हैविचुअल अफेंडर बन गए हैं राहुल गांधी

हैविचुअल अफेंडर बन गए हैं राहुल गांधी सावरकर का अपमान करने पर सुप्रीम कोर्ट की पड़ चुकी है डांट राफेल डील मामले में भी सुप्रीम कोर्ट से मांग चुके बिना शर्त माफी सेना के खिलाफ बोलने पर भी डांट चुका है इलाहाबाद हाईकोर्ट अब फिर नरेंदर-सरेंडर वाला बयान देकर फंस गए हैं नेता प्रतिपक्ष

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नयी दिल्ली। अपने बेतुके और अमर्यादित बयानों से अक्सर कानूनी मामलों में फंस जाने और बाद में माफी मांग कर चर्चा में रहने वाले नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी शायद हैविचुअल अफेंडर हो गये है। इस बार उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आपत्तिजनक बयान देकर सियासी बवाल मचा दिया है। इस बयान को लेकर भाजपा उन पर बुरी तरह हमलावर है। जवाब में भाजपाई अब कांग्रेस की पुरानी परतें उतारने में लग गए हैं। उधर कांग्रेस के अन्य नेता राहुल गांधी के बयानों को आधार बना राजनीतिक बमबारी करने में मशगूल हैं। कांग्रेस नरेंद्र मोदी को सरेंडर करने वाला बताकर उनकी आपरेशन सिंदूर वाली कामयाबी पर बट्टा लगाने में जुटी है, तो भाजपा भी राहुल गांधी के बयान को सेना के शौर्य का अपमान बताकर उनको पाकिस्तान का हिमायती बताने में जुटी है। इस बार नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का हवाला देते हुए कहा है कि उधर से ट्रंप ने आर्डर दिया और इधर नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के आगे सरेंडर कर दिया।

भाजपा ने राहुल गांधी के इसी बयान को लपक लिया है और कह रही है कि जो दावा अभी तक पाक के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ, सेना प्रमुख आसिम मुनीर और आतंकवादियों ने नहीं किया, वह राहुल गांधी ने कर दिया। आरोप है कि पहले राहुल गांधी पाकिस्तान को सिर्फ कवर फायर देते थे, पर अब तो पाकिस्तान की भाषा ही बोलने लगे हैं। इसमें अफसोसनाक बात यह है कि राहुल गांधी के बयान पाकिस्तान में भारत के खिलाफ खूब इस्तेमाल किए जा रहे हैं। भाजपा अब इसे राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी की हताशा का परिणाम बता रही है। वैसे राहुल गांधी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की हालिया टिप्पणी भी काबिले गौर है। कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब सेना का अपमान करने की छूट नहीं है। इसके पहले भी वीर सावरकर को अपशब्द कहने के आरोप की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को खूब लताड़ लगाई है। शीर्ष कोर्ट ने कहा है कि जिन्होंने हमें आजादी दिलाई है उनका अपमान करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

