भाईचारे की आड़, ताकत का जुगाड़

पर भाईचारा तभी तक, जब तक खुद ताकतवर नहीं होते...... फंडा, ताकतवर हो तो हुकूमत करो और इस्लाम को फैलाओ....... धर्म परिवर्तन, लव जिहाद अधिक बच्चे पैदा करना बने हथियार..... वक्फ संशोधन बिल के बहाने भी मुस्लिमों को भड़काने की साजिश

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लखनऊ/नयी दिल्ली। देश में वक्फ संशोधन बिल, यूसीसी, एनआरसी और सीएए को विरोध का हथियार बनाकर धीरे-धीरे द्वि राष्ट्रवाद यानी टू नेशन थ्योरी को लागू करने का कुत्सित प्रयास चल रहा है। अगर सब कुछ ऐसे ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब 15 अगस्त 1947 की तरह एक बार फिर भारत बंटवारे के मुहाने पर खड़ा हो जाए। कुछ साल पहले सीएए, एनआरसी को लेकर देश में जो हंगामा हुआ उसे सारी दुनिया ने देखा। और अब कॉमन सिविल कोड तथा वक्फ संशोधन बिल को लेकर देश में आग लगाने की कोशिश है। इस आग में घी डालने का काम कथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियां और विदेशी ताकतें कर रही हैं।

इन सभी मुद्दों पर मुस्लिमों को भड़काया जा रहा, डराया जा रहा और उकसाया जा रहा है। देश के मुसलमानों को अब कॉमन सिविल कोड तथा वक्फ संशोधन बिल के नाम पर एक बार फिर डराया-धमकाया जा रहा है। उनके मन में जहर घोला जा रहा है ताकि देश का माहौल फिर खराब हो और तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियों को अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने का मौका मिले। सूत्रों का कहना है कि इसी बहाने टू नेशन थ्योरी को भी हवा देने की कोशिश की जा रही है। और अगर ऐसा हो गया तो देश में एक और 1947 की आहट है।

इस्लाम के एक जानकार ने एक निजी बातचीत में कहा था कि हमारे मजहब का सीधा सिद्धांत है कि अगर मजबूत हो तो हुकूमत करो और कमजोर हो तो मजबूत होने तक भाईचारा चलाओ। उसके अनुसार इस कायनात में दूसरा कोई मजहब नहीं है जो इस्लाम से बड़ा है। उनकी नजर में इस्लाम के अलावा दूसरे किसी मजहब का अस्तित्व ही नहीं हो सकता है। अब ये सिद्धांत मुस्लिम धर्म का है या नहीं, ये तो नहीं मालूम किंतु भारत का लगभग हर कट्टर मुसलमान इसी सिद्धांत पर चल रहा है। जहां वह मजबूत है, वहां तो वह अपनी वाली कर रहा है, गैर मुस्लिमों को परेशान कर रहा है। और जहां मजबूत नहीं है, वहां वह भाईचारे की बात करता है। इस समय देश में जो हवा चल रही है उसके हिसाब से कहा जा सकता है कि पूरे देश को हिंदू और मुसलमान में बांटने की कोशिश की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अश्वनी उपाध्याय कहते हैं कि वक्फ बोर्ड के पास जितनी जमीन है उतना तो पाकिस्तान भी नहीं है। एक अपुष्ट जानकारी के अनुसार पाकिस्तान का कुल क्षेत्रफल 8.81 लाख वर्ग किमी है। और वक्फ बोर्ड का क्षेत्रफल 9.40 लाख वर्ग किमी है। यानी वक्फ बोर्ड की मनमानी बनाए रखने के लिए मुसलमान ऐसे ही नहीं परेशान हैं। एक पाकिस्तान से अधिक सम्पत्ति तो वक्फ बोर्ड के पास हैं। आरोप है कि ये सीधे-सीधे देश में एक और पाकिस्तान बनाने की साजिश है।

एक सच्चाई ये भी है कि न्यूटन के तीसरे नियम की तरह क्रिया की प्रतिक्रिया भी शुरू हो गई है। अब हिंदुओं ने इसके खिलाफ आवाज बुलंद करना शुरू कर दिया है। हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्य में मस्जिदों को अवैध बता कर उनके खिलाफ आंदोलन शुरू हो गया है। आंदोलनकारी इन मस्जिदों का अवैध निर्माण तोड़ने की मांग कर रहे हैं। कई मस्जिदों के अवैध निर्माण 30 सितंबर तक तोड़ने का सरकारी फरमान भी जारी कर दिया गया है। अब वक्फ संशोधन बिल को ही ले लीजिए। इस बिल के नाम पर कुछ मौलाना मुसलमानों को इस कदर डरा रहे हैं कि जैसे उनकी मिल्कियत, उनकी पहचान इस बिल के जरिए छीनी जा रही है। ऐसा नैरेटिव सेट करने की कोशिश है कि बिल पास हो गया तो मुसलमानों के अधिकार उनके मदरसों, मस्जिदों और कब्रिस्तानों से समाप्त हो जाएंगे। इस नैरेटिव का सहारा लेकर देश में हिंदू और मुसलमानों के बीच विवाद पैदा करने की कोशिश की जा रही है। वक्फ कानून की आड़ में लैंड जिहाद करने की कोशिश की जा रही है। इसीलिए इस कानून का विरोध हो रहा है। क्योंकि संशोधित प्रावधानों के अनुसार किसी भी संपत्ति को वक्फ प्रॉपर्टी घोषित करना आसान नहीं रह जाएगा। ऐसे कई उदाहरण आए हैं कि जब डेढ़ हजार साल पुराने मंदिरों को भी वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया गया है। तमिलनाडु में तो पूरा का पूरा गांव ही वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया गया है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब इस्लाम धर्म ही कुल जमा 1400 साल का है तो 1500 साल पुराना मंदिर वक्फ संपत्ति कैसे हो सकती है। पर ऐसी घोषणाएं हो रही हैं, ऐसे दावे किये जा रहे हैं। और वर्तमान कानून की आड़ में वे संपत्तियां वक्फ में चली भी जा रही हैं। जिसको लेकर बवाल मचा हुआ है। देश के ढेर सारे मौलाना इस समय इस प्रस्तावित कानून के खिलाफ माहौल बनाने में लगे हुए हैं। यहां तक धमकी भी दी जा रही है कि हम 30 करोड़ हैं, हमें कमजोर समझने की गलती मत करना।

पहले हिंदू-मुसलमान करके अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन को चिढ़ाया। बाद में राम मंदिर बन जाने के बाद कुछ दिनों की शांति रखी गई। अब यही स्थिति हिमाचल प्रदेश की भी हो रही है। इस प्रदेश के शिमला, कुल्लू आदि स्थानों पर अवैध मस्जिदों को लेकर बवाल मचा हुआ है। परंतु शिमला में गनीमत है कि वहां की मस्जिद के कार्यकारी लोग खुद अपनी गलती का एहसास कर अपनी अवैध मंजिलों को गिराने के लिए तैयार हैं। शासन ने एक अक्टूबर तक की मोहलत दे दी है। हिमाचल में अभी कई और मस्जिदों को लेकर आंदोलन जारी है।

अब बात करते हैं जम्मू-कश्मीर की। संसद के दोनों सदनों द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 और 35ए को खत्म कर दिया गया है। किंतु नेशनल कांफ्रेंस इसे फिर बहाल करने के वादे के साथ चुनाव लड़ रही है। कांग्रेस पार्टी उसके साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ रही है, यानी कांग्रेस भी उसके साथ है। इन अवसरवादियों को ये नहीं समझ में आ रहा है कि बड़ी मुश्किल से संविधान के अनुच्छेद 370 और 35 ए को संवैधानिक तरीके से हटाया गया था। इस बात को काफी समय बीत गए। भाजपा ने इस मुद्दे पर चुनावी जीत का भी स्वाद चख लिया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की अकेले 303 सीटें मिली थीं। परंतु फिर से गड़े मुर्दे उखाड़ने की कोशिश हो रही है। और यह सिर्फ मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए किया जा रहा है।

