गरीब परिवारों के जीवन स्तर में होगा बदलाव

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– आठ अति पिछड़े व दो पिछड़े जिलों के निर्धनतम परिवारों की बन रही सूची
– स्वयंसेवी संगठनों की मदद से इन 10 जिलों के 22 ब्लाक में चल रहे प्रोग्राम

लखनऊ। उत्तर प्रदेश ग्राम्य विकास विभाग महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) एवं उत्तर प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत प्रदेश के आठ अति पिछड़े व दो पिछड़े जिलों के 22 विकास खंडों (ब्लाक) के निर्धनतम परिवारों के जीवनस्तर में बदलाव का खाका तैयार करने में जुटा है। इन विकास खंडों के 1740 ग्राम पंचायतों के 10 सर्वाधिक निर्धनतम परिवारों की सूची तैयार कराई जा रही है। इस सुनहरे सपने को साकार करने के लिए विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों की भी मदद ली जा रही है। दूसरे चरण में इसे पूरे प्रदेश में लागू करने की तैयारी भी चल रही है। इसके जरिये प्रदेश के करीब पांच लाख निर्धनतम परिवारों के जीवन में नई रोशनी बिखेरने की तैयारी में ग्राम्य विकास विभाग है।

ग्राम्य विकास विभाग के अपर आयुक्त योगेश कुमार ने चित्रकूट, सोनभद्र, बलरामपुर, चंदौली, श्रावस्ती, फतेहपुर, बहराइच, महोबा, सिद्धार्थनगर व हरदोई के जिला कार्यक्रम समन्वयक/जिलाधिकारी को पत्र भेजकर मनरेगा व राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत व्यक्तिगत कार्य के लिए निर्धनतम परिवारों की सूची भेजने को कहा है। उन्होंने कहा है कि इन जिलों के चयनित ब्लाक में क्लस्टर फैसिटिलेशन प्रोजेक्ट (सीएफपी) के अंतर्गत स्वयंसेवी संगठनों (सीएसओ) द्वारा कार्य किया जा रहा है।

इन जिलों के चयनित 22 विकासखंडों की प्रत्येक ग्राम पंचायतों में कार्यरत सीएफपी टीम की सहायता से मनरेगा व उत्तर प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत व्यक्तिगत कार्य के लिए निर्धनतम परिवारों का चयन किया जाना है। इन परिवारों के चयन में इस बात का ध्यान रखा जाए कि परिवार की महिला (मुखिया) का नाम सूची में दर्ज हो, यदि किसी परिवार में सिर्फ पुरुष मुखिया हो तभी पुरुष का नाम दर्ज किया जाए। निर्धनता मापदंड का भी ख्याल रखा जाए, जिसके कई मापदंड हों उन परिवारों को प्राथमिकता दी जाए। लाभार्थी परिवार के पास मौजूद संसाधनों, कौशल व उनकी इच्छानुसार ही मनरेगा के अंतर्गत स्वीकृत व्यक्तिगत कार्य प्रस्तावित किये जाएँ।

अपर आयुक्त, ग्राम्य विकास का कहना है कि ऐसे निर्धनतम परिवार जिनका जॉब कार्ड नहीं बना है उनका भी इसके तहत चयन किया जा सकता है। हालाँकि ऐसे परिवारों का जॉब कार्ड प्राथमिकता से बनाया जाए। एक परिवार को एक से अधिक व्यक्तिगत कार्य दिए जा सकते हैं परन्तु एक परिवार की समस्त व्यक्तिगत कार्यों की परिसंपत्तियों की कुल लागत 1.25 लाख से दो लाख रूपये तक हो सकती है। व्यक्तिगत कार्यों की परिसंपत्तियों का निर्माण राज्य स्तर से प्रस्तावित मनरेगा के माडल-एस्टीमेट के अनुसार ही किया जाएगा।

निर्धनतम परिवारों के लिए व्यक्तिगत परिसंपत्तियां : मनरेगा के तहत सामुदायिक व व्यक्तिगत परिसम्पतियों का निर्माण कराया जाता है, जैसे- बाँध का निर्माण, तालाब की खुदाई, मरम्मत, नाली की सफाई आदि, इसी के तहत व्यक्तिगत परिसम्पत्तियों के निर्माण में निर्धनतम परिवारों को प्राथमिकता दी जायेगी, जैसे- गौशाला का निर्माण, पोल्ट्री फ़ार्म का शेड निर्माण आदि ताकि वह अपने पैरों पर खड़े होने में सक्षम हो सकें।