अयोध्या कांड ने बढ़ा दी उपचुनाव की सरगर्मी

* योगी ने स्वयं समेत डिप्टी सीएम द्वय केशव मौर्य, बृजेश पाठक, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और संगठन महामंत्री धर्मपाल को सौंपी दो-दो सीटों की जिम्मेदारी * सपा में भी प्रत्याशियों पर मंथन, छह सीटों पर नाम लगभग तय, बाकी चार सीटों पर फैसला कांग्रेस से वार्ता के बाद किया जाएगा * बसपा ने भी आरक्षण में कोटे के अंदर कोटा को प्रमुख चुनावी मुद्दा बनाने का लिया है फैसला, कार्यकर्ताओं को गांव-गांव चौपाल लगाने का निर्देश

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लखनऊ। संसद का मानसून सत्र समाप्त हो गया है। अब कभी भी उत्तर प्रदेश में दस विधानसभा सीटों के लिए उपचुनावों की घोषणा हो सकती है। वैसे भी इस समय अयोध्या के सामूहिक रेप कांड का मामला गर्म है। समाजवादी पार्टी इस समय दबाव में भी है। ऐसे में उपचुनाव के लिए भाजपा को इससे मुफीद समय नहीं मिल सकता। इसके अलावा यूपी में भाजपा का पावर गेम फिलहाल थमा हुआ है। ऐसे में सभी दिग्गजों को अपनी क्षमता दिखाने का मौका भी मिल जाएगा। दूसरी तरफ सपा और बसपा में भी इस चुनाव को लेकर मंथन चल रहा है। सपा ने जहां छह सीटों पर प्रत्याशी लगभग तय कर लिये हैं वहीं बसपा ने अपने कार्यकर्ताओं को गांव-गांव चौपाल लगाने का निर्देश दिया है।

लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आने के बाद प्रदेश भाजपा में उठी वर्चस्व की लड़ाई फिलहाल थम सी गई लगती है। इसके अलावा अयोध्या के भदरसा में अति पिछड़े वर्ग की नाबालिग लड़की से हुए सामूहिक रेप कांड ने भाजपा को एक चुनावी मुद्दा दे दिया है। ऐसे में भाजपा के पक्ष में माहौल भी बनता दिख रहा है। इसके मद्देनजर मुख्यमंत्री योगी ने अपनी चुनावी बिसात भी बिछानी शुरू कर दी है। उन्होंने स्वयं समेत डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, डिप्टी सीएम बृजेश पाठक, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और संगठन महामंत्री धर्मपाल को दो-दो विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंप कर दौरे करने के निर्देश दे दिए हैं। योगी ने पहले ही प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र के लिए तीन-तीन मंत्रियों की तैनाती कर रखी है। दूसरी ओर पार्टी नेता मोइद खां की सामूहिक रेप जैसी घृणित करतूत ने सपा मुखिया अखिलेश यादव को थोड़ा असहज कर दिया है। वे फिलहाल बैकफुट पर दिख रहे हैं।

हालांकि उनकी चुनावी तैयारियां भी अंदर खाने चल रही हैं। उधर बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी सभी दस विधानसभा सीटों पर उपचुनाव लड़ने का फैसला लिया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में दिए गए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में कोटे के अंदर कोटे की मंजूरी को अपना चुनावी मुद्दा बनाने का फैसला लिया है। उन्होंने इस मामले में अपने वोटरों को समझाने के लिए कार्यकर्ताओं को गांव-गांव में चौपाल लगाने का निर्देश दिया है। मायावती का कहना है कि यह कोटा सिस्टम दलितों का आरक्षण खत्म करने का हथियार बन सकता है। इसलिए हम इसके खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे। हालांकि शुक्रवार को संसद के मानसून सत्र की समाप्ति के दिन अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सांसदों को मुलाकात के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने आश्वस्त किया है कि इस पर कोई रास्ता निकाला जाएगा और कोशिश की जाएगी कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश लागू करने की नौबत न आए।

उपचुनाव की आहट सुनकर सीएम योगी ने कमान संभाल ली है। उन्होंने सभी दस विधानसभा सीटों को स्वयं समेत पार्टी के चार धुरंधरों में दो-दो सीटों का बंटवारा कर अपने दौरे तेज करने का निर्देश दिया है। पहले चरण में सीएम ने अयोध्या से अभियान शुरू किया है। वे अयोध्या में मिल्कीपुर और अम्बेडकरनगर की कटेहरी सीट का दौरा करने मंगलवार को निकले थे। भाजपा के लिए मिल्कीपुर विधानसभा सीट जीतना प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है। मिल्कीपुर से अवधेश प्रसाद पासी विधायक थे। अब वे अयोध्या-फैजाबाद से सांसद चुन लिए गए हैं। इसीलिए भाजपा मिल्कीपुर का रण हर हाल में जीतना चाहती है ताकि फैजाबाद में लोकसभा की हार का बदला लिया जा सके। सूत्र बताते हैं कि योगी ने इसीलिए मिल्कीपुर और कटेहरी का जिम्मा खुद लिया है। खबर है कि भाजपा मीरपुर सीट अपनी गठबंधन साथी राष्ट्रीय लोकदल को देने का फैसला किया है।

