हेल्थ, सामान्य बीमा कंपनियों के खर्चों पर नकेल

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हेल्थ, सामान्य बीमा कंपनियों के खर्चों पर कसी नकेल, इरडा के नए नियम लागू देश में जनरल इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों के बेकाबू खर्चों पर नकेल कस दी गई है। बीमा क्षेत्र के नियामक ‌इंश्योरेंस रेग्युलेटरी ऐंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया, आईआरडीएआई ने इन कंपनियों के प्रबंधकीय, कार्य संचालन और एजेंटों को दिए जाने वाले कमीशन के मद पर होने वाले समग्र खर्चों की लक्ष्मणरेखा खींच दी है। इन्हें लागत कम करने और इन्नोवेटिव (नवोन्मेषी) तौर-तरीके अपनाने की हिदायत दी गई है क्योंकि जनरल इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस उद्योग को वर्ष 2021-22 में 2 हजार 857 करोड़ रुपए का लंबा घाटा उठाना पड़ा।

‌दरअसल सामान्य बीमा (जनरल इंश्योरेंस) और स्वास्थ्य बीमा (हेल्थ इंश्योरेंस) उद्योग में सक्रिय कंपनियों ‌के खर्चों में लगातार बढ़ोतरी उद्योग का समग्र वित्तीय प्रदर्शन प्रभावित हो रहा है। इसमें भी हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर अधिक लागत और ज्यादा ख़र्चों की वजह से मुनाफा नहीं दे पा रहा है। जनरल इंश्योरेंस सेक्टर के भी खर्चे निर्धारित मानकों से अधिक होते रहे हैं। आईआरडीएआई ने दोनों सेक्टर की कंपनियों के लेखा-जोखा का गहन अध्ययन करने के बाद इनके प्रबंधकीय,, कार्य संचालन और एजेंटों को दिए जाने वाले कमीशन की सीमा तय कर दी है।

आईआरडीएआई ऐक्ट के एक्सपेंसेज़ रेग्युलेशन के तहत नए दिशानिर्देश जारी किए हैं और इन्हें पहली अप्रैल 2023 से प्रभावी कर दिया गया है। इन्हें फिलहाल तीन वर्षों तक लागू रखा जाएगा। नए दिशानिर्देशों के अनुसार जनरल इंश्योरेंस सेक्टर की प्रत्येक कंपनी किसी भी वित्तीय वर्ष में अपने ग्राॅस रिटेल प्रीमियम के 30 प्रतिशत तक खर्च कर सकेगी। जबकि हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी अपने ग्राॅस रिटेल प्रीमियम का 35 प्रतिशत तक खर्च कर सकेगी। वैसे 21_22 में पाॅलिसी धारकों से जनरल इंश्योरेंस सेक्टर ने 1 लाख 82 हजार 785 करोड़ रुपए और हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर ने 20 हजार 867 करोड़ रुपए का ग्राॅस डाइरेक्ट प्रीमियम एकत्र किया।

हेल्थ और जनरल इंश्योरेंस सेक्टर उद्योग में 31 कंपनियां सक्रिय हैं। इन दोनों सेक्टर के सकल संचालन पर और ऐजेंटों के कमीशन पर कुल मिलाकर 21_22 में 58 हजार 386 करोड़ रुपए खर्च हुए। एजेंटों के कमीशन पर होने वाला सकल खर्च 20_21 की तुलना में 21_22 में 9.8 प्रतिशत बढ़कर 16 हजार 931 करोड़ रुपए हो गया। सकल संचालन व्यय 8.29 प्रतिशत की दर से बढ़कर 44 हजार 455 करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गया। जनरल इंश्योरेंस सेक्टर में भी सरकारी क्षेत्र की एकमात्र कंपनी न्यू इंडिया ने 20_21 में 1605 करोड़ रुपए और 21_22 में सिर्फ़ 164 करोड़ रुपए का लाभ अर्जित किया। वर्ष 21_22 में नेशनल को 1675 करोड़, ओरिएंटल को 3115 करोड़ और यूनाइटेड को 2136 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। जबकि 21_22 में ही निजी क्षेत्र की कंपनी श्रीराम जनरल ने 458 करोड़ रुपए, आईसीआईसीआई लोंबार्ड ने 378 करोड़, एचडीएफसी एर्गो ने 231 करोड़, बजाज एलिआंज़ ने 123 करोड़, यूनवर्सल सोम्पो ने 5 करोड़ और रिलायंस जनरल ने 1करोड़ रुपए का लाभांश दिया।

हेल्थ सेक्टर दो सालों से लगातार नुकसान में जा रहा है, 20_22 में 1460 करोड़ और 21_22 में 1808 करोड़ रुपए का घाटा उठाना पड़ा। बताते चलें कि जनरल और हेल्थ इंश्योरेंस उद्योग में कुल 37 हजार 855 करोड़ रुपए की पूंजी (पेडअप) लगी हुई है। खर्चों की लक्ष्मण रेखा खींचे जाने से कंपनियों के शीर्षस्थ प्रबंधन में लागत को घटाने पर मंथन शुरू कर दिया गया है। कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग्स में यह मुद्दा अहम हो गया है।

प्रणतेश बाजपेयी