यूपी के 50 हजार लोगों को किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत

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लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एसजीपीजीआई में इमरजेंसी मेडिसिन और किडनी ट्रांसप्लाट सेंटर का लोकार्पण किया। साथ ही एसजीपीजीआई में लगभग 500 करोड़ की लागत से एडवांस पीडियाट्रिक सेंटर बनाने की घोषणा की।
मुख्यमंत्री ने इस दौरान 601 करोड़ की विभिन्न परियोजनाओं को प्रदेश की जनता को समर्पित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि 25 मार्च 2020 से अबतक कोविड प्रबंधन स्वयं देखता रहा। प्रदेश सरकार ने कोरोना की पहली दो लहरों में बेहतरीन काम किया। एसजीपीजीआई का इसमें अहम योगदान रहा है।

उन्होंने कहा कि अतीत की उपलब्धियों के साथ भावी योजनाओं के लिए ही वर्तमान होता है। इस हिसाब से एसजीपीजीआई ने अपने वर्तमान के साथ न्याय किया है। वह गौरवशाली अतीत के साथ वर्तमान की उपलब्धियों पर गर्व कर सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें समय के अनुरूप तैयार होना होगा। इमरजेंसी मेडिसिन और किडनी ट्रांसप्लाट सेंटर का तीन वर्ष पहले शिलान्यास हुआ था तो मुझे लगा था कि इसके बनने में समय लगेगा, लेकिन कोरोना के बावजूद एक समय सीमा में सेंटर बनकर तैयार हो गया और आज इसका आज लोकार्पण हो रहा है। यह अपने आप में उपलब्धि है।

उन्होंने कहा कि आज प्रदेश के लगभग 50 हजार लोगों को किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत है। इससे इन लोगों को काफी मदद मिलेगी। एसजी पीजीआई ने आज एक नया मानक स्थापित किया है। मुख्यमंत्री ने चिकित्सा क्षेत्र में सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि 2017 के पहले उत्तर प्रदेश में चिकित्सा का बुनियादी ढांचा एक चुनौती की तरह था। केवल 12 मेडिकल कालेज ही बन पाए थे। आज हम लोग हर जनपद में मेडिकल कालेज बनाने की ओर अग्रसर हैं।

उन्होंने योजनाओं के लटकने का जिक्र करते हुए कहा कि हम लोगों ने उन परियोजनाओं को चार वर्ष में पूरा किया जो 40 साल में पूरी नही हो पाई थीं। सरयू नहर परियोजना और बाण सागर परियोजना इसके उदाहरण हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले गोरखपुर में बीआरडी मेडिकल कालेज की स्थिति बेहद खराब थी और इंसेफलाइटिस से पीड़ित बड़ी संख्या में बच्चे भर्ती होती थे। मैंने पूछा तो पता चला कि 1977 से इस बीमारी से पूर्वी उत्तर प्रदेश के बच्चे मर रहे थे, लेकिन किसी भी सरकार ने इसका समाधान निकालने का प्रयास नहीं किया। 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद अन्तरविभागीय समन्वय कर इस समस्या का समाधान निकालने का प्रयास किया। हमने देखा कि इंसेफलाइटिस से मरने वाले ज्यादातर बच्चों के घरों में शुद्ध पेयजल और शौचालय की व्यवस्था नहीं थी। अन्तरविभागीय समन्वय से इन समस्याओं का समाधान निकाला गया। परिणाम यह हुआ कि जिस बीमारी का समाधान 40 साल में नहीं हुआ उसका समाधान चार वर्ष में हुआ। 95 फीसदी तक इस बीमारी का समाधान हो चुका है। हमारी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि पूर्वी उत्तर प्रदेश को नया जीवन देना है।

अंत में मुख्यमंत्री ने मेडिकल छात्रों से उम्मीद जताई कि डाक्टर बनने के बाद इलाज के साथ रिसर्च पेपर लिखेंगे। उन्होंने कहा कि एसजीपीजीआई से सभी को बहुत उम्मीदें हैं। एसजीपीजीआई की गरिमा बढ़ेगी तो आप सभी की गरिमा बढ़ेगी।