बैजनाथ ज्योतिर्लिंग होती सभी मनोकामनाएं पूर्ण

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बैजनाथ मंदिर: देवत्व का स्थल……. ज्योतिर्लिंग बैजनाथ मंदिर की खासियत है कि कभी कोई निराश नहीं लौटता। दर्शनार्थी की सभी मनोकामनायें पूर्ण होती हैं। शायद इसी लिए ज्योतिर्लिंग बैजनाथ मंदिर को कामना शिवलिंग भी कहते है। झारखण्ड के देवघर में स्थित इस ज्योतिर्लिंग को पुराणकालीन माना जाता है।

पवित्र तीर्थ होने के कारण श्रद्धालु इसे बैजनाथ धाम भी कहते हैं। यह ज्योतिर्लिंग देवघर में स्थित है। देवघर का आशय देवताओं के घर से है। इस स्थान को देवघर की मान्यता है। ज्योतिर्लिंग बैजनाथ मंदिर को सिद्धपीठ की मान्यता है। इस शिवलिंग की स्थापना का अति प्राचीन इतिहास है। बैजनाथ धाम…..  मान्यता है कि इस मंदिर में आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

इसलिए मंदिर में स्थापित शिवलिंग को कामना लिंग के नाम से भी जाना जाता है। यह लिंग रावण की भक्ति का प्रतीक है। इस जगह को लोग बाबा बैजनाथ धाम के नाम से भी जानते हैं। सावन में इस मंदिर का खास महत्व है। सावन के पूरे महीने में दूर-दूर से लोग कांवड़ लेकर बाबा के धाम पहुंचते हैं और गंगा जल चढ़ाकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

बाबा बैजनाथ धाम की कथा……… भगवान शिव के भक्त रावण और बाबा बैजनाथ की कहानी बड़ी निराली है। पौराणिक कथा के अनुसार दशानन रावण, भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए हिमालय पर तप कर रहा था। वह, एक-एक करके अपने सिर काटकर शिवलिंग पर चढ़ा रहा था। 9 सिर चढ़ाने के बाद जब रावण 10वां सिर काटने ही वाला था तो भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिए और उससे वर मांगने को कहा। तब रावण ने “कामना लिंग” को ही लंका ले जाने का वरदान मांग लिया। रावण के पास सोने की लंका के अलावा तीनों लोकों में शासन करने की शक्ति तो थी ही, साथ ही उसने कई देवता, यक्ष और गंधर्वों को कैद करके भी लंका में रखा हुआ था। इस वजह से रावण ने यह इच्छा जताई कि भगवान शिव कैलाश को छोड़ लंका में रहें।

महादेव ने उसकी इस मनोकामना को पूरा तो किया पर साथ ही एक शर्त भी रखी। उन्होंने कहा कि, “अगर तुमने शिवलिंग को रास्ते में कहीं भी रखा तो मैं फिर वहीं स्थापित हो जाऊंगा और नहीं उठूंगा।” रावण ने शर्त मान ली। इधर भगवान शिव की कैलाश छोड़ने की बात सुनते ही सभी देवता चिंतित हो गए। इस समस्या के समाधान के लिए सभी भगवान विष्णु के पास गए। तब श्री हरि ने लीला रची।

भगवान विष्णु ने वरुण देव को आचमन के जरिए रावण के पेट में घुसने को कहा। इसलिए जब रावण आचमन करके शिवलिंग को लेकर श्रीलंका की ओर चला तो देवघर के पास लघुशंका लगी। कहते हैं कि रावण, बैजू नाम के एक ग्वाले को शिवलिंग देकर लघुशंका करने चला गया। उस ग्वाले के रूप में स्वयं भगवान विष्णु ही वहां उपस्थित थे। पौराणिक धर्म ग्रंथों के मुताबिक रावण कई घंटों तक लघुशंका करता रहा जो आज भी एक तालाब के रूप में देवघर में हैं। इधर भगवान विष्णु ने शिवलिंग को धरती पर रखकर उसे स्थापित कर दिया।

जब रावण लघुशंका से लौटकर आया तो लाख कोशिशों के बाद भी शिवलिंग को उठा नहीं पाया। तब उसे भी भगवान की यह लीला समझ में आ गई और वह शिवलिंग पर अपना अंगूठा गढ़ाकर चला गया। उसके बाद ब्रह्मा जी, विष्णु जी आदि देवताओं ने आकर उस शिवलिंग की पूजा की। शिवजी के दर्शन होते ही सभी देवी-देवताओं ने उनकी स्तुति की और वापस स्वर्ग को चले गए। तभी से महादेव “कामना लिंग” के रूप में देवघर में विराजते हैं। जनश्रुति एवं लोक मान्यता है कि ज्योतिर्लिंग बैजनाथ के दर्शन से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। मंदिर के निकट ही एक तालाब है। इसका जल विशेष पवित्र माना जाता है।

ज्योतिर्लिंग बैजनाथ की पवित्र यात्रा श्रावण मास में प्रारम्भ होती है। यात्रा के पूर्व तीर्थयात्री सुल्तानगंज में एकत्र होते हैं। सुल्तानगंज से पात्र में जल लेकर तीर्थयात्री बैजनाथ धाम के लिए प्रस्थान करते हैं। तीर्थयात्री बैजनाथ धाम एवं वासुकीनाथ का जलाभिषेक करते हैं। ज्योतिर्लिंग बैजनाथ धाम मंदिर परिसर में शिव-पार्वती, लक्ष्मी-नारायण आदि देवी-देवताओं की प्रतिमायें स्थापित हैं। कहावत है कि इन सभी मंदिरों में पंचशूल लगे हैं। पंचशूल से ही रावण लंका की सुरक्षा करता था।

वासुकीनाथ मंदिर : वासुकीनाथ मंदिर में शिवलिंग के दर्शन के बिना ज्योतिर्लिंग बैजनाथ की यात्रा आधी-अधूरी ही मानी जाती है। वासुकीनाथ मंदिर वस्तुत: बैजनाथ धाम से करीब 42 किलोमीटर दूर है।

बैजू मंदिर: बैजू मंदिर देवघर में बैजनाथ धाम से पश्चिम की ओर हैं। यह तीन मंदिर हैं। इनको बैजू मंदिर कहा जाता है। इन सभी मंदिर में शिवलिंग स्थापित हैं।

ज्योतिर्लिंग बैजनाथ मंदिर की यात्रा के लिए सभी आवश्यक संसाधन उपलब्ध हैं। निकटतम एयरपोर्ट रांची एवं पटना हैं। पटना से बैजनाथ धाम की दूरी करीब 280 किलोमीटर है। निकटतम रेलवे स्टेशन जसीडीह है। बैजनाथ धाम की जसीडीह रेलवे स्टेशन से दूरी करीब 10 किलोमीटर है। पर्यटक या श्रद्धालु सड़क मार्ग से भी बैजनाथ धाम की यात्रा कर सकते हैं।