स्मार