मोदी सरकार में ही होगा अहंकारी बाबा रामदेव का मान मर्दन

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भ्रष्ट व्यवस्था का लाभ उठाकर अडानी अम्बानी से भी बड़े उद्योगपति बनने का सपना देखने वाले बाबा रामदेव का अहंकार मोदी सरकार मे ही टूटेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के ऐसे लोकप्रिए और न्याय करने वाले नेता है जो बाबा रामदेव जैसे अनपढ़ गवार के अहंकार को ज्यादा दिनों का बर्दास्त नहीं कर पाएंगे। जिस तरह से ऐलोपैथी चिकित्सा को स्टूपिड विज्ञान कह कर मोदी के ही भावनाओं का अपमान किया है। मोदी कोरोना वायरस के लड़ाई में जिसे सबसे बड़े योद्धा के रूप मे मानते है और कहते है कि डॉक्टरों ने अपने जीवन को दाव पर लगा कर सेवा किया है। रामदेव के उन्हीं डॉक्टरों का अपमान किया है।

आईएमए विरोध कर ही रहा था कि ज्योतिष पर बयान देकर रामदेव ने एक नया बबाल खड़ा कर दिया है। लगातार अडानी अंबानी बनने के चक्कर ने अहंकार मे डूबे बाबा के खिलाफ मोदी सरकार में कारवाई निश्चित है जैसा पी. वी. नरसिम्हा राव सरकार में नरसिम्हा राव के प्रिये माने वाले चंद्रास्वामी पर की गयी थी। अहंकार की एक सीमा होती है अब ज्योतिषियों ने इनका भविष्य बताना शुरू कर दिया है।

बाबा रामदेव बयान पर ज्योतिषियों ने कहा है : बाबा राम देव की साढ़ेसाती चलते अनर्गल बयान दे रहे है और उनकी कुंडली में उनका भविष्य दिखाई दे रहा है जो शनि की महादशा के अच्छा नहीं होगा इसलिए ऐसी हरकत कर रहे है।

ज्योतिषाचार्यों का फूटा आक्रोश :

ज्योतिष को वेद का चक्षु कहा गया है। वेद के छ अंग है। शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, छंद, एवं ज्योतिष, अर्थात ज्योतिष वेद का अंग है। बिना ज्योतिष के वेद बिना नेत्रों के समान है, यदि कोई व्यक्ति ज्योतिष को नकारता है तो वो हिंदुओं के प्राचीन ग्रंथों वेदों को भी नकारता है। जो वेदों को नकारता है। उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता। क्योंकि वेदों में विश्वास प्रत्येक हिंदू को है।

# प्रतीक मिश्रपुरी, भारतीय प्राच्य विद्या सोसायटी।

स्वामी रामदेव का बयान तथ्यहीन और आधारहीन है। ज्योतिष हजारों वर्षों से हमारे ऋषि मुनियों द्वारा दी गई एक धरोहर है। जो कि विज्ञान है। जिस प्रकार आयुर्वेद विज्ञान है। उसी प्रकार से ज्योतिष भी विज्ञान है। ज्योतिष बहुत पुराना शास्त्र है। इस प्रकार से टीका टिप्पणी करना शिक्षित व्यक्ति की पहचान नहीं है। एक तरफ बाबा रामदेव कह रहे हैं कि आयुर्वेद बहुत अच्छा है। वहीं दूसरी तरफ ज्योतिष को आडंबर की संज्ञा बाबा रामदेव ने दी है।

# विकास जोशी, नारायण ज्योतिष संस्थान, हरिद्वार

स्वामी रामदेव का ज्योतिष पर दिया गया बयान निंदनीय है। बाबा हर काम को व्यापारिक दृष्टिकोण से देख रहे हैं। यदि ज्योतिष के प्रकार इस प्रकार का दृष्टिकोण रखते हैं तो वह हमारे वेदों को नहीं मानते हैं। योग गुरु रामदेव आर्य समाज संप्रदाय से संबंध रखते हैं। आर्य समाज में वेद को प्रधानता दी गई है। बाबा ने आयुर्वेद के प्रति अच्छा कार्य किया है, लेकिन इस प्रकार के बयान देना उन्हें शोभा नहीं देता।

