किन्नर हिन्दी शब्द है, उर्दु मे इन्हे हिजड़ा कहा जाता है। नारद संहिता में हिजड़ा को हीराजड़ा पवित्र इंसान बताया है। किन्नरों के गुरु ही सब कुछ होते हैं। हिजड़ों के गुरुओं की संपन्नता किन्नरों के कारण ही बढ़ती है क्योंकि कमाई का आधा हिस्सा गुरु के पास जाता है और आधा हिस्सा बाकी किन्नरों में बंट जाता है।
मंगल कार्य विवाह, पुत्र प्राप्ति आदि शुभ कर्मों में इनकी आगवानी कोई नहीं रोक सकता। किन्नर ढोलक बजाकर अंतरात्मा से आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इनकी दुआएं बेशकीमती होती हैं। किन्नर समुदाय ‘मंगलमुखी’ के ‘शुभ नाम’ से जाना जाता है, क्योंकि वे समाज के केवल शुभ या मंगल कार्यों में ही शामिल होते हैं।
मृत्यु व किसी भी अन्य प्रकार के शोक, अशुभ या अमंगल के समय वे कदापि किसी के भी यहां नहीं जाते, भले ही उन्हें आगे रहकर क्यों न बुलाया गया हो और भले इसके बदले उन्हें लाखों रुपये ही क्यों मिल रहे हों।