बच्चों को बताया जाए सही इतिहास

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आजादी के अमृत महोत्सव पर एक वेबीनार का आयोजन किया गया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोत्र चंद्र कुमार बोस ने वेबनार में कहा कि सरकार आजादी का सही इतिहास लिखवाकर नई पीढ़ी को पढ़ाना चाह रही है। इसके लिए कार्य चल रहा है। श्री बोस ने कहा कि अमृत महोत्सव कार्यक्रम से नई पीढ़ी को उन मूल्यों के बारे में जानकारी होगी, जिन्हें क्रांतिकारियों ने अपने जीवन में उतारा था।

उन्होंने विस्तार के साथ नेताजी सुभाष चंद्र बोस के योगदान के बारे में चर्चा की और कहा कि ब्रिटेन के अधिकारियों ने स्वीकार किया था कि नेताजी और उनकी आजाद हिंद फौज के बढ़ते दबाव के कारण अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा था। उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस अखंड भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। सभी को इसकी जानकारी होना चाहिए। नेताजी स्वामी रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद से प्रभावित थे। आज के युवाओं को भी इन महापुरुषों द्वारा स्थापित मूर्तियों को समझना चाहिए।

छपरा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति तथा जाने-माने गांधीवादी प्रोफेसर हरकेश सिंह ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की दांडी यात्रा उपनिवेशवादी ताकतों का दंड देन वाली यात्रा साबित हुई थी। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी नेताजी सुभाष चंद्र बोस और सरकार बल्लभ भाई पटेल आजादी के त्रिदेव थे। गांधी जी ने सत्य और अहिंसा का नेता जी ने और औज स्वाभिमान का और सरदार पटेल ने अखंड भारत का अमृत तत्व दिया था। अमृत महोत्सव उसी अमृत तत्व की खोज है।

उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने विश्व मानवतावाद की भी स्थापना की थी। गांधी आज भारत ही नहीं पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा पढ़े जाते हैं। दुनिया आज चाहे जितना भी प्रगति कर चुकी है, गांधीजी के मूल्यों को जानना और समझना उसके लिए उतना ही महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि गांधी जी ने पूरे देश को एकजुट किया था। आजादी के लिए सभी को एक झंडे के नीचे लाए थे।

प्रोफेसर हरिकेश सिंह ने कहा कि क्रांतिकारियों के बारे में जानना नई पीढ़ी के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि तभी भारत की आत्मनिर्भर बनाने का सपना साकार होगा। राजीव गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय ईटानगर कुलपति प्रोफेसर साकेत कुशवाहा ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम को शुरुआत कर एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य किया है। उन्होंने कहा कि विकास की सतत विकास का दर्जा देने के लिए भौतिक संसाधनों के साथ ही साथ  सांस्कृतिक चेतना की भी जरूरत होती है। अमृत महोत्सव का यह कार्यक्रम इसी चेतना को जागृत करेगा।

वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस मोर्या ने कहा कि गांधीजी के नमक आंदोलन ने देश को आजादी का मार्ग प्रशस्त किया था। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता की लड़ाई त्याग और बलिदान को लेकर लड़ी गई थी। सामाजिक आंदोलनों ने आजादी की लड़ाई को बल दिया था। पीआईबी लखनऊ के अपर महानिदेशक आरपी सरोज ने कहा कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय की विभिन्न इकाईयों पीआईबी, आरओबी, दूरदर्शन और आकाशवाणी प्रदेश सरकार के सहयोग से अमृत महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन कर रही है। वेबीनार का संचालन पीआईबी लखनऊ के उपनिदेशक डॉ श्रीकांत श्रीवास्तव ने किया।