दिल दिमाग फिट तो बल्ले-बल्ले

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‘दिल” व ‘दिमाग” हमेशा चुस्त-दुरुस्त रहे तो फिर जिन्दगी के क्या कहने। चौतरफा-चहुंओर बल्ले-बल्ले ही रहेगी क्योंकि ‘दिल” व ‘दिमाग” जिन्दगी की रफ्तार को निश्चय ही पंख लगा देते हैं। ‘दिल” व ‘दिमाग” स्वस्थ्य तो जिन्दगी में कहीं कोई अड़चन-परेशानी आ ही नहीं सकती। जी हां, तरोताजा रहेंगे तो जिन्दगी का हर पल प्रफुल्लता से लबरेज रहेगा। इससे न केवल आत्म विश्वास बढ़ता है बल्कि कार्य क्षमता में भी वृद्धि होती है। पुरातन-सनातन व्यवस्थाओं में शायद इसी लिए गीत-संगीत को खास तौर से महत्व दिया गया।

गीत-संगीत व्यक्ति में खास-विशेष उर्जा का संचार करता है। विशेषज्ञों की मानें तो संगीत की स्वर लहरियां शरीर में एक खास हलचल पैदा करती हैं जिससे शरीर की समस्त मांसपेशियां क्रियाशील हो जाती हैं। विशेषज्ञों की मानें तो गायन-वादन-श्रवण से सभी से व्यक्तित्व में एक खास निखार आता है। संगीत का वादन करने वाला हो या उसकी कर्णप्रियता का आनन्द लेने वाला हो, संगीत से शरीर में विभिन्न प्रकार के ‘हार्मोन्स” का रुााव होता है। इन हार्मोंन्स का प्रभाव शरीर के विभिन्न अंगों पर पड़ता है।

मसलन ‘डोपामीन” हार्मोन से व्यक्ति को प्रेरणा मिलती है तो ‘एण्ड्राफीन” हार्मोन से व्यक्ति में प्रसन्नता-खुशी प्रस्फुटित होती है। संगीत के वादन-श्रवण से शरीर में ‘डोपामीन” व ‘एण्ड्राफीन” जैसे अनेक रुााव होते हैं। शरीर में इन हार्मोन के  से व्यक्ति में आत्म विश्वास जागृत होता है जिससे सुरक्षा का एहसास बढ़ता है। संगीत व्यक्ति में रोग प्रतिरोधक क्षमता की वृद्धि करता है। शरीर तनाव से मुक्त रहता है। संगीत से शरीर का सम्पूर्ण स्नायु तंत्र क्रियाशील रहता है। विशेषज्ञों की मानें तो पियानो बजाने से एक तो संगीत की स्वर लहरियां मन-मस्तिष्क को झंकृत करती हैं तो वहीं वादन करने वाले की शारीरिक एक्सरसाइज भी होती है।

इसी तरह से सैक्सोफोन बजाने वाले व्यक्ति का श्वांस तंत्र व मांसपेशियां क्रियाशील होती हैं। सैक्सोफोन का वादन खास तौर से अस्थमा के मरीजों को लाभ-आराम देता है। व्यक्ति के स्नायु तंत्र क्रियाशील होंगे तो याददाश्त भी ठीक-ठाक एवं चुस्त-दुरुस्त रहेगी। याददाश्त ठीक-ठाक तो कार्य क्षमता में वृद्धि होना लाजिमी है। इसका सीधा व पूर्ण प्रभाव व्यक्ति के व्यक्तित्व से लेकर जीवन पर पड़ता है।

संगीत व्यक्ति को हमेशा चैतन्यता से लबरेज रखता है। काम-काज की भाग-दौड़ व दफ्तर के तनाव से राहत पाने के लिए आवश्यक है कि संगीत व एक्सरसाइज जिन्दगी का हिस्सा बने। अमेरिकी रोग नियंत्रण केन्द्र की सिफारिश है कि सप्ताह में कम से कम एक सौ पचास मिनट एरोबिक अभ्यास अवश्य होना चाहिए क्योंकि इससे शरीर (बॉडी) एकदम फिट रहेगी। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि तनाव से मुक्त रहने के लिए स्वीमिंग भी करनी चाहिए क्योंकि जलक्रीडा व्यक्ति को तरोताजा व ताजगी से लबरेज रखती है। इसलिए भले ही जिन्दगी की आपाधापी में अधिक वक्त न निकले लेकिन कुछ वक्त जिन्दगी के लिए अवश्य निकालना चाहिए जिससे जिन्दगी का हर लमहा बल्ले-बल्ले रहे।