कहीं आप भी तो नहीं हो रहे इस गंभीर बीमारी का शिकार

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लिवर सिरोसिस एक दुखदाई और जानलेवा समस्या है। लापरवाही करने पर जीवन के लिए संकट उत्पन्न हो जाता है। डॉ रविंद्र पोरवाल मुख्य चिकित्सक श्रीनाथ आयुर्वेद संस्थान भगवत दास घाट सिविल लाइंस कानपुर ने लीवर की इस जानलेवा बीमारी होने के मूल कारण और निवारण पर उपयोगी प्रकाश डाला है।

खान-पान और जीवन शैली जिम्मेदार : वर्तमान समय में हमारी जीवन शैली विलासिता पूर्ण हो गई है। आधुनिक सुख-सुविधाओं ने शारीरिक श्रम को बिल्कुल खत्म कर दिया है। जंक फूड फास्ट फूड तले मसालेदार भोजन शराब पान मसाला आदि का दिखावा उच्च वर्ग का प्रतिनिधित्व करने लगे हैं। जब कोई व्यक्ति शराब और अन्य किसी नुकसानदाई नशा का आदी हो जाता है, विलासिता वाली जीवनशैली और अप्राकृतिक आहार का नियमित रूप से सेवन करता है तो लीवर पर बहुत बुरा असर होता है। लीवर प्रारंभिक स्थिति में फैटी हो जाता है।

जहर है नशा : शीतल पेय चाय कॉफी पान मसाला तंबाकू बीड़ी सिगरेट के साथ-साथ शराब का लती होना भी लीवर के लिए घातक होता है जब व्यक्ति नियमित रूप से शराब का लती हो जाता है अथवा दिन भर चाय या कॉफी की चुस्कियां लेता है तो लीवर पर बुरा प्रभाव पड़ना स्वभाविक हो जाता है। पान मसाला और तंबाकू का किसी भी रूप में सेवन केवल लिवर के लिए ही नहीं संपूर्ण पाचन तंत्र तथा शरीर की इम्युनिटी के लिए अहितकारी माना जाता है।

मुख्य कारक यह है : लीवर की बीमारियों के लिए शराब कोल्ड ड्रिंक चाय कॉफी जंक फूड जंग फास्ट फूड मधुमेह अत्यधिक मोटापा और विभिन्न प्रकार की औषधियों के सेवन से होने वाले शारीरिक दुष्प्रभाव आदि मुख्य कारक हैं। इसके अलावा अनेकों अनेक दूसरे भी कारण हैं शारीरिक मेहनत बिल्कुल न करना आलसी और निकम्मेपन की जीवन शैली लीवर पर बुरा असर डालती है।

लिवर सिरोसिस की विभिन्न अवस्थाएं : प्रारंभिक अवस्था में फैटी लिवर की स्थिति होती है किंतु स्थिति न सुधरने पर स्टयाटोसिस, स्टयाटोहिपेटाइटिस, फाइब्रोसिस और अंत में लिवर सिरोसिस की अवस्था होती है, जिसे ई एस एल डी के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थिति में पैथोलॉजीकल इन्वेस्टिगेशन में ए एस टी और जी जी टी का स्तर खतरनाक लेवल तक बढ़ जाता है।

बहुत जरूरी है सावधानियां : लीवर की बीमारियों के निदान के लिए सर्वप्रथम जीवन शैली और आहार पर नियंत्रण करना चाहिए। तले मसालेदार भोजन और जंक फूड के स्थान पर हरी सब्जियां बिना तेल और मसाले के शुद्ध सात्विक आहार का सेवन प्राथमिकता से करना चाहिए। प्रातः उठकर 15 मिनट योगासन विशेषकर विमान आना अश्वचालनासन भुजंगासन और हस्तोत्तानासन हितकारी है। कच्चा लहसुन हरा आंवला नींबू संतरा टमाटर और गाजर का भरपूर मात्रा में सेवन लीवर की सेहत को सुधारने में मददगार होता है।

जरूरी है यह भी ध्यान देना : समय पर सोकर जागना, शारीरिक स्वच्छता का ध्यान रखना आसन प्राणायाम सूर्य नमस्कार और सटकर्म को नियमित रूप से अपनाना, भोजन प्राकृतिक और सात्विक रखना आरोग्यता प्राप्ति का सशक्त मार्ग है औ सप्ताह में 4 दिन भरपूर मेहनत करें ताकि शरीर पसीने से भीग जाए।

जड़ी बूटी और घरेलू उपाय : ताजे गोमूत्र का मिट्टी के साथ पेस्ट बनाएं और पेट पर इस मिट्टी और गोमूत्र से बनी हुई मिट्टी की पट्टी 30 मिनट तक प्रातकाल और 30 मिनट तक शाम 4-5 बजे पेट पर दोबारा रखें। यह लीवर की बीमारी को जड़ मूल से ठीक करने का अत्यंत प्रभावशाली नुस्खा है। एक बार इस्तेमाल की गई मिट्टी को फेंक दें इसे दोबारा इस्तेमाल ना करें। आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों में पुनर्नवा आंवला और गिलोय लिवर की बीमारी को नियंत्रित करने में बहुत उपयोगी है लीवर की समस्याओं से पीड़ित लोगों को भरपूर मात्रा में जल का सेवन करना चाहिए।