चाहे हिमाचल की अवैध मस्जिदों का मामला हो या फिर हिंदुओं के त्योहारों और जुलूस पर मस्जिदों से पत्थरबाजी का, हर समय सिर्फ यही कोशिश होती है कि किसी भी तरह हिंदुओं के धार्मिक कार्यक्रमों में व्यवधान उत्पन्न किया जाए। इसके पीछे संभवतः यही सोच है कि इस्लाम को आगे बढ़ाओ। उसके लिए चाहे लव जिहाद करना पड़े, चाहे लैंड जिहाद करना पड़े या चाहे धर्म परिवर्तन कराना पड़े-करो, पर इस्लाम का परचम हर हाल में बुलंद करो। उनका एक हथियार यह भी है कि अपनी आबादी अधिक से अधिक बढ़ाओ और डेमोग्राफी बदलो। अपने आसपास का माहौल अपने पक्ष में बनाओ ताकि कोई दूसरा मजहब पनप ही न पाए। यहां गौर करने वाली बात यह है कि जिस पाकिस्तान और बांग्लादेश में आजादी के समय हिंदू ज्यादा संख्या में थे, आज की तारीख में वहां उनकी संख्या बहुत कम हो गई है। इसके उलट भारत में जो मुसलमान आजादी के समय कम संख्या में थे उनकी आबादी बहुत तेजी से बढ़ रही है। मतलब साफ है, पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं की संख्या जानबूझकर कम की गई। उनकी हत्याएं हुईं, धर्म परिवर्तन हुआ, उनकी बेटियों से मुसलमानों ने शादी कर उन्हें मुसलमान बना लिया। इस प्रकार इन दोनों देशों में मुसलमानों की तादाद बढ़ती गई और हिंदुओं की खत्म होती गई। सबसे ताजा उदाहरण बांग्लादेश के हालात हैं। शेख हसीना की सरकार जाने के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार ज़ुल्म हो रहे हैं। मंदिर तोड़े जा रहे हैं, हिंदुओं को जबरन मुसलमान बनाया जा रहा है, हिंदुओं को सरकारी नौकरियों से बेदखल कर जबरन उनसे इस्तीफा लिखवाया जा रहा है। उन्हें मजबूर किया जा रहा है कि वे बांग्लादेश छोड़कर चले जाएं। ये कठमुल्लों की सोची-समझी साजिश का नतीजा है।

अक्सर देखा गया है कि मुसलमान वहीं पर ज्यादा उत्पाद करते हैं जहां पर उनकी संख्या ज्यादा होती है। जब वे संख्या में कम होते हैं तो वे भाईचारे और इंसानियत की बात करते हैं। परंतु जब भी वे बराबरी करने की स्थिति में आ जाते हैं तो भाईचारा भूलकर सिर्फ इस्लाम की बात करते हैं। इधर एक साजिश के तहत भाजपा शासित राज्यों का माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है। जब भी कोई धार्मिक अवसर होता है तो मस्जिदों से धार्मिक जुलूसों पर पत्थर चलने शुरू हो जाते हैं। जुलूसों में भगदड़ मचाई जाती है। निर्धारित रूट से जुलूस न निकालकर रूट बदलने की कोशिश करते हैं। फिर इसको लेकर शोर होता है, बवाल होता है और पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ता है। उसके बाद यह नेरेटिव सेट करने की कोशिश की जाती है कि सरकार मुसलमानों के साथ जुल्म कर रही है।

फिलहाल वक्फ संशोधन बिल पर हिंदू-मुसलमान करने की कोशिश की जा रही है। यह चंद लोगों की साज़िश है। वे अमन पसंद मुसलमानों को बरगलाकर देश का माहौल खराब करना चाहते हैं। उन्होंने पैसे के बल पर चंद छुटभैया मौलानाओं को इस काम में लगा रखा है। वे समाज में जहर घोलने का काम कर रहे हैं। और उन्होंने इसमें बच्चों को भी शामिल कर लिया है। इस बाबत मुफ्ती वसाहत कासमी ने कहा है कि वक्फ संशोधन बिल के विरोध के जरिए मुसलमानों को भड़काया जा रहा है। और उनके जेहन में टू नेशन की थ्योरी डालने की कोशिश की जा रही है। और यह देश की एकता और अखंडता के लिए खतरनाक है। ऐसे में देश से प्यार करने वाले मुसलमानों को चाहिए कि ऐसी सोच रखने वालों के खिलाफ आवाज बुलंद करें।

सवाल यह भी है कि मस्जिदों की छतों पर अचानक इतने पत्थर आ कहां से आ जाते हैं। कैसे हिंदुओं के जुलूस पर पत्थर फेंके जाते हैं। इन मस्जिदों की बराबर चेकिंग क्यों नहीं होती है। इनको पत्थर जमा करने ही क्यों दिए जाते हैं। गौर करने वाली बात यह है कि मुसलमानों ने जहां भी अपनी मस्जिद बनाई है, वह इमारत पहले एक मंजिल से शुरू होती है। और फिर अवैध तरीके से चार-पांच मंजिलें बना ली जाती हैं। और चंद सियासी दल भी उनके इस अभियान में उनके साथ दिखाई दे रहे हैं। शिमला की संजोली मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद पर कांग्रेस पार्टी राज्य के सीएम सुखविंदर सुक्खू और मंत्री अनिरुद्ध सिंह से नाराज है। कांग्रेस का मानना है कि सुक्खू से इस मामले में चूक हुई है। वे इस मामले को ठीक तरह से हैंडल नहीं कर पाए। जिसके चलते भाजपा को राजनीति करने का मौका मिला। हालांकि हाईकमान की डांट के बाद मंत्री अनिरुद्ध सिंह की भाषा अब बदल गई है। इसके पहले विधानसभा में मस्जिद वाली जमीन को सरकारी बताकर मस्जिद को अवैध बताने वाले मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि बहुत पहले ही संजोली मस्जिद की जमीन मुस्लिम पक्ष को दे दी गई थी। उस पर कोई विवाद नहीं है। यानी अगर कोई कांग्रेसी सच बोलना भी चाहे तो पार्टी उसकी आवाज दबा देती है। हिमाचल के मंडी में भी मस्जिद को लेकर विवाद है। हिंदू संगठनों ने प्रदर्शन किया तो वहां के म्युनिसिपल कमिश्नर ने मस्जिद की दो अवैध मंजिलें गिराने के लिए तीस दिन का समय दिया है। इस विषय पर विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता ने कहा है कि बाहरी राज्यों से हिमाचल आने वाले विशेष समुदाय के लोग बिना वेरिफिकेशन, पंजीकरण के यहां कारोबार कर रहे हैं। वे यहां आपराधिक घटनाओं को भी अंजाम दे रहे हैं। इसी प्रकार प्रदेश के कुल्लू में भी अवैध जामा मस्जिद को लेकर बवाल मचा हुआ है। हिंदू संगठनों ने धमकी दी है कि अगर 30 तारीख तक अवैध मस्जिद नहीं गिराई गई तो बड़ा आंदोलन होगा। इस मस्जिद को भी तीस दिन में गिराने के आदेश हैं।

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने शिमला के मस्जिद विवाद पर हिंदूओं की एकजुटता की तारीफ करते हुए पूरे देश में शिमला मॉडल लागू किए जाने की वकालत की है। उन्होंने कहा है कि अगर हम इकठ्ठा होंगे तो कोई मोहम्मद गौरी और मुगल हमें हरा नहीं सकता है। उनके मुताबिक अगर हम एक हुए तो अवैध मस्जिदों को शिमला की तरह तोड़ना होगा। कुछ दिन पूर्व इसी तरह का बयान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी दिया था। उन्होंने बांग्लादेश के मुद्दे पर चर्चा करते हुए कहा था कि एक रहोगे तो अनेक रहोगे और बटोगे तो कटोगे। उनके इस बयान की काफी चर्चा रही।
भारत में ऐसा बहुत कम होता है कि चाहे हिंदुओं का त्यौहार हो या मुसलमानों का, विवाद न होता हो। और आरोप है कि विवाद का जहर घोलने में इन मस्जिदों की कहीं न कहीं भूमिका रहती है। ऐसे में प्रशासन और पुलिस का सारा ध्यान हिंसा रोकने और बवाल बचाने में लगा रहता है। बारावफात के जुलूस के मौके पर भी इस साल देश के कई शहर बवाल का शिकार हुए। चाहे वह राजस्थान का बारा हो, मध्य प्रदेश का मंदसौर हो, राजस्थान का जोधपुर हो, कर्नाटक का दावणगेरे या फिर उत्तर प्रदेश का बरेली और झांसी हर जगह विवाद हुआ। लगभग पूरे देश में ऐसी घटनाओं की सूचना मिलती रही।

संभवतः इसीलिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को यह कहना पड़ रहा है कि अगर कृष्ण के पास मुरली जरूरी है तो उनका सुदर्शन चक्र भी उतना ही महत्वपूर्ण है। और इन दोनों के बिना शांति की स्थापना नहीं हो सकती है। और उत्तर प्रदेश सरकार भी इसी रास्ते पर चल रही है। खबर है कि बरेली के इज्जत नगर क्षेत्र के ईरा रेडियस के पास विसर्जन के बाद दो समुदाय भिड़ गए। जमकर लात घूंसे भी चले। मोंठ, झांसी के मादरगंज इलाके में दो समुदाय के लोग आपस में भिड़ गए। दोनों पक्षों के बीच जमकर मारपीट हुई। मारपीट की सूचना पर पुलिस के भी हाथ-पांव फूल गए। उधर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि कर्नाटक में जो घटना घटी है वह हिंदुओं का खून खौलाने वाली है। कर्नाटक सरकार ने मुस्लिम वोटों के लिए तुष्टीकरण की पराकाष्ठा की है। जनता मुस्लिम तुष्टीकरण में अंधी हो चुकी सरकार से पाई-पाई का हिसाब लेगी।

अब बात लव जिहाद की। यूपी के बाराबंकी जिले में हिंदू बनकर एक महिला से शादी करने और बाद में उस पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाने के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने ये कार्रवाई मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत के निर्देश पर की है। आरोपी का नाम मोहम्मद आजम जैदी है। उन्नाव में भी एक नाबालिग लड़की को किडनैप कर जबरन निकाह किए जाने वाला मामला सामने आया है। पीड़िता के पिता ने बताया कि उनकी बेटी की उम्र महज 16 साल है। आरोपी उनके घर आए और एक कागज दिखाते हुए कहा कि तुम्हारी बेटी की उम्र 20 साल है, वो अपनी मर्जी से जा रही है। शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इस प्रकार उन्नाव और बाराबंकी की घटनाएं लव जिहाद व जबरन धर्म परिवर्तन का सीधा उदाहरण हैं। मकसद साफ है कि किसी भी तरह हिंदुओं की संख्या कम करके अपनी संख्या बढ़ाई जाए ताकि उनके सामने सीना कर खड़ा होने में खड़े होने में कोई दिक्कत न हो। सूत्रों का कहना है कि यह सब कुछ मुस्लिम देशों से आ रहे पैसे से हो रहा है। उनकी कोशिश है कि भारत में इतना विवाद खड़ा कर दिया जाए कि उसके और टुकड़े हो जाएं। पाकिस्तानी आईएसआई का तो यही उद्देश्य है कि कश्मीर में मुसलमान के नाम पर, पंजाब में खालिस्थान के नाम पर लोगों को भड़काया जाए और अलग देश की मांग को हवा दी जाए। जब से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए हटे हैं तब से ऐसी ताकतों के अंदर बड़ी छटपटाहट है। ऐसे में इस देश के अमन पसंद मुसलमानों और हिंदुओं को बड़ी सावधानी से आगे बढ़ना होगा।

गौरव शुक्ल
वरिष्ठ पत्रकार