गांधी परिवार पर संकट के बादल

गांधी परिवार पर संकट के बादल कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता और संसद सदस्यता दोनों खतरे में इलाहाबाद हाईकोर्ट में उनकी नागरिकता पर 21 को आ सकता है कोई फैसला केंद्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में होनी है सुनवाई उन पर ब्रिटेन की नागरिकता भी रखने का आरोप, जो कानून का है उल्लंघन दिल्ली हाईकोर्ट में भी सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सुनवाई 28 मई को नेशनल हेराल्ड मामले में भी राहुल गांधी और परिवार के खिलाफ चार्जशीट दाखिल 25 अप्रैल को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में उस चार्जशीट पर होगी सुनवाई परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर भी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला, इडी की जांच जारी

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लखनऊ। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता और रायबरेली से उनके निर्वाचन पर संकट के बादल हैं। आरोप है कि उनके पास ब्रिटेन की भी नागरिकता है, इस कारण उनकी भारतीय नागरिकता अपने आप समाप्त हो जाती है। उनकी नागरिकता खत्म करने के लिए और रायबरेली से उनका संसदीय निर्वाचन रद करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल की गई है। याचिका कर्नाटक के भाजपा कार्यकर्ता विग्नेश शिशिर ने दाखिल की है। 21 अप्रैल को इस पर सुनवाई होनी है। ‌इस दिन केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट भी पेश करनी है जिसमें उसे बताना है कि उसने इस मामले में क्या कार्रवाई की है। उसे यह भी बताना है कि क्या राहुल गांधी की नागरिकता ब्रिटेन से भी है। और अगर ऐसा है तो न सिर्फ राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता चली जाएगी बल्कि रायबरेली से उनका संसदीय निर्वाचन भी समाप्त माना जाएगा। इसी प्रकार की एक और याचिका दिल्ली हाईकोर्ट में भी लंबित है, जिसके याची भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी है। इस याचिका पर सुनवाई की तारीख 28 मई है। इसके अलावा नेशनल हेराल्ड मामले में सीबीआई ने अपनी चार्जशीट दाखिल कर दी है। इस पर दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में 25 अप्रैल को सुनवाई होगी। उधर गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा पर भी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला चल रहा है। प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने उनसे लगातार तीन दिन 15 से 17 अप्रैल तक पूछताछ की है।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की दोहरी नागरिकता मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में पिछली तारीख पर हुई सुनवाई में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 8 हफ्ते का समय मांगा था, लेकिन हाईकोर्ट ने उन्हें सिर्फ चार हफ्तों का ही समय दिया है। दरअसल बीते एक जुलाई 2024 को कर्नाटक के वकील और बीजेपी सदस्य एस विग्नेश शिशिर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर राहुल गांधी के पास ब्रिटिश नागरिकता होने का भी आरोप लगाया था। याची ने राहुल गांधी पर यह आरोप ब्रिटिश सरकार के 2022 के एक गोपनीय मेल का हवाला देते हुए लगाया है। विग्नेश ने भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 9(2) के तहत राहुल की भारतीय नागरिकता रद करने की मांग की है। इन्हीं दावों पर हाईकोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा था। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को राहुल गांधी के खिलाफ दायर प्रतिवेदन पर भी अपना जवाब पेश करने के लिए समय दे दिया। प्रतिवेदन में राहुल पर उनकी ब्रिटिश नागरिकता को कथित तौर पर छुपाने की वजह से उनके 2024 के संसदीय चुनाव को रद्द करने की भी मांग की गई है। अदालत ने बीते साल नवंबर में याचिका पर सुनवाई करते हुए याची के प्रतिवेदन पर केंद्र सरकार से उसके फैसले के बारे में जानकारी मांगी थी। केंद्र सरकार के वकील ने बेंच को बताया था कि याचिका कर्ता के प्रतिवेदन पर कार्रवाई करते हुए संबंधित मंत्रालय ने ब्रिटेन सरकार को पत्र लिखकर विस्तृत जानकारी मांगी है। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार को राहुल गांधी के संसदीय चुनाव को रद्द करने की मांग करने वाले याचिकाकर्ता के प्रतिवेदन पर अंतिम निर्णय लेने के लिए समय चाहिए।
याचिका में विग्नेश शिशिर ने कहा है कि राहुल गांधी द्वारा ब्रिटिश नागरिकता को कथित तौर पर छुपाने की वजह से उनके रायबरेली लोकसभा सीट से निर्वाचन को रद्द भी कर दिया जाना चाहिए। याची ने दलील दी कि उसके पास ब्रिटिश सरकार के कुछ दस्तावेज और ईमेल हैं, जिससे साबित होता है कि राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक हैं। और चूंकि यह मामला दोहरी नागरिकता का है, इस वजह से वे देश में चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य हैं, क्योंकि भारत मे चुनाव लड़ने के लिए भारत का वैध नागरिक होना जरूरी है। और चूंकि राहुल गांधी ब्रिटिश नागरिक भी हैं, इसलिए उनकी भारतीय नागरिकता अपने आप समाप्त हो जाती है। और अगर वे वैध भारतीय नागरिक नहीं हैं तो उनका रायबरेली से निर्वाचन भी अवैध है। शिशिर ने अपनी याचिका में ये भी कहा है कि उन्होंने इसके बारे में सक्षम प्राधिकारी को दो बार शिकायतें भी भेजीं, लेकिन कोई कार्रवाई न होने की वजह से याचिका दायर की है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 24 मार्च को केंद्र को निर्देश दिया कि वह कांग्रेस सांसद और विपक्ष के नेता राहुल गांधी की नागरिकता की स्थिति पर चार सप्ताह के भीतर निर्णय ले। ऐसे में केंद्र को कोर्ट में अपनी ओर से स्टेटस रिपोर्ट 21 अप्रैल को दाखिल करनी है।

मामले के याची विग्नेश शिशिर ने दावा किया है कि उन्होंने इस मामले में विस्तृत जांच की है। इसके लिए उन्होंने यूके सरकार के गोपनीय ईमेल भी एक्सेस किए हैं, जिनसे राहुल गांधी के ब्रिटिश नागरिकता रखने के रिकॉर्ड का पता चलता है। याचिका के अनुसार, ब्रिटिश सरकार ने सामान्य डेटा संरक्षण विनियमों के तहत व्यक्तिगत डेटा का खुलासा करने से इनकार कर दिया, और कहा है कि ऐसी जानकारी केवल राहुल गांधी के अधिकार पत्र पर ही जारी की जा सकती है। ऐसे में केंद्र सरकार को निर्देशित किया जाए कि इस बारे में उचित कार्रवाई कर सच्चाई का पता लगाएं।

इन आरोपों के बारे में गांधी परिवार की बेटी और वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी ने कहा है कि सारा देश जानता है कि राहुल गांधी यहीं पले और बड़े हुए हैं। ऐसे में उन पर इस तरह के आरोप बेबुनियाद हैं। लोग इस बारे में बेवजह विवाद खड़ा कर रहे हैं। परंतु यहां सवाल उनकी भारतीय नागरिकता का है ही नहीं। विवाद तो यह है कि उन्होंने ब्रिटेन की भी नागरिकता ले रखी है। और इस कारण उनकी भारतीय नागरिकता अपने आप समाप्त हो जाती है। और कोर्ट में भी यही आधार लिया गया है।