# डॉ. रतनलाल एचओडी ज्योतिष, उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय

स्वामी रामदेव जिस तरह से बयानबाजी कर रहे हैं। उसके लिए जितनी निंदा की जाए वह कम है। ज्योतिष ऋषि-मुनियों के समय से हैं। बीमारी आने से पहले ही ऋषि मुनि बता देते थे कि बीमारी आने वाली है। आयुर्वेद व ज्योतिष वेदों के ही अंग है। बाबा रामदेव ने भी तो आयुर्वेद के नाम पर अपनी इंडस्ट्री खड़ी कर ली है। योग करने के लिए आने वाले लोगों से रुपया लेते हैं।

# पंडित सुमित तिवारी, ज्योतिषाचार्य, श्री रामनाम विश्व बैंक संस्था

पतंजली के प्रॉडक्ट के खिलाफ देश भर में गत 5 वर्ष में 100 से अधिक मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। ऐलोपैथी को लेकर जिस अहंकार में रामदेव ने आईएमए को पत्र लिखा है निश्चित रूप से वह एक अनपढ़ और गंवार ही लिख सकता है।

रामदेव का बयान : रामदेव ने कहा कि सारे मुहूर्त भगवान ने बना रखे हैं। ज्योतिषी काल, घड़ी, मुहूर्त के नाम पर बहकाते रहते हैं। यह भी पूरे एक लाख करोड़ की इंडस्ट्री है। बैठे-बैठे ही किस्मत बताते हैं। जब मोदी जी ने पांच सौ और एक हजार के नोट बंद किए तो किसी को पता नहीं चला। किसी ज्योतिषी ने यह भी नहीं बताया कि कोरोना आने वाला है। किसी ने नहीं बताया कि इसके बाद ब्लैक फंगस भी आने वाला है।
वह योग शिविर में साधकों से बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी ने यह नहीं बताया कि कोरोना का समाधान बाबा रामदेव कोरोनिल से देने वाले हैं। मैं तो विशुद्ध रूप से हिंदी और संस्कृत बोलता हूं। बीच-बीच में अंग्रेजी बोलने वालों को भी ठोकता हूं। क्योंकि यह बोलते थे कि हिंदी और संस्कृत बोलने वाला बड़ा आदमी नहीं बन सकता।

अब हिंदी व संस्कृत बोलने वाले ने ऐसे झंडे गाड़ दिए कि सब कहते हैं कि हिंदी पढ़नी चाहिए, संस्कृत पढ़नी चाहिए। उन्होंने कहा कि आगे गुरुकुल में पढ़ने वाले ही देश चलाएंगे। 20-25 साल बाद बताऊंगा प्रयोग करके।

बाबा रामदेव ने कहा था कि ज्योतिषाचार्यों की पचास से एक लाख करोड़ रुपये की इंडस्ट्री है। उनके इस बयान से धर्मनगरी के ज्योतिषाचार्य नाराज हैं। उनका कहना है कि बाबा अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। आयुर्वेद और योग के साथ ही ज्योतिष भी हजारों साल पुराना है। बाबा को इसके बारे में पूरी जानकारी जुटानी चाहिए। उन्हें वेदों व पुराणों का अध्ययन करना चाहिए।

आईएमए पहले से ही बाबा रामदेव के बयान को लेकर उत्तेजित है काला दिवस माना रहा है और न्यायालय के शरण में है। आईएमए उत्तराखंड के सचिव डॉक्टर अजय खन्ना ने 1000 करोड़ का मान-हानि का दावा करते हुये सही कहा है कि बाबा रामदेव ऐलोपैथी का ‘ए’ तक नहीं जानते। उन्होने रामदेव को चुनौती दी है कि वह पहले अपनी योग्यता बताए और फिर ऐलोपैथी को लेकर बहस करें। डा. अजय खन्ना ने कहा कि बाबा के पास अपनी पैथी के शब्द तक नहीं हैं। जिस थायरॉयड, बीपी, शुगर, वेंटिलेटर की बाबा बात कर रहे हैं वे सब एलोपैथी के ही शब्द हैं। बाबा फैटी लीवर, सिरोसिस, या हाईपरटेंशन की बात तो कर रहे हैं लेकिन सच्चाई ये है कि उन्हें इनके बारे में एक शब्द की जानकारी नहीं है। अजय खन्ना के अलावा देश भर में रामदेव के बयान पर ऐलोपैथी से जुड़े चिकित्सकों में गहरा आक्रोश है रामदेव के पुराने रिकॉर्ड को देखे तो धूर्तता और झूठ बोलने की एक लंबी सी सूची तैयार हो जाएगी।

प्रियंका पाठक नारायण ने “गुडमैन टू टाइकून” जिसमे रामदेव की असलियत का जिक्र है। रामदेव जिस रास्ते पर चल रहे है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन के पत्र का जवाब अहंकार भरे शब्दों में दिया है और बढ़-चढ़ कर ऐलोपैथ पर आरोप लगाये हैं। कल्पना करें अगर एक दिन ऐलोपैथी चिकित्सा के इलाज को रोक दिया जाए तो कोरोना के संकट में रामदेव के पास इसका विकल्प है ? निश्चित रूप से 7 वर्ष में 9000 हज़ार के मालिक बनने वाले रामदेव को यह नहीं भूलना चाहिये कि कोरोना के संकट में 1000 से अधिक चिकित्सकों की जान चली गई है हज़ारों की संख्या में ऐलोपैथ के लैब टैक्नीशियन, नर्स, वार्ड बॉय कोरोना से प्रभावित हुये है जिसे प्रधानमंत्री फ्रंट वारियर कहकर बार बार सम्मान देते है। ऐसे में ऐलोपैथ पर सवाल उठाना प्रधानमंत्री का भी अपमान है। प्रधानमंत्री रामदेव को आने वाले समय में अपनी स्टाइल में एहसास करा देंगे कि रामदेव हैसियत में आ जाएंगे। इसका उदाहरण 2014 में जब पहली बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शपथ ले रहे है तब अहंकारी बाबा को गुमान था कि मोदी शपथ ग्रहण समारोह में इस तरह से सम्मान देंगे जिससे लगेगा कि रामदेव की सरकार बनाने में अहम भूमिका है लेकिन शपथ ग्रहण में रामदेव को तवज्जो न देकर उनके अहंकार का मान मर्दन कर दिया इसलिए निश्चित है ऐलोपैथ पर प्रधानमंत्री की भावना के विपरीत किए गए हमले से रामदेव ज्यादा दिनों तक बच नही पाएंगे। निश्चित रूप से मोदी सरकार में ही उनका अहंकार टूट जाएगा ।

अब हम रामदेव के अहंकार, अनपढ़ और गंवार व्यक्ति के रूप में उसके द्वारा आईएमए को लिखे गये 25 बिन्दुओ का विश्लेषण करते है। रामदेव ऐलोपैथ चिकित्सकों से सवाल करते हैं कि ऐलोपैथी सर्वशक्तिमान एवं सर्वगुण सम्पन्न है तो फिर एलोपैथी के डॉक्टर तो बीमार होने ही नहीं चाहिए ? इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) और फार्मा कम्पनियों को स्वामी रामदेव का खुला पत्र और सीधे 25 सवाल किए है।

रामदेव के 25 सवालों को पढ़ लीजिये और स्वयं विश्लेषण करे इस तरह का सवाल उठाने वाला व्यक्ति की सोच और जानकारी तथा मानसिकता कैसी है। आईएमए के पत्र के एक-एक बिन्दू को पढे तो लगेगा कि रामदेव किस हद तक अहंकार में डूबे है। अब सवाल यही उठ रहा है कि देश के स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्द्धन स्वयं ऐलोपैथ के चिकित्सक है। रामदेव के इन सवालों का जवाब देने की ज़िम्मेदारी नैतिक रूप से डॉक्टर हर्षवर्द्धन की ही होती है लेकिन हर्षवर्द्धन रामदेव के कोरोनील के प्रचार में पतंजली के पार्टनर के रूप खड़े दिखाई दिये है इसलिए हर्षवर्द्धन की नैतिकता जनता ने देख ली है। रामदेव के अहंकार और बड़बोलेपन, व्यवस्था और सरकार को दी जा रही चुनौती पर निश्चित रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इमेज ब्रांडिंग करने वालों की निगाह होगी और रामदेव जिस तरह से प्रधानमंत्री के साथ रिश्तों की मार्केटिंग करके दवाब का खेला कर रहे हैं, यह ज्यादा दिन तक चलने वाला नहीं है और मैं भरोसे के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यशाली को देखते हुये यह कह सकता हूँ कि प्रधानमंत्री गलत लोगों को संरक्षण नहीं देते और कोई गलत व्यक्ति दुर्भाग्यवश जनता के समाने प्रधानमंत्री से रिश्ते को लेकर अहंकार में होकर अपने लाभ के लिए दूसरों पर दवाब बनाने का प्रयास करता है तो उसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने स्टाइल में अहंकारी का मान मर्दन जरूर करते है जो आने वाले दिनों में अहंकारी रामदेव के साथ निश्चित होगा।

राजेन्द्र द्विवेदी, वरिष्ठ पत्रकार