सिख धर्म का महातीर्थ गुरुद्वारा बंगला साहिब धार्मिक पर्यटन समाजसेवा……. दिल्ली का गुरुद्वारा बंगला साहिब देश के सबसे बड़े सिख तीर्थस्थलों में से एक है। गुरुद्वारा राजधानी का सबसे बड़ा पर्यटक स्थल भी है। इसका निर्माण 1783 में सिख जनरल सरदार भगेल सिंह ने किया था। इसके परिसर में एक प्रार्थना कक्ष, अस्पताल, स्कूल, संग्रहालय भी है। लोग इसे सिखों का मंदिर ही समझते हैं, लेकिन असल में यह राजा जय सिंह का बंगला हुआ करता था।
वह 17वीं शताब्दी में एक शासक थे। बंगले को जयसिंहपुरा पैलेस कहा जाता था। आज जिस जगह पर गुरुद्वारा बंगला साहिब बना है, उसे पहले जयसिंह पुरा कहा जाता था, जिसे अब कनॉट प्लेस के नाम से जाना जाता है। इस बंगले में सिखों के 8 वें गुरू गुरू हर कृष्ण रहते थे। उस वर्ष लोगों में चेचक और हैजा की महामारी फैल गई थी। आठवें सिख गुरु ने तब बंगले के एक कुएं से ताजा पानी देकर लोगों का उपचार करना शुरू किया। लेकिन बाद में वह भी इस बीमारी से संक्रमित हो गए और उनकी मौत हो गई।
राजा जय सिंह ने तब इस बंगले को आठवें सिख गुरु को समर्पित किया। उनकी मौत के बाद राजा जय सिंह ने कुएं के ऊपर एक छोटा तालाब बनवाया। माना जाता है कि इस तालाब के पानी में बीमारी का उपचार करने के गुण हैं। दुनिया में जगह-जगह से सिख यहां आते हैं और तालाब से पानी लेते हैं, जिसे वे ‘अमृत’ भी कहते हैं। आपको जानकर हैरत होगी, कि बंगला साहिब का हॉल इतना बड़ा है कि इसमें एक साथ 800-900 लोग बैठकर लंगर खा सकते हैं।
अनुमान है कि यहां पर हर दिन 35 से 75 हजार लोग रोजाना लंगर खाते हैं। लंगर रोज सुबह 5 बजे से शुरू होकर देर रात तक चलता है। अच्छी बात है कि कोई भी किचन में जाकर लंगर बनाने में मदद कर सकता है। यह किचन 365 दिन खुली रहती है। एक सस्ता डायग्नोस्टिक सेंटर शुरू किया गया है। जो एमआरआई स्कैन प्राइवेट अस्पतालों में हजाराें का होता है, उसके लिए यहां पर लोगों से मात्र 50 रूपए लिए जाते हैं।
डायग्नोस्टिक सेंटर ने एक किडनी डायलिसिस अस्पताल भी शुरू किया है। दिलचस्प और हैरान करने वाली बात है कि कॉम्प्लेक्स में कोई भी कैश या बिलिंग काउंटर नहीं है, क्योंकि मरीजों को यहां मुफ्त में भर्ती किया जाता है। दिल्ली के बाहर से आने वाले लोग गुरुद्वारे के कमरों में ठहर सकते हैं और लंगर हॉल में भोजन कर सकते हैं।