पंचायती राज मंत्रालय ने अब तक सबसे बड़ा एरियल डिजिटल भूमि सर्वे कराने की तैयारी पूरी कर ली है। पिछले साल अप्रैल में प्रधानमंत्री द्वारा लांच की गई ‘स्वामित्व योजना’ के पायलट प्रोजेक्ट के तहत भारतीय सर्वेक्षण विभाग ने उच्च क्षमता के 162 ड्रोन के जरिए उत्तर प्रदेश, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और महाराष्ट्र के एक लाख से अधिक गांवों में भू स्वामियों की आवास भूमि का एरियल सर्वे लगभग पूरा कर लिया है।
इस महासर्वे के अगले चरण में और 300 ड्रोन लगाए जा रहे हैं ताकि हरहाल 2024 के मध्य तक न केवल सर्वे नक्की हो जाए बल्कि भू स्वामियों को उनकी रिहायशी जमीन का डिजिटल लेखा-जोखा रखने वाला ‘प्राॅपर्टी कार्ड’ भी उपलब्ध कराने की योजना है ताकि वे अपनी वित्तीय जरूरतों के लिए ऋण सहायता प्राप्त कर सकें।
‘स्वामित्व योजना’ अंग्रेजी का संक्षिप्त रूप है। मूलतः इसे ‘सर्वे आॅफ विलेजेज़ ऐंड मैपिंग विद इम्प्रोवाइज़्ड टेक्नाॅलॉजी इन विलेज एरिया’ नाम दिया गया। जिसे अंग्रेजी में संक्षिप्त कर svamitva कहा गया। पूरा सर्वे उच्च स्तर के ड्रोन के जरिए हो रहा है। पंचायती राज मंत्रालय, सर्वेक्षण विभाग, राज्य सरकारें और इनके राजस्व विभाग और जिला कलेक्टर से लेकर ग्राम पंचायत तक की भूमिका इस डिजिटल सर्वे में समाहित है।
इस देशव्यापी सर्वे के लिए ड्रोन हासिल करने से लेकर सर्वे की रीढ़ कहे जाने वाले ‘कंटिन्युअस आॅपरेटिंग रिफरेंस स्टेशनों’ (सीओआरएस) की स्थापना तक की व्यवस्था की जिम्मेदारी सर्वेक्षण विभाग को सौंपी गई है। सीओआरएस नेटवर्क की स्थापना पर 120 करोड़ रु की लागत का अनुमान है। इस वर्ष सर्वे के लिए बजट में 560 करोड़ रु का प्रावधान किया गया।
पंचायती राज विभाग, राजस्व विभाग, सार्वजनिक निर्माण विभाग, ग्रामीण विकास विभाग आदि विभिन्न विभागों और एजेंसियां लाइसेंस के आधार पर मामूली शुल्क का भुगतान करके सीओआरएस नेटवर्क का इस्तेमाल कर सकते हैं। जहां तक सर्वे का संबंध है एक ड्रोन पर दो टेक्नीशियन काम करते हैं। उच्च स्तर के ड्रोन को एक गांव का एरियल सर्वे करने में औसतन 14-16 मिनट लगते हैं। औसतन एक गांव के एरियल सर्वे के लिए ड्रोन उड़ान, डेटा प्रोसेसिंग आदि पर कुल मिलाकर 4800 रु लागत बैठने का अनुमान लगाया गया है।
पायलट प्रोजेक्ट का एक वर्ष इसी 31 मार्च को पूरा हो रहा है। इसमें तकरीबन एक लाख गांवों का सर्वे पूरा होने का अनुमान है। देश में गांवों की कुल संख्या 6.62 लाख है। 1 अप्रैल से शुरू होने वाले वित्तीय वर्ष 2021-22 में 2,47,707 गांवों का, 2022-23 में 1,45,691 गांवों का और 2023-24 में 1,17,667 गांवों का सर्वे करने की योजना है।
प्रणतेश नारायण बाजपेयी