लखनऊ। लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद बांह चढ़ाकर भाजपा को लपेटे में लेने वाले अखिलेश यादव को उनके दो नेताओं ने ऐसा शर्मसार किया है कि उनकी बोलती बंद हो गई है। दुर्भाग्यवश ये दोनों ही दागी नेता उनके कोर वोटर एमवाई यानी मुस्लिम और यादव वर्ग से जुड़े हैं। अभी वे अयोध्या के अपने नेता मोइद खां पर लगे आरोपों की सफाई दे ही नहीं पाए थे कि कन्नौज में उनके एक और करीबी नवाब सिंह यादव नाबालिग लड़की से रेप के प्रयास में धर लिए गए हैं। पुलिस में पाक्सो एक्ट में चालान भी कर दिया। ये दूसरा मामला भी अखिलेश के सियासी भविष्य पर भारी पड़ता दिख रहा है। आने वाले उपचुनाव में निश्चित तौर पर दोनों मुद्दे सपा के लिए गंभीर राजनीतिक संकट बनेंगे।
खबरों के अनुसार मुख्यमंत्री योगी ने अयोध्या के भदरसा सामूहिक रेप कांड में अखिलेश यादव को ऐसा लपेटा है कि उनको समझ ही नहीं आ रहा है कि किस ओर जाएं। आगे कुआं है और पीछे खाई। यानी अखिलेश अगर पीड़िता का पक्ष लेते हैं तो मुस्लिम वोट बैंक की नाराजगी का खतरा है और यदि अपने नगर अध्यक्ष का पक्ष लेते हैं तो जग हंसाई तो होगी ही, साथ ही पीडीए समीकरण के पी यानी पिछड़े वर्ग की नाराजगी का भी खतरा है। वे इसमें में उलझ कर रह गए हैं। इस मामले में उन्होंने तकनीकी पहलू यानी नार्को और डीएनए टेस्ट का शगूफा छोड़ा है। इस पर भी भाजपा हमलावर है और ये कह रही है कि अखिलेश ऐसे बयान देकर मामले को भटकाना और अपनी पार्टी के रेपिस्ट नेता को बचाना चाहते हैं। सवाल पूछा जा रहा है कि अखिलेश यादव ने खुद अपने कार्यकाल में कितने मामलों में डीएनए टेस्ट करवाए हैं। हालांकि खबर है कि सरकार ने डीएनए टेस्ट के भी तैयारी कर ली है।
अयोध्या मामले को लेकर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का कहना है कि रेप पीड़िता का डीएनए टेस्ट करवाना कैसे गलत हो सकता है जबकि कानून में इसकी व्यवस्था है। यदि कोई दोषी पाया जाता है तो उसे सजा मिलनी चाहिए। पर इतने उम्र दराज व्यक्ति को इस तरह फंसाना ठीक नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि दरअसल अयोध्या की हार को भारतीय जनता पार्टी पचा नहीं पर रही है। इस वजह से इस मामले में पुलिस पर दबाव बनाकर बेकसूर लोगों को झूठे केस में फंसा रही है। पुलिस बीजेपी के इशारे पर काम कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी मुसलमानों का अधिकार छीनना चाहती है।
कन्नौज के ताजा मामले में फंसे उनके और डिम्पल यादव के प्रतिनिधि रह चुके नवाब सिंह यादव ने तो वह डिफेंस नहीं छोड़ा है। वे रंगेहाथ पकड़े गए हैं। पार्टी अब क्या करेगी। घटनाक्रम के अनुसार समाजवादी पार्टी का नेता, पूर्व ब्लाक प्रमुख नवाब सिंह यादव नाबालिग लड़की से रेप के प्रयास के आरोप में सोमवार को गिरफ्तार किया गया है। आरोपी पार्टी का नेता और डिम्पल यादव तथा अखिलेश यादव का प्रतिनिधि रह चुका है। इस बार कन्नौज से टिकट का प्रबल दावेदार भी था। उस पर रंगदारी, अपहरण आदि के 15 मामले दर्ज हैं। सपा शासन में उसे मिनी सीएम कहा जाता था। आरोपी एक डिग्री कालेज भी चलाता है।
आरोप है कि उसने एक नाबालिक को नौकरी देने के बहाने बुलाया और मौका पाकर रेप की कोशिश की। 112 पर काल पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने नवाज सिंह यादव को गिरफ्तार कर लिया। खबर है कि पुलिस ने रेप के प्रयास और पाक्सो एक्ट में आरोपी के खिलाफ मुकदमा लिख लिया है। बाद में मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए पीड़िता के बयान के आधार पर नवाब सिंह यादव पर रेप का केस भी दर्ज किया गया है। इस खबर के आने के बाद कन्नौज से लेकर लखनऊ तक हड़कंप मच गया। खबर है कि सरकार ने इस मामले में भी सपा की मांग को देखते हुए डीएनए टेस्ट कराने का फैसला लिया है। सपा के नेताओं ने इस मामले में डीएनए टेस्ट की मांग की थी।
अयोध्या के मामले में अखिलेश यादव ने आरोप लगाया था कि सपा को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। भाजपा की खास कर मुसलमानों को लेकर सोच अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है। उधर भाजपा के राज्यसभा सांसद बाबूराम निषाद के नेतृत्व में अयोध्या गयी तीन सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने अपनी रिपोर्ट शीर्ष नेतृत्व को सौंप दी है। रिपोर्ट लगभग 4 पन्नों की है। सूत्रों के अनुसार उसमें धटना की वजह मोइद खां के बड़े सियासी रसूख और पुलिस के गैर जिम्मेदाराना रुख को धटना के लिए जिम्मेदार माना गया है।
उधर भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने सपा मुखिया अखिलेश यादव के बयान पर कहा है कि अखिलेश यादव तो अपने पिता से भी आगे निकल गए हैं। उनके पिता मुलायम सिंह यादव ने रेप को लड़कों की गलती बताकर शर्मसार किया तो अखिलेश अयोध्या के सामूहिक रेप को षड्यंत्र बताकर गुमराह कर रहे, जो चिंता का विषय है। वे एक पीड़ित बेटी की आवाज को अनसुना कर रहे। साथ ही आरोपी मुसलमान है तो वे ‘मजहबी तुष्टिकरण’ की भी कोशिश कर रहे हैं। पूर्व सांसद साध्वी निरंजन ज्योति भी घटना के बाद अयोध्या आयीं। पूर्व सांसद ने पीड़िता के परिजनों से मुलाकात के बाद कहा कि इस मामले में सपा नेताओं का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे मामलों में राजनीति करना ग़लत है। उधर लखनऊ के 1090 चौराहे पर भाजपा नेता श्वेता सिंह ने अयोध्या रेप केस से जुड़ा एक पोस्टर लगाया था। इसमें रेप कांड के आरोपी मोईद खां के बचाव में डीएनए टेस्ट की मांग पर श्वेता ने समाजवादी पार्टी पर हमला करते हुए लिखा है कि
लड़के हैं गलती हो जाती है।
मोइद है गलती हो जाती है।।
कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव में प्रदेश की लगभग आधी सीटें हथियाने के बाद सपा के हौसले बुलंद थे। विधानसभा, लोकसभा और राज्यसभा में प्रवक्ताओं की आवाज में तल्खी और बुलंदी देखने को मिल रही थी। किंतु अयोध्या के भदरसा क्षेत्र में अति पिछड़े वर्ग की नाबालिक लड़की से सपा नेता मोइद खां और उसके नौकरों द्वारा रेप की घटना को अंजाम देने के बाद उठे राजनीतिक बवंडर के बाद सपा के नेताओं की आवाज में काफी नरमी आ गई है। काफी दिनों तक सपा नेता चुप्पी साधे रहे। सांसद फैजाबाद अवधेश प्रसाद पासी भी चुप रहे। पत्रकारों के पूछने पर यह कह कर सवाल टाल दिया कि मुझे अभी मामले की जानकारी नहीं है। ऐसे में समाजवादी पार्टी फिलहाल राजनीतिक रूप से बैकफुट पर दिख रही है। पार्टी को लगता है कि कहीं ये मामला आने वाले विधानसभा उपचुनाव में उसे नुकसान न पहुंचा दे। ज्यादा परेशानी मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र को लेकर है, जहां उपचुनाव होना है। समाजवादी पार्टी को डर है कि अगर कहीं भाजपा ने मिल्कीपुर सीट हथिया ली तो अयोध्या में जीत का जश्न फीका पड़ जाएगा। इसीलिए सपा नेताओं ने डीएनए और नार्को टेस्ट का शगूफा छोड़ा है ताकि मामले को लटका कर डैमेज कंट्रोल किया जा सके। लेकिन भाजपा और उसके समर्थक दलों के नेता उनकी इस मांग पर सवाल उठा रहे हैं।भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद तो पीड़िता के परिवार से मिलने के बाद मीडिया के सामने परिवार की पीड़ा बताते समय रो पड़े। इसकी काफी चर्चा रही।
भाजपा को लगता है कि अगर उसने अयोध्या के सामूहिक बलात्कार और कन्नौज में रेप की कोशिश के इन मुद्दों को जीवित रखकर विधानसभा का उपचुनाव लड़ा और मिल्कीपुर सीट पर कब्जा कर लिया तो यह नहले पर दहला जैसा होगा। और तब पब्लिक और हाई कमान को भी समझाने में आसानी रहेगी कि हमने फैजाबाद संसदीय क्षेत्र से हार का बदला ले लिया। ऐसे में भाजपा को समाजवादी पार्टी का मनोबल गिराने में भी आसानी रहेगी।
कन्नौज का ताजा मामला सामने आने के बाद भाजपा और हमलावर हो गई है। भाजपा इसे उपचुनाव में उठाने में कत्तई गुरेज नहीं करेगी। हालांकि सपा नेताओं का कहना है कि नवाब सिंह यादव अब पार्टी का सक्रिय सदस्य नहीं है। लेकिन भाजपा आसानी से पीछा छोड़ने वाली लग नहीं रही। अयोध्या के बाद हुई कन्नौज की धटना पर समाजवादी पार्टी को घेरते हुए भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने मंगलवार को पत्रकार वार्ता में कहा कि समाजवादी पार्टी के डीएनए में अपराध है। अब प्रियंका गांधी कहां गईं जो कहती थीं कि लड़की हूं, लड़ सकती हूं। समाजवादी पार्टी द्वारा कन्नौज मामले में आरोपी से पल्ला झाड़ लेना भी उनकी गलत नीयत को दर्शाता है सच्चाई यह है कि आरोपी सपा लोहिया वाहिनी का पूर्व जिलाध्यक्ष है। सपा के डीएनए में ही खोट है। सपा के नेता कहते थे कि लड़के हैं, लड़कों से गलती हो जाती है। पर इस बार तो गलती नहीं, अपराध हुआ है। मुख्यमंत्री योगी ने भी कहा है कि सपा सरकार जाने के बाद अराजकता में कमी आई है। पर अब वे फिर वहीं माहौल लाने का प्रयास कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि सपा का सिर्फ चेहरा बदला है, कारनामे वही हैं। पर हम ऐसा चलने नहीं देंगे।
भाजपा के आरोपों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता जूही सिंह ने कहा कि नवाज सिंह यादव पद से हटाए गए नेता हैं। उनका अब सपा से कोई संबंध नहीं है। सपा से उनके निष्कासन का भी पत्र जारी किया जा चुका है। चाहे अयोध्या हो या कन्नौज हो, हम दोनों पीड़िताओं के साथ खड़े हैं। इन मामलों में हमें बदनाम करने की साज़िश रची जा रही है। कुल मिलाकर सपा नेताओं की ये दोनों करतूतें पार्टी पर भारी पड़ रही हैं। देखें जनता क्या निर्णय लेती है। दूसरी तरफ बसपा ने आरोप लगाया है कि नवाब सिंह यादव पर समाजवादी पार्टी झूठ बोल रही है, वह सपा का ही नेता है। पार्टी ने मांग की है कि कन्नौज मामले की पूरी जांच होनी चाहिए। पार्टी ने सवाल उठाया है कि नवाब सिंह यादव को अखिलेश क्यों बचा रहे हैं, यह सोचने वाली बात है। उधर काफी दिनों तक चुप्पी साधे रहने के बाद कांग्रेस की बड़ी नेता प्रियंका गांधी ने भी चुप्पी तोड़ दी और कहा कि हम पीड़िता के साथ हैं। यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने भी कन्नौज की घटना का जिक्र करते हुए कहा,“ यूपी की भाजपा सरकार पूरी तरह से फेल हो गई है। यूपी में जंगलराज कायम है। उन्होंने मांग की है कि आरोपी जो भी हो, सरकार को उस पर कार्रवाई करनी चाहिए। कुल मिलाकर इस समय मामला गर्म है और वार-पलटवार जारी है। एक बात तो तय है कि इन दोनों मामलों ने सपा की छवि को नुकसान तो पहुंचाया ही है। देखें सपा इस झटके से कैसे उबर पाती है।
अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक