यूपी में पहली बार माध्यमिक संस्कृत बोर्ड का गठन

0
421

लखनऊ। वर्षों से सरकारों के उपेक्षा का शिकार रही देववाणी संस्कृत भाषा को योगी सरकार ने संजीवनी दी है। सरकार ने इसके प्रोत्साहन के लिए रोजगार परक पाठ्यक्रमों की शुरुआत की हैं। एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के जरिये आधुनिक विषयों का समावेश किया गया है। वहीं इसे लोकप्रिय भाषा बनाने के उद्देश्य से कई कदम उठाये हैं। अब कोई घर बैठे ही आनलाइन संस्कृत की शिक्षा ग्रहण कर सकता है। इसके लिए सरकार ने टोल फ्री नंबर जारी किया है। यह पहली सरकार है जिसने माध्यमिक संस्कृत बोर्ड का गठन किया है। साथ शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए मानदेय पर तैनाती की है।

इसमें कोई दो राय नही कि पिछले कुछ सालों से संस्कृत सियासी उपेक्षा ओर कान्वेंट स्कूलों के बढ़ते वर्चस्व की वजह से संस्कृत के प्रति विद्यार्थियों की रूचि घटी है। एक वजह विज्ञान और आधुनिक विषयों का विकल्प न होना भी माना जा सकता है। यही वजह रही कि अनिवार्य विषय के रूप में संस्कृत की बाध्यता खत्म होते ही आगे की शिक्षा लेने वाले विद्यार्थियों की तादाद में लगातार गिरावट देखी जा रही है। स्नातक और परास्नातक की पूरी सीटें नही भर पा रहीं थी।

संस्कृत के प्राथमिक विद्यालय भी काफी उपेक्षा के शिकार रहे हैं। शिक्षकों की कमी और संसाधनों के अभाव में संस्कृत के प्रति युवाओं की रूचि घटती गयी। योगी सरकार ने संस्कृत विद्यालयों में बड़े पैमाने पर मानदेय शिक्षकों की नियुक्ति कर शिक्षकों की कमी दूर किया और समय की मांग के अनुरूप संस्कृत को कंप्यूटर, विज्ञान और सामाजिक विषयों से जोड़ा। संस्कृत से रोजगार की संभावनाओं के मद्देनजर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी में आनलाइन सर्टिफ़िकेट और डिप्लोमा पाठ्यक्रम का शुभारंभ किया। इन पाठ्यक्रमों के प्रशिक्षण के बाद युवा पुरोहित, पुजारी और वास्तुविद को रोजगार का जरिया बना सकेंगे। योगी सरकार ने संस्कृत को जन जन की भाषा बनाने के लिए संस्कृत विद्यालयों में 15 से 25 दिन के प्रशिक्षण की व्यवस्था की है। इस भाषा को सीखने के इच्छुक लोग प्रशिक्षण लेकर लाभ उठा सकते हैं। यदि कोई घर बैठे संस्कृत सीखना चाहता है तो वह घर बैठे ही टोल फ्री नंबर पर संस्कृत सीख सकता है।

संस्कृत शिक्षकों को सामाजिक सुरक्षा : संस्कृत शिक्षकों की भारी कमी को देखते हुए सरकार ने मानदेय पर नियुक्ति की है। ग्रैच्युटी और मृतक आश्रित सेवा योजन का प्रावधान कर उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान की गयी है। प्रदेश में कुल 1151 संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों के जरिये शिक्षा दी जा रही है। इनमें संस्कृत के 973 सहायता प्राप्त और 178 वित्त विहीन संस्कृत माध्यमिक विद्यालय शामिल हैं।