सूर्य उपासना का महापर्व है छठ पूजा

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छठ पूजा की शुरुआत मुख्य रूप से बिहार और झारखण्ड से हुई जो अब देश-विदेश तक फैल चुकी है। अंग देश के महाराज कर्ण सूर्य देव के उपासक थे, इसलिए परंपरा के रूप में सूर्य पूजा का विशेष प्रभाव इस इलाके पर दिखता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में छठ का महापर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

यह पर्व 3 दिनों तक मनाया जाता है। छठ के दौरान महिलाएं लगभग 36 घंटे का व्रत रखती हैं। छठ के दौरान छठी मईया और सूर्यदेव की पूजा- अर्चना की जाती है। छठी मईया सूर्य देव की मानस बहन हैं। वैसे इस पर्व से भी ढेरों मान्यताएं जुड़ी हैं। अच्छी फसल, परिवार की सुख-समृद्धि और सुहाग व संतान की लंबी उम्र की कामना के साथ छठ का व्रत रखा जाता है।

पौराणिक मान्यता ये भी है कि श्रीकृष्ण ने उत्तरा को ये व्रत रखने और पूजन करने का सुझाव दिया था। महाभारत युद्ध के बाद जब गर्भ में ही अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र का वध कर दिया गया था। तब उस जान को बचाने के लिए भगवान कृष्ण ने उत्तरा का षष्ठी व्रत करने के लिए कहा। इसलिए इस व्रत को संतान की लंबी आयु की कामना के लिए भी माना जाता है।

पर्व की तारीखें
छठ का आरंभ 08 नवंबर 2021 दिन सोमवार, नहाय-खाय से हो रहा है।

09 नवंबर 2021 दिन मंगलवार को खरना किया जाएगा और अस्ताचलगामी सूर्य को छठ का प्रथम अर्घ्य दिया जाएगा।

10 नवंबर 2021 दिन बुधवार को कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर छठ का मुख्य पूजन है।

11 नवंबर 2021 दिन बृहस्पतिवार को सप्तमी तिथि में उगते सूर्य को छठ का अंतिम अर्घ्य दिया जाएगा।

सूर्य को अर्घ्य देने का समय
छठ पर्व में उगते और अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। ये है सूर्योदय और सूर्यास्त का समय:-

10 नवंबर सूर्यास्त- 17:29:25 छठ पर्व संध्या अर्घ्य
11 नवंबर सूर्योदय- 06:41:15 छठ
पर्व समापन अर्घ्य

व्रत की सावधानियां : ये व्रत अत्यंत सफाई और सात्विकता का है। इसमें कठोर रूप से सफाई का ख्याल रखना चाहिए। घर में अगर एक भी व्यक्ति छठ का उपवास रखता है तो बाकी सभी को भी सात्विकता और स्वच्छता का पालन करना पड़ेगा। व्रत रखने के पूर्व अपने स्वास्थ्य की स्थितियों को जरूर देख लें।