास काल की है। इसी के साथ ही देविकुलम श्रद्धा, आस्था एवं विश्वास का स्थल बन गया। झील की निर्मलता पर्यटकों को आकर्षित करती है। विशेषज्ञों की मानें तो झील का जल भी विशिष्ट है। खनिज एवं  आैषधीय तत्वों से युक्त झील का जल उपचार में भी काम आता है। खनिज एवं आैषधीय वनस्पतियों के रसायनिक तत्व इस झील के जल में घुलते-मिलते रहते है। लिहाजा झील में स्नान करना रोगों से निजात दिलाता है। खास यह है कि  झील का जल मौसम के अनुसार सर्दियों में गुनगुना एवं गर्मियों में शीतल होता है। इसी इलाके में मैटपट्टी एक अन्य झील भी है।

‘देविकुलम हिल स्टेशन” से करीब पच्चीस किलोमीटर दूर मैटपेट्टी झील खुद में कई आकर्षण छिपाये हुए है। ‘देविकुलम हिल स्टेशन” हरे-भरे वन क्षेत्र के साथ ही मखमली पहाड़ियों से घिरा है। ‘देविकुलम हिल स्टेशन” के निकट ही गांव भी है। इस गांव की आबादी करीब साढ़े तीन सौ है। ‘देविकुलम हिल स्टेशन” क्षेत्र में मुख्यत: मलयालम एवं तमिल भाषा बोलचाल में है। ‘देविकुलम हिल स्टेशन” के निकट ही पल्लीवसल वॉटर फॉल भी है। घने वन क्षेत्र के साथ ही हरे-भरे चाय बागान हैं तो वहीं लाल, नीले, पीले रंगों वाली वनस्पतियों के पेड़ों की लम्बी श्रंखला दिखती है। यह दृश्य बेहद मनभावन प्रतीत होता है। देवो अतिथि भव: यथार्थ में यहां महसूस होता है।

‘देविकुलम हिल स्टेशन” की ही एक पहाड़ी पर मंगलम देवी का मंदिर है। मंगलम देवी का यह मंदिर करीब सवा किलोमीटर दूर पहाड़ी पर स्थित है। आसपास के क्षेत्र में मंगलम देवी का यह मंदिर खास ख्याति रखता है। खास पर्व-त्योहारों पर यहां भव्य-दिव्य मेलों का भी आयोजन होता है। मान्यता है कि श्रद्धापूर्वक आने वाले पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं सिद्ध होती हैं। ‘देविकुलम हिल स्टेशन” इलाके में ही कुंडला झील भी है। यहां नौकायन व स्पीड़ वोटिंग का भरपूर आनन्द लिया जा सकता है। अनयिरंकल झील भी विलक्षण है। ‘देविकुलम हिल स्टेशन” का टी एस्टेट देविकुलम टी एस्टेट के नाम से प्रख्यात है।

इस टी एस्टेट की स्थापना करीब 1900 के आसपास हुयी थी। करीब दो सौ चालीस हेक्टेटर क्षेत्रफल में यह टी एस्टेट फैला हुआ है। चाय बागान में भी मौज कर सकते हैं। चाय की भीनी-भीनी खुशबू अच्छी लगती है।’देविकुलम हिल स्टेशन” प्राकृतिक सौन्दर्य का एक खुशनुमा आयाम है, जो पर्यटकों को खुद-ब-खुद आकर्षित करता है। चौरतफा मनोरम दृश्य हैं तो वन्य जीवों का कुलांचें भरना देख कर मन प्रफुल्लित हो उठता है। ‘देविकुलम हिल स्टेशन” में पर्यटकों को एक मखमली एहसास होता है। पर्यटकों के लिए रेलवे स्टेशन है तो हवाई यात्रा से भी ‘देविकुलम हिल स्टेशन” पहंुचा जा सकता है। निकटतम रेलवे स्टेशन अलुवा है। अलुवा से करीब एक सौ दस किलोमीटर की दूरी ‘देविकुलम हिल स्टेशन” की है। निकटतम हवाई अड्डा कोचीन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है।