हालिया मामला मध्यप्रदेश की एक सभा में दिए बयान से जुड़ा है। पिछले दिनों राहुल गांधी ने भोपाल में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि ट्रंप ने धमकाया और मोदी ने सरेंडर कर दिया। उन्होंने कहा कि नरेंदर, सरेंडर हो गए हैं। इसे लेकर मीडिया में दोनों तरफ से वार-पलटवार जारी है। राहुल गांधी के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि सरेंडर का इतिहास तो कांग्रेस का रहा है। ऐसा करके उन्होंने सेना के शौर्य का अपमान किया है। और इतना तो कभी पाकिस्तान ने भी नहीं कहा, जितना राहुल गांधी ने कह दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सीजफायर वाले बयानों को आधार बनाते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भोपाल में एक जनसभा में पीएम नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए ‘नरेंदर-सरेंडर वाला बयान दिया था। अब कांग्रेस के नेता इसी बयान के जरिए बीजेपी के खिलाफ सियासी फायदा लेने के प्रयास कर रहे हैं। राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए कहा था कि ट्रंप ने फोन किया और कहा कि नरेंदर,सरेंडर और नरेंद्र मोदी सरेंडर हो गये। राहुल गांधी का कहना है कि भाजपा और संघ वालों पर थोड़ा सा भी दबाव डालो तो वे डरकर सरेंडर कर जाते हैं। डोनाल्ड ट्रम्प ने उधर से फोन कर कहा कि नरेंदर, सरेंडर और इधर नरेंद्र मोदी ने जी हुजूर कहकर सरेंडर कर दिया। उन्होंने कहा कि एक वक़्त 1971 का भी था, जब भारत को डराने के लिए अमेरिका का सातवां बेड़ा आया था, लेकिन इंदिरा गांधी जी ने कहा था कि मुझे जो करना है, वो मैं करूंगी। तब अमेरिका के दबाव के बावजूद इंदिरा गांधी ने सरेंडर नहीं किया। इसके बाद नरेंदर-सरेंडर वाले बयान पर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस इसे लेकर प्रधानमंत्री की विदेश नीति पर सवाल उठा रही है। राहुल गांधी के बाद कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि पीएम ने अमेरिका के आदेश के आगे सरेंडर कर दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा वाले 11 साल से एक पिक्चर बना रहे थे, मुकद्दर का सिकंदर। पर जो पिक्चर निकल कर आई कर आई वो है नरेंदर का सरेंडर। उन्होंने आगे कहा कि कई भक्त बेचारे हताश भी हो गए। उन्होंने कहा कि दरअसल बहादुरी इंसान के चरित्र में होती है, इसका कोई इंजेक्शन नहीं होता। पवन खेड़ा ने आगे कहा कि इनके संगठन का कायरता का इतिहास रहा है। और अगर ऐसा व्यक्ति देश की बागडोर संभालता है तो देश का भविष्य खतरे में पड़ता है।

दूसरी ओर भाजपा इसे सेना का अपमान करार दे रही है। भाजपा सांसद और प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने बीते 4 जून को राहुल गांधी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि उनके बयान देश के स्वाभिमान और सेना के शौर्य के खिलाफ हैं। त्रिवेदी ने तंज कसते हुए कहा कि हिंदी में कहावत है कि ‘नया मुल्ला ज्यादा प्याज खाता है’, लेकिन यहां तो गैर मुल्ला इतनी प्याज खा रहा है कि उसे यह तक महसूस नहीं हो रहा कि वह देश की सेना और स्वाभिमान का कितना बड़ा अपमान कर रहा है। राहुल गांधी का ये बयान किसी राजनीतिक आलोचना की सीमा पार कर पाकिस्तान के नैरेटिव से आगे निकल गया है। सुधांशु त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने जो कहा, वैसा तो कोई पाकिस्तानी जनरल, आतंकवादी यहां तक कि हाफिज सईद और मसूद अजहर तक नहीं बोले। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी पाकिस्तान की संसद, मीडिया और सेना के नैरेटिव को न सिर्फ ताकत दे रहे हैं, बल्कि अब वह इन ताकतों के नेता बनने की तैयारी कर रहे हैं। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी राहुल गांधी के बयान की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कांग्रेस के इतिहास में भी कई मौकों पर समर्पण की नीति का उल्लेख करते हुए राहुल गांधी पर हमला बोला। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का जिक्र करते हुए राहुल गांधी के बयान को सेना और देश का अपमान करार दिया।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने भी राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि राहुल गांधी संगठन सृजन से पहले अपनी बुद्धि का सृजन करें, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में दिए गए उनके बयान के लिए माफी मांगें। मोहन यादव ने कहा कि राहुल गांधी ने अपने और अपनी पार्टी के अमर्यादित संस्कारों का परिचय दिया है। इस बारे में छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा कि, जब मुंबई और संसद पर आतंकी हमला हुआ तो कांग्रेस ने चुप्पी साध ली थी। अब जब आतंकियों को जवाब दिया गया है तो वे भ्रम फैला रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में जब भी हमले हुए कांग्रेस ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। जब पाकिस्तान को जवाब दिया गया है, तो वे भ्रम पैदा करना चाहते हैं। कुल मिलाकर भाजपाई इस मामले में राहुल गांधी पर लगातार हमलावर हैं।

