वित्तीय वर्ष 2020-21 का समापन हो गया है। हालांकि अंतिम माह मार्च के आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं हैं। फिर भी अप्रैल 2020 से लेकर फरवरी 2021 तक के ग्यारह महीनों में आधारभूत उद्योगों का प्रदर्शन नकारात्मक रहा। जिससे अर्थव्यवस्था की चाल का काफी कुछ आकलन किया जा सकता है।
अर्थव्यवस्था की रीढ़ बने बड़े उद्योगों को बैंकिंग क्षेत्र से मिलने वाली ऋण सहायता में गिरावट आना अच्छा संकेत नहीं है। इसमें आज से शुरू होने वाले नए वित्तीय वर्ष 2021-22 की नब्ज को टटोला जा सकता है। उद्योग, वाणिज्य मंत्रालय और भारतीय रिज़र्व बैंक के ताजा आंकड़ों के हिसाब से अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 तक के ग्यारह महीनों में पेट्रोलियम, कोयला, इस्पात, सीमेंट, इंफ्रास्ट्रक्चर, नाभिकीय ईंधन, इंजिनियरिंग, रसायन, प्लास्टिक, रबड़, निर्माण और धातु व इनके उत्पादों के निर्माण में लगे बड़े उद्योगों को बैंकिंग क्षेत्र से मिलने वाली ऋण सहायता में गिरावट दर्ज की गई है।
2021 जनवरी में बड़े उद्योगों की ऋण सहायता में 1.3 फीसद की गिरावट दर्ज हुई। पूंजीगत साजो-सामान और खनन क्षेत्र में व्याप्त शिथिलता के कारण इस साल जनवरी में औद्योगिक उत्पादन में 1.6 फीसद की गिरावट आई थी। जबकि 2021 फरवरी में बैंकिंग क्षेत्र से बड़े उद्योगों को दी जाने वाली ऋण सहायता में 2.5 फीसद की गिरावट माथे पर सिलवटें डालने का कारण बनीं हुई है।
इस फ़रवरी में पेट्रोलियम रिफाइनरी उद्योग के उत्पादन में सर्वाधिक 10.9 फीसद की गिरावट आई, सीमेंट उत्पादन में 5.5 फीसद, कोयला में 4.4 फीसद, उर्वरक में 3.7 फीसद, इस्पात में 1.8 फीसद, प्राकृतिक गैस में 1 फीसद और बिजली उत्पादन में 0.2 फीसद गिरावट दर्ज की गई। मार्च माह में आठ आधारभूत क्षेत्रों में 9-11 फीसद वृद्धि का पूर्वानुमान थोथा साबित होने की आंशका ज्यादा लगती है। पिछले साल अगस्त में आधारभूत क्षेत्रों में 6.9 फीसद की जोरदार गिरावट आई थी।
प्रणतेश नारायण बाजपेयी