लखनऊ। मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद बनाने पर आमादा टीएमसी के निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने एक टीवी चैनल पर यह कहकर तहलका मचा दिया है कि बाबर आक्रांता था, उसने अत्याचार किया। उनको बाबर मुर्दाबाद बोलने में भी कोई दिक्कत नहीं है। यही नहीं उन्होंने आवाज बुलंद बाबर मुर्दाबाद का नारा भी लगाया। अब इसके बाद कट्टरपंथी गुटों में तहलका मचा हुआ है। राजनीतिक विश्लेषण इसे हुमायूं बाबर द्वारा भाजपा में बिताए गए समय का असर बता रहे हैं। पर हुमायूं कबीर का यह बयान उस कट्टर मुस्लिम जमात को बहुत बड़ा झटका है जो बाबर को महिमा मंडित करने में लगी हुई हैं।
* टीएमसी से निलंबित विधायक ने कहा, बाबर मुर्दाबाद बोलने में भी मुझे कोई दिक्कत नहीं
* उन्होंने एक टीवी चैनल पर भी बाआवाज बुलंद बाबर मुर्दाबाद कहकर तहलका मचा दिया
* हुमायूं का यह बयान बाबर को महिमा मंडित कर रहे कट्टरपंथियों को एक बड़ा सबक
हुमायूं कबीर ने एक निजी टीवी चैनल पर कहा है कि मेरा जुड़ाव सिर्फ मस्जिद से है। बाबर ने अत्याचार किया इसलिए मुझे बाबर मुर्दाबाद बोलने में भी कोई गुरेज नहीं है। उनका कहना है कि चूंकि बाबर के नाम बनी इबादतगाह और अल्लाह का घर तोड़ा गया इसलिए मैंने इस मस्जिद का नाम बाबरी मस्जिद रखा है। परंतु मुझे बाबर मुर्दाबाद बोलने में कोई दिक्कत नहीं है। उनका साफ कहना है कि उनका मतलब सिर्फ मस्जिद से है। वैसे भी कोई भी यह नहीं बता सकता कि मैं मस्जिद का नाम क्या रखूं। यह बाबरी मस्जिद को तोड़ें जाने की भरपाई मात्र है।
हुमायूं कबीर ने बाबरी मस्जिद को बनाने के नाम पर पूरे देश की हिंदू और मुस्लिम ब्रिगेड को जोश दिला दिया था। पर उनका यह बयान उस जोश पर पानी फेरता दिख रहा है। हुमायूं कबीर ने कहा कि मैं इस बात को मानता हूं कि बाबर ने अत्याचार किया, और मुझे बाबर मुर्दाबाद बोलने में कोई दिक्कत नहीं है। मेरा मतलब सिर्फ मस्जिद से है क्योंकि उसके नाम पर बनी इबादतगाह, अल्लाह का घर तोड़ा गया इसलिए मैं उसकी भरपाई के लिए मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में बाबरी मस्जिद बना रहा हूं। परंतु बाबर गलत था, मुझे यह स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं है।
यानी हुमायूं कबीर इस समय वैचारिक स्तर पर दोराहे पर दिख रहे हैं, और शायद अभी भाजपाई अभी संस्कार जिंदा हैं। और 10, दिसंबर के उनके बयान ने साबित भी कर दिया है। इसलिए वे मस्जिद की बात करते हैं, मुसलमानों की भी बात करते हैं, लेकिन उन्हें सामूहिक गीता पाठ और राम मंदिर बनाने से परहेज नहीं है। उनका कहना है कि वे सिर्फ मुसलमान की आवाज बनना चाहते हैं, इसलिए यह कदम को उठाया है। उनका यह भी कहना है कि कहीं मंदिर बने मुर्शिदाबाद में या कहीं और मुझे कोई एतराज नहीं है। कोई पवित्र गीता का सामूहिक पाठ भी करें मुझे इससे भी ऐतराज नहीं है। परंतु मैं भी कुरान का पाठ कराऊंगा। और इस सामूहिक पाठ में लगभग 1 लाख लोग सम्मिलित होंगे।
खैर, हुमायूं कबीर की यह घोषणा उन तमाम कट्टर मुस्लिमों को अच्छी नहीं लगेगी। अब देखते हैं कि इस पर क्या रिएक्शन आता है। लेकिन हुमायूं कबीर ने ये बयान देकर बाबर को महिमा मंदिर करने वालों को बहुत तगड़ा जवाब दे दिया है। उन्होंने साफ कर दिया है कि बाबर उनके आदर्श नहीं है। और शायद इसी का सहारा लेकर कांग्रेस नेता और सांसद इमरान मसूद उन्हें भाजपा का एजेंट कहते हैं।
अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषण