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, राजनीति कर रहे राहुल : एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि जयराम रमेश का यह बयान कि इधर आतंकवादी घूम रहे हैं और उधर हमारे सांसद घूम रहे हैं, बिल्कुल अनफॉर्च्युनेट है। उन्हें ऐसा बयान नहीं देना चाहिए। हां जहां तक बात ट्रंप के इस बयान की है कि सीज फायर उन्होंने कराया है, इस पर हमारी पॉलीटिकल लीडरशिप को जरूर ट्रंप के बयान पर रिएक्ट करना चाहिए, और उन्हें जवाब देना चाहिए। हां यह भी सच है कि हमारे विदेश मंत्रालय ने जवाब दिया है, लेकिन यह काम हमारी पॉलीटिकल लीडरशिप को करना चाहिए। जहां तक सवाल राहुल गांधी के बयान का है तो वे इसमें अपनी राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि मैं पॉलिटिकली बीजेपी की आईडियोलॉजी का समर्थन नहीं करता, लेकिन भारत का सम्मान बढ़ाने की तो हम सबको कोशिश करनी पड़ेगा। वैसे इस बात पर भी चर्चा तो होनी ही चाहिए कि आखिरकार पहलगाम की घटना क्यों हुई, कहां चूक हुई। संसद में मैं सवाल पूछूंगा। पर अब जब सरकार ने मानसून सत्र की तारीखों की घोषणा कर दी है तो मुझे नहीं लगता कि विशेष सत्र की कोई जरूरत है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को सवाल पूछने का हक है, पर देश के सम्मान की कीमत पर नहीं। वैसे अगर देश की सुरक्षा का मामला है तो यह भी किया जा सकता है कि चर्चा को सार्वजनिक न किया जाए।

सेना पर टिप्पणी में राहुल को हाईकोर्ट की लताड़ : भारतीय सेना पर कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते 4 जून को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने कहा है कि अभिव्यक्ति की आजादी कुछ प्रतिबंधों के अधीन है। उच्च न्यायालय ने राहुल को फटकार लगाते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब सेना को बदनाम करना नहीं है। दरअसल सीमा सड़क संगठन के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव ने राहुल गांधी की उस टिप्पणी पर यूपी में मानहानि की शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें कहा गया है कि चीनी सैनिक अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सैनिकों की पिटाई कर रहे हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी 2022 की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भारतीय सैनिकों के बारे में की गई अपनी इस विवादास्पद टिप्पणी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीखी आलोचना के घेरे में आ गए। कोर्ट ने लखनऊ की एक अदालत द्वारा जारी मानहानि के मुकदमे और उसके समन को रद्द करने की उनकी याचिका ख़ारिज़ कर दी। कोर्ट ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि संविधान का अनुच्छेद 19(1)(ए) भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, लेकिन ये स्वतंत्रता उचित प्रतिबंधों के अधीन है, और इसमें सेना के लिए अपमानजनक बयान देने की स्वतंत्रता शामिल नहीं है। असल में राजस्थान में अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी ने कहा था कि लोग कांग्रेस से भारत जोड़ो यात्रा के बारे में यहां-वहां न जाने क्या-क्या पूछेंगे, लेकिन वे चीन द्वारा 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर कब्जा करने, 20 भारतीय सैनिकों को मारने और अरुणाचल प्रदेश में हमारे सैनिकों की पिटाई करने के बारे में एक भी सवाल नहीं पूछेंगे। उन्होंने कहा था कि क्या यह सच नहीं है? देश यह सब देख रहा है। आप ऐसा दिखावा न करें कि लोगों को नहीं पता। बीआरओ के पूर्व निदेशक उदय शंकर श्रीवास्तव ने गांधी की इस टिप्पणी पर मानहानि का मामला दर्ज कराया। याचिका में उन्होंने आरोप लगाया कि ये टिप्पणियां अपमानजनक थीं और भारतीय सशस्त्र बलों का अपमान करती थीं। इसके बाद राहुल ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की मांग की थी। जिसमें तर्क दिया गया था कि शिकायतकर्ता भारतीय सेना का सेवारत अधिकारी नहीं था और इसलिए वह पीड़ित व्यक्ति नहीं था। पर कोर्ट ने इससे असहमति जताई, और फैसला किया कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 199 (1) के तहत, प्रत्यक्ष पीड़ित के अलावा किसी अन्य व्यक्ति को भी पीड़ित माना जा सकता है, यदि वह अपराध से प्रभावित है। इस मामले में, अदालत ने माना कि श्री श्रीवास्तव, कर्नल के बराबर रैंक के सेवानिवृत्त बीआरओ निदेशक के रूप में, पीड़ित व्यक्ति माने जाने की अर्हता को पूरा करते हैं।