दिल्ली हाईकोर्ट में भी है स्वामी की याचिका : उधर दिल्ली हाईकोर्ट में भी राहुल गांधी की दोहरी नागरिकता से सम्बंधित एक और याचिका चल रही है। कोर्ट पूर्व रास सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर भी राहुल गांधी की दोहरी नागरिकता पर सुनवाई कर रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले विग्नेश ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चीफ जस्टिस मनमोहन व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष पेश होकर दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि इस मामले में वे सीबीआई के सामने पेश हुए हैं, और उन्होंने इस मामले से जुड़े बहुत सारे गोपनीय सबूत पेश किए हैं। इसलिए इस मामले की जांच सीबीआई द्वारा भी की जा रही है। इस पर पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष लंबित याचिका में व्यापक प्रार्थनाएं शामिल हैं, और कोर्ट नहीं चाहती कि एक ही मुद्दे पर दो समानांतर कार्यवाही जारी रहे। शिशिर ने भी यह दावा किया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के समक्ष उनकी जनहित याचिका निस्तारण के अंतिम चरण में है। न्यायालय ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से पूछा कि उसने भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी के उस दावे पर अभी तक जवाब क्यों नहीं दिया है, जिसमें उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के ब्रिटिश नागरिक होने का दावा किया है। पीठ ने केंद्र के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा से मामले के संबंध में सरकार से निर्देश प्राप्त करने को भी कहा। यह तब हुआ जब सुब्रमण्यम स्वामी ने हाईकोर्ट को बताया कि सरकार ने राहुल गांधी को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनकी ब्रिटिश नागरिकता के बारे में स्पष्टीकरण मांगा है, पर उनकी ओर से इसका कोई जवाब नहीं आया है। और उसके बाद केंद्र सरकार की ओर से और कोई कार्रवाई नहीं की गई है। स्वामी ने दावा किया है कि गृह मंत्रालय को लिखे उनके पत्र से स्पष्ट है कि राहुल ब्रिटिश नागरिक भी हैं। और भारतीय कानून के तहत किसी भी भारतीय के पास किसी अन्य देश की नागरिकता नहीं हो सकती। स्वामी का कहना है कि इस बात का भी जवाब नहीं दिया गया, और न ही राहुल गांधी को कोई रिमाइंडर भेजा गया। कुल मिलाकर केंद्र द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। ऐसे में सरकार को जिम्मेदारी पूरी करनी चाहिए। स्वामी की याचिका में कहा गया है कि राहुल गांधी की दोहरी नागरिकता भारतीय न्याय संहिता और पासपोर्ट अधिनियम के तहत अपराध भी है। इसलिए इस मामले में सीबीआई को मामला दर्ज कर इसकी जांच करने का आदेश दिया जाना चाहिए। स्वामी ने यह भी तर्क दिया कि उनकी याचिका और इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित विग्नेश शिशिर की याचिकाओं में एक जैसी प्रार्थनाएं नहीं हैं। इसलिए यहां भी सुनवाई जारी रह सकती है। असल में पीठ ने कोर्ट में पेश शिशिर से पूछा था कि आप क्या चाहते हैं, तो शिशिर ने कहा कि अब दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहा मामला निरर्थक हो गया है, क्योंकि भारत सरकार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष यह दलील दी है कि वे निर्णय लेने के अंतिम चरण में हैं। इस पर एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित मामले दिल्ली हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र को बाधित नहीं करेंगे। तब कोर्ट ने विग्नेश शिशिर से कहा कि आप जब भी जरूरत हो हमारी सहायता कर सकते हो। इसके बाद कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 28 मई के लिए निर्धारित कर दी।

दूसरे देश का नागरिक बने तो भारत के नहीं रहेंगे : अब सवाल ये है कि क्या भारत दोहरी नागरिकता की अनुमति देता है, जवाब है ना। भारत का संविधान किसी भी व्यक्ति को एक ही समय में भारतीय और विदेशी नागरिकता दोनों रखने से रोकता है। संसद में विदेश मंत्रालय से पूछे गए सवाल के जवाब में कहा गया था कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 9 तथा नागरिकता कानून 1955 के सेक्शन 9 के प्रावधानों के मुताबिक़ भारत के किसी नागरिक को दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं है। अगर कोई व्यक्ति दूसरे देश की नागरिकता हासिल कर लेता है, तो उसका भारतीय पासपोर्ट रखना, इस्तेमाल करना भारतीय पासपोर्ट अधिनियम, 1967 के तहत अपराध माना जाता है। काउंसलेट जनरल ऑफ इंडिया, अमेरिका की एक वेबसाइट के मुताबिक, जब आप विदेशी नागरिकता हासिल कर लेते हैं, तो आपको अपना भारतीय पासपोर्ट कैंसल कराने के लिए उस संबंधित भारतीय दूतावास को सौंपना होगा। यानी उस देश में स्थित भारतीय दूतावास में सौंपना होगा, जहां की नागरिकता आप हासिल कर लेते हो। इसके बाद भारतीय दूतावास इसे कैंसल कर देगा और आपको आपका पासपोर्ट सरेंडर सर्टिफिकेट के साथ वापस कर देगा। हालांकि विदेश मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक, उत्तरी अमेरिका और दूसरे विकसित देशों में रहने वाले प्रवासी भारतीयों की तरफ से ‘दोहरी नागरिकता’ की लगातार मांग को देखते हुए सरकार ने अगस्त 2005 में नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन करके ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया (ओसीआई) स्कीम की शुरुआत की थी। परंतु राहुल गांधी के पास ये सुविधा नहीं है।

स्वामी का आरोप, राहुल को बचा रहे मोदी-शाह : पूर्व भाजपा सांसद डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार और उसकी एजेंसियां नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को बचाने में लगी हैं। उनका कहना है कि मेरे तमाम आवेदनों के बावजूद केंद्र की एजेंसी इसमें ढुल-मुल रवैया अपना रही है। यह बात उन्होंने कोर्ट के बाहर पत्रकारों से कही और कोर्ट के अंदर पीठ से भी कही। उनका कहना है कि अगर राहुल गांधी केंद्र के नोटिस का जवाब नहीं दे रहे हैं तो उनको रिमाइंडर भेजना चाहिए, किंतु केंद्रीय एजेंसी इस मामले में आगे कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। उनका मानना है कि ऐसा तभी संभव है जब केंद्र की सत्ता में बैठे जिम्मेदार ऐसा न चाहते हों। इस मामले में उनका सीधा आरोप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर है। इस आरोप को वह पब्लिकली कोर्ट के बाहर और अंदर कई बार कह चुके हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह ऐसा क्यों चाहेंगे। जानकारों का मानना है कि ऐसा तभी हो सकता है कि जब वे ये न चाहें कि उन पर किसी राजनीतिक दुराग्रह का आरोप लगे। और इस मामले में जो भी हो वह केंद्रीय एजेंसियों और हाईकोर्ट की मार्फत हो। क्योंकि यह बात तो सच है कि जब भी राहुल गांधी की नागरिकता समाप्त करने की कार्रवाई होगी तो आरोप पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर ही लगेंगे। इसीलिए शायद वे फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं। इस बाबत भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पार्टी आलाकमान यह नहीं चाहता कि राहुल गांधी को विक्टिम कार्ड खेलने का मौका मिल जाए। इसलिए भले ही देर हो रही है, पर जो भी हो वह कोर्ट के माध्यम से ही। ताकि किसी विरोधी को कोई आरोप लगाने का मौका ना मिले। दूसरा यह भी कि ऐसा लगता है कि भाजपा अपने सामने राहुल गांधी जैसा कमजोर प्रतिद्वंद्वी ही रखना चाहती है। क्योंकि पार्टी का मानना है कि राहुल का रहना भी भाजपा की जीत की गारंटी है। सूत्रों का कहना है कि ऐसे में अगर राहुल गांधी की नागरिकता जाती है तो कांग्रेस का नेतृत्व किसी और को मिल जाएगा, और वह निश्चित तौर पर राहुल गांधी से बेहतर ही होगा। वैसे भी राहुल गांधी की अयोग्यता का लाभ उठाने के लिए विपक्ष की अन्य पार्टियां भी तैयार बैठी हैं। इंडी गठबंधन में तो दिल्ली चुनाव के समय से ही नेतृत्व परिवर्तन की बात उठ रही है। पर कुछ भी हो सुब्रमण्यम स्वामी राहुल गांधी को छोड़ने के मूड में कतई नहीं दिख रहे हैं। इसीलिए वे इस प्रयास में लगे हैं कि दिल्ली हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई खत्म न होने पाए। दिल्ली हाईकोर्ट के पास इसका आधार भी है कि इस विषय पर एक और याचिका की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रही है। कोर्ट का भी मानना है कि एक ही विवाद पर दो सुनवाई चलने से आदेशों में टकराव की स्थिति आ सकती है। शायद इसीलिए दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ इस मामले को लगातार टाल रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल याचिका के याची विग्नेश शिशिर ने भी पीठ से कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में उनका मामला अंतिम चरण में है, इसलिए इस मामले को आगे चलाने का कोई आधार नहीं है। परंतु दिल्ली हाईकोर्ट ने स्वामी की रिक्वेस्ट पर ही इस मामले को अभी खत्म नहीं किया है। उधर स्वामी का तर्क है कि दोनों याचिकाओं की याचना में अंतर है, इसलिए दोनों याचिकाएं अलग-अलग चल सकती हैं। उनका तर्क है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रही याचिका राहुल की रायबरेली से सांसदी खत्म करने के लिए है और उनकी याचिका राहुल गांधी के खिलाफ धोखाधड़ी के लिए आपराधिक बाद चलाए जाने की है। ऐसे में दोनों ही याचिकाओं का विषय अलग है।

नेशनल हेराल्ड का भी भूत पीछे पड़ा गांधी परिवार के : लगता है कि गांधी परिवार के लिए वर्ष 2025 अच्छा नहीं रहने वाला है। सहयोगी पार्टियों की घुड़की झेल रही कांग्रेस और उसके सर्वेसर्वा गांधी परिवार की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। चाहे वह बिहार की राष्ट्रीय जनता दल हो, पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस हो, उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी हो, दिल्ली की आम आदमी पार्टी हो या फिर जम्मू-कश्मीर की नेशनल कांफ्रेंस हो सभी कांग्रेस को आंखे दिखाने में लगे हैं। अब बीते 15 अप्रैल को एक पुराना मामला उभर कर आ गया है। लगभग 11 साल से जांच के दायरे में चल रहे नेशनल हेराल्ड मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी चार्जशीट दाखिल कर दी है। इस मामले की स्वीकार्यता पर राउज एवेन्यू कोर्ट में 25 अप्रैल को सुनवाई होगी। यह मामला भाजपा नेता और पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की जनहित याचिका पर शुरू हुआ था। इस मामले में कांग्रेस की बड़ी नेता और राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस के विवादित बोल वाले नेता सैम पित्रोदा भीसमेत कई लोगों को आरोपित किया गया है। यह खबर आने के तुरंत बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया है। इसके अलावा 15 अप्रैल को ही प्रवर्तन निदेशालय ने गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा को भी पूछताछ के लिए बुलाया था। इडी से लगभग 6 घंटे की पूछताछ के बाद इडी के दफ्तर से बाहर निकले रॉबर्ट वाड्रा ने कहा कि चूंकि हम लोग सरकार के खिलाफ बोलते रहते हैं इसलिए हमें जांच एजेंसियों के माध्यम से डराने और धमकाने की कोशिश की जा रही है। राबर्ट वाड्रा से तीन दिन लगातार पूछताछ की गई। रॉबर्ट वाड्रा पर जमीन की खरीद के एक मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया गया है। मामला गुड़गांव से जुड़ा है। इन दोनों मामलों में राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी और सपा प्रवक्ता अमीक जमई ने भी केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि केंद्र की भाजपा सरकार विपक्ष को डराने की कोशिश कर रहा है, पर विपक्ष डरने वाला नहीं है। जबकि भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है।

अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक