लखनऊ। प्रदेश को वर्ष 2025 से पहले क्षय मुक्त बनाने के दृढ़ संकल्प को पूरा करने में स्वास्थ्य महकमा पूरी तरह से जुट गया है। इसके लिए प्रदेश में उपलब्ध हर जरूरी संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल करते हुए जाँच व इलाज को घर के निकट ही सुलभ कराया जा रहा है। इसी के तहत प्रदेश के करीब 14000 आयुष्मान भारत-हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर को बड़ी जिम्मेदारी सौंपते हुए तीन हफ्ते का विशेष अभियान चलाकर तीन लाख टीबी के सैम्पल की जांच का लक्ष्य तय किया गया है। इस काम में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) की मदद में ग्राम प्रधान, आशा, आशा संगिनी, आंगनबाड़ी, एएनएम और क्षेत्र के टीबी चैम्पियन को भी लगाया गया है।
प्रदेश के हर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर को क्षय रोगियों के चिन्हीकरण, जाँच, उपचार, एडहेरेंस, निक्षय पोषण योजना के तहत डीबीटी, काउंसिलिंग और मनोसामाजिक सहयोग प्रदान करने का बड़ा जिम्मा सौंपा गया है। इसके लिए विश्व क्षय रोग दिवस (24 मार्च) से 13 अप्रैल तक 21 दिवसीय विशेष अभियान चलाया जा रहा है।
इलाज के दौरान पोषण के लिए हर माह मिलेंगे 500 रुपये: उपचार पर रखे गए टीबी मरीजों को इलाज के दौरान पोषण के लिए 500 रुपये निक्षय पोषण योजना के तहत सीधे बैंक खाते में भेजे जाते हैं। इसके लिए टीबी मरीजों के बैंक खाता का विवरण एवं पहचान पत्र सीएचओ/आशा द्वारा सम्बन्धित एसटीएस को उपलब्ध कराया जायेगा।
टीबी को मात देकर स्वस्थ हुए लोगों में से चयनित टीबी चैम्पियन लोगों को अपने अनुभव के आधार पर बताएँगे कि टीबी के लक्षण नजर आयें तो जाँच जरूर कराएँ। समय से जाँच और उपचार से टीबी को बहुत जल्दी मात दिया जा सकता है। बस ध्यान यह रखना है कि दवा का पूरा कोर्स करना है क्योंकि बीच में दवा छोड़ने से वह गंभीर रूप ले सकती है और उसका इलाज लंबा चल सकता है। इसके अलावा सीएचओ क्षेत्र के स्कूलों में हर हफ्ते क्षय रोग पर गोष्ठी और पोस्टर प्रतियोगिता आदि आयोजित कर क्षय रोग के प्रति जागरूकता फ़ैलाने का भी काम करेंगे।