यहां नहीं होती लड़कों की शादियां कारण भीषण पेयजल संकट

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हमारे जल संकट का एक पहलू यह भी है कि बाढ़ के समय काफी पानी बर्बाद हो जाता है और बाकी समय जलाभाव से जूझना पड़ता है। बाढ़ में चारों ओर पानी ही पानी दिखता है, लेकिन पीने के पानी की ऐसी किल्लत हो जाती है कि आदमी बूंद-बूंद को तरस जाता है।

पेयजल का यह संकट एक बार फिर भयावह रूप धारण कर चुका है. गर्मियों में वैसे तो कुएं, तालाब, हैंडपंप इत्यादि जो भी पेयजल स्त्रोत हैं सभी का जलस्तर नीचे चला जाता है और लोग बूंद-बूंद पानी के लिए मोहताज हो जाते हैं. लेकिन, अप्रैल खत्म होते ही मई-जून महीने की जैसे शुरुआत होती है वैसे-वैसे सभी जल स्रोत सूख जाते हैं. हालात यह हैं कि बच्चों की शादी नहीं हो रही है. रिश्तेदार तक पानी की समस्या की वजह से रिश्तेदारों के घर नहीं आते हैं. लोग दूर-दूर से पानी लाने को मजबूर हैं. भैंस-गाय का दूध बेचकर घर चलता था. लेकिन अब जब खुद पीने के लिए पानी नहीं है, तो जानवरों को क्या पिलाएंगे. ऐसे में जानवर भी नहीं रख रहे हैं

चित्रकूट के गांव में पानी की बहुत बड़ी समस्या है. गांव के बाहर से बैलगाड़ी से पानी लेकर आते हैं. हालात ये हैं कि कई युवाओं की अभी तक शादी नहीं हुई है. कोई शादी के लिए आता है तो पूछता है कि मैं गांव में ही रहूंगा या बाहर कहीं दूसरे शहर.

वहीं, बाशिंदे कहते हैं, बच्चों की शादी नहीं हो रही है. रिश्तेदार तक पानी की समस्या की वजह से हमारे घर नहीं आते हैं. लोग दूर-दूर से पानी लाने को मजबूर हैं. भैंस-गाय का दूध बेचकर हमारा घर चलता था. लेकिन अब जब खुद पीने के लिए पानी नहीं है तो जानवरों को क्या पिलाएंगे. ऐसे में जानवर भी नहीं रख रहे हैं. रिश्तेदार बेटों की शादी की बात करते हैं. लेकिन, फिर पानी की समस्या देखकर किसी को भेजते नहीं है. कोई आ भी जाता है तो वह बात आगे नहीं बढ़ाता है.”
यहां बोरिंग नहीं है. नल नहीं है. टैंकर आता है तो उससे पानी लेने के लिए लोग लड़ मरते हैं. लाठी-डंडा चलने लगता है. हालत बहुत खराब है. उम्र बढ़ती जा रही है. लड़के की शादी हो जाती, बहूरिया आ जाती तो आराम हो जाता. लेकिन, जिसके घर में पानी नहीं है उसके घर में कोई अपनी लड़की नहीं देगा. शादी ही नहीं हो पा रही है लड़कों की.”

ये कहानी है चित्रकूट के गोपीपुर गांव की. पानी की किल्लत ने लोगों की जिंदगी तो बेहाल की है, अब अगली पीढ़ी को भी संकट में खड़ा कर दिया है. लड़कों की शादी नहीं हो रही है. दूध-दही का व्यापार करने वाले लोग जानवर नहीं रख पाने की वजह से व्यापार बंद कर रहे हैं. ढेरों परेशानियां हैं. आजादी के 75 वर्ष बाद भी स्थिति जस की तस है. कुछ ऐसा ही हाल है चित्रकूट व् आसपास के इलाकों के ४०० गावों का।

कुछ ऐसा ही है महाराष्‍ट्र के अमरावती में जलसंकट गहरा गया है। यहां मेलघाट में लोग पानी के गंभीर जल संकट का सामना कर रहे हैं। पेयजल लेने के लिए लोगों को कुएं में 40 फीट नीचे तक उतरना पड़ रहा है।

यहां के ग्रामीण कहते हैं, ‘ पानी के लिए 40 फीट नीचे उतरना पड़ता है। पहले  खराब पानी को हटाया जाता है। उसके बाद साफ पानी के लिए इंतजार किया जाता है। इसमें काफी समय लगता है।

कई बार तो इस काम में ही पूरा दिन लग जाता है। इस पर केवल कुछ ही लोग आखिरकार पीने का पानी ले पाते हैं।’ ग्रामीणों ने सरकारी उदासीनता की आलोचना करते हुए कहा, ‘यह स्थिति कई साल से चली आ रही है।