वीर सावरकर पर बोलने पर पड़ी शीर्ष कोर्ट की डांट : अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ही राहुल गांधी ने वीर सावरकर का अपमान करते हुए उनको माफी वीर और अंग्रेजों का पिट्ठू कह दिया था। इस मामले में लखनऊ में नृपेन्द्र पांडेय नामक वकील ने परिवाद दायर किया। कोर्ट ने इस मामले में राहुल गांधी को सम्मन भेजा तो वह इसके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट चले गए। उनको जब हाईकोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिली तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि लोअर कोर्ट के सम्मन को तो रद्द कर दिया लेकिन राहुल को कड़ी चेतावनी देते हुए यह टिप्पणी की कि जिन्होंने हमें आजादी दिलाई है, हम उनका अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकते। अगर भविष्य में आपने ऐसा किया तो हम खुद संज्ञान लेकर कार्रवाई करेंगे। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि महात्मा गांधी भी अंग्रेजों को पत्र लिखते समय आपका विश्वासपात्र लिखते थे, तो क्या उनकी निष्ठा पर संदेह किया जा सकता है। आपकी दादी इंदिरा गांधी ने भी सावरकर का सम्मान किया था, तो क्या आपकी दादी गलत थीं।

इसके अलावा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी वीर सावरकर से ही जुड़े एक मामले में आपराधिक कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। इस मामले में राहुल गांधी द्वारा वर्ष 2023 में लंदन में वीर सावरकर के खिलाफ दिए एक अपमानजनक बयान को लेकर वीर सावरकर के रिश्ते के पोते सात्यकि सावरकर ने आपराधिक मामला दायर किया है। कोर्ट ने मामले को समरी की जगह सम्मन ट्रायल का मानते हुए कहा है कि इस पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है। इस मामले में ऐतिहासिक तथ्यों को भी ध्यान में रखना होगा, तभी सही तथ्यों का पता लग पाएगा। कोर्ट ने मामले में सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है। यानी राहुल गांधी के खिलाफ यह मामला अभी भी विचाराधीन है।

राफेल डील को लेकर शीर्ष कोर्ट से मांगनी पड़ी माफी : ‘चौकीदार चोर है’ वाले बयान पर सुप्रीम कोर्ट का गलत हवाला देने पर राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट में 8 मई 2023 को बिना शर्त माफी मांगनी पड़ी थी। उन्होंने तब शीर्ष कोर्ट से निवेदन किया था कि मेरे माफीनामे को स्वीकार कर अब केस बंद कर दीजिए। राहुल गांधी ने कोर्ट में हलफनामा भी दाखिल किया था। 27 मार्च 2023 को की गई इस टिप्पणी में, कांग्रेस नेता ने दावा किया था कि राफेल मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने पीएम मोदी के खिलाफ उनके आरोपों को सही ठहराया है। दरअसल तब शीर्ष कोर्ट ने राफेल डील मामले को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया था। उसी पर राहुल गांधी ने कहा था कि कोर्ट ने ऐसा करके मेरे आरोप को सही ठहराया है। इसके बाद जब कोर्ट ने अवमानना की कार्रवाई शुरू की तो राहुल गांधी ने बिना शर्त के सुप्रीम कोर्ट से माफी मांग ली। राहुल गांधी ने माफीनामे में कहा था कि कोर्ट का अपमान करने की उनकी कोई मंशा नहीं थी और न ही उन्होंने जानबूझ कर ऐसा किया। अदालत की प्रक्रिया में भी वे किसी तरह की बाधा पहुंचाना नहीं चाहते थे। भूलवश उनसे ये गलती हो गई, लिहाजा इसके लिए वो क्षमा चाहते हैं। उनके बिना शर्त माफीनामा को कोर्ट ने स्वीकार करते हुए उन्हें इस भूल के लिए क्षमा किया और अवमानना का केस बंद कर दिया।

राहुल ने कहा था कि मेरा नाम सावरकर नहीं है… : सूरत में चल रहे मानहानि के मामले में सजा होने और संसद की सदस्यता जाने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तब कहा था कि मेरा नाम सावरकर नहीं है, और गांधी माफी नहीं मांगता। दरअसल मोदी सरनेम वाले विवाद में 2 साल की कैद की सजा पाकर और सांसदी गंवाने के बाद भी माफी न मांगने की बात करते हुए राहुल गांधी ने ये बात कही थी। दूसरी ओर वीर सावरकर के पौत्र रंजीत सावरकर ने राहुल गांधी को चुनौती दी है कि वे सावरकर की माफी के दस्तावेज दिखाएं। उन्होंने दावा किया है कि राहुल गांधी खुद ही सुप्रीम कोर्ट में दो बार माफी मांग चुके हैं। रंजीत सावरकर ने कहा है कि राहुल गांधी की हरकतें बचकाना हैं। वे स्वतंत्रता सेनानियों का नाम लेकर राजनीति करते हैं, जो गलत बात है। हालांकि रंजीत सावरकर ने अपने दावे को लेकर कोई प्रमाण नहीं दिया, लेकिन यह सच है कि राहुल गांधी दो बार अपने दावे से पलट चुके हैं।

राहुल और ट्रंप को बिना बात फूफा बनने की आदत : यूपी के वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार दयानंद पांडेय का कहना है कि कभी कल्पना कर के देखिए कि अगर डोनाल्ड ट्रंप और राहुल गांधी कभी किसी जगह मिलते और बतियाते हैं तो क्या होगा ? एटम बम फूटेगा या कोई केमिकल बम या कुछ और ? या कि भूकंप ही आ जाएगा ! तू-तू, मैं- मैं पर ही बात ख़त्म होगी या कुछ और भी होगा ? राहुल, जेलेंस्की से कम पड़ेंगे कि ट्रंप पर भारी पड़ेंगे ? क्यों कि गोत्र और डीएनए भले ही दोनों के अलग-अलग हैं, पर बात-बेबात फूफा बनने की हसरत, हाई हेडेड होने की बीमारी-हेकड़ी, आत्ममुग्धता का भाव और मिजाज आदि-इत्यादि, दोनों का ही एक जैसा है | सामने वाले को नीचा दिखाने की धृष्टता भी दोनों की एक जैसी ही है। दोनों ही ग्रेट माऊथ कमिश्नर हैं। और सौ सवाल पर एक सवाल यह कि ट्रंप क्या राहुल से भी कहेंगे कि राहुल, सरेंडर ! फिर राहुल क्या करेंगे? राफेल से लेकर सावरकर तक माफ़ी मांगने का आख़िर उनका शानदार रिकार्ड है। दयानंद पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार, लखनऊ

अभयानंद शुक्ल
राजनीतिक विश्लेषक