मुख्यमंत्री के अलावा प्रदेश भाजपा कोर कमेटी के चार अन्य सदस्यों को भी दो-दो सीट की जिम्मेदारी दी गई है। उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या फूलपुर और मझंवा सीट के दौरे करेंगे। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक सीसामऊ और करहल की जिम्मेदारी उठाएंगे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी मीरापुर और कुंदरकी विस क्षेत्र का दौरा करेंगे। और प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल को खैर और ग़ाज़ियाबाद की जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा उपचुनाव के मद्देनजर यूपी में भाजपा संगठन को मजबूत करने की तैयारी है। इसके लिए पार्टी सदस्यता अभियान भी चलाएगी। बस केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलने का इंतजार किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं वहीं से इस अभियान की शुरुआत की जाएगी।

उधर सपा ने भी अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। सूत्रों के अनुसार पार्टी ने मिल्कीपुर से अजीत प्रसाद को प्रत्याशी बनाने का फैसला लिया है। अजीत प्रसाद फैजाबाद के सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे हैं। इसके अलावा लालजी वर्मा के सांसद बनने से खाली हुई कटेहरी विधानसभा सीट से उनकी बेटी छाया वर्मा को उतारा जा सकता है। इसी प्रकार अखिलेश यादव द्वारा खाली की गई करहल विधानसभा सीट से उनके पारिवारिक भतीजे तेज प्रताप यादव को प्रत्याशी बनाया जा सकता है। कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट से इरफान सोलंकी के पारिवारिक व्यक्ति को उतारा जा सकता है। अभी नाम पर मंथन चल रहा है। यह सीट इरफान सोलंकी को विधायक पद से अयोग्य घोषित किए जाने से खाली हुई है। कुंदरकी विधानसभा सीट से पूर्व विधान परिषद सदस्य हाजी रिजवान के नाम की चर्चा है। मीरापुर से पार्टी पूर्व सांसद कादिर राणा को पार्टी प्रत्याशी बना सकती है। बाकी 4 सीटों को लेकर सपा में अभी मंथन जारी है। सूत्रों का कहना है कि इन पर कांग्रेस से अंतिम वार्ता के बाद फैसला लिए जाने संभावना है।

बसपा ने भी उपचुनाव के मद्देनजर अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि बसपा ने इसके लिए अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में कोटे के अंदर कोटा की नई प्रणाली के मुद्दे को सियासी धार देने का फैसला लिया है। इस उपचुनाव में पार्टी का सियासी हथियार यही होगा। इसके लिए पार्टी ने गांव चलो अभियान चलाकर और गांव-गांव में चौपाल लगाकर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वोटरों को जागरूक करने का फैसला लिया है। पार्टी कोटे के अंदर कोटा के फैसले से सहमत नहीं है और इसी को उपचुनाव में अपना हथियार बनाएगी। पार्टी सुप्रीमो मायावती को संदेह है कि इस फैसले से सरकार जब चाहेगी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का आरक्षण खत्म कर देगी। बसपा सुप्रीमो ने निर्देश दिया है कि कार्यकर्ता गांवों में चौपाल लगाकर अपनी बात वोटरों तक पहुंचाएं। सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सांसदों को इस नियम को लागू नहीं होने के आश्वासन के बाद यह मुद्दा कमजोर हो सकता है। इसलिए बसपा प्लान बी पर भी विचार कर लेना चाहिए।

आने वाले उपचुनाव भाजपा और सपा के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गए हैं। इस उपचुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर भाजपा जहां अपनी खोई प्रतिष्ठा वापस पाना चाहती है वहीं सपा भी अपनी जीत की लय बरकरार रखना चाहेगी। दोनों पार्टियां अपने वर्तमान सीटों में वृद्धि कर अपना प्रदर्शन बेहतर करना चाहेंगी। भाजपा की नज़र विशेष रूप से मिल्कीपुर और करहल विधानसभा सीट पर रहेगी। मिल्कीपुर में सपा को हराकर भाजपा यह संदेश देना चाहेगी कि हमने सांसद को उसी के गढ़ में हराकर फैजाबाद में अपनी हार का बदला ले लिया। करहल में सपा को हराकर भाजपा अखिलेश यादव को संदेश देना चाहेगी कि वे अपने गढ़ में भी अजेय नहीं हैं। इसके बाद भाजपा को अपने पक्ष में विजयी नैरेटिव गढ़ने में काफी आसानी रहेगी। वहीं सपा इन दोनों सीटों पर किसी भी हाल में जीत बरकरार रखना चाहेगी।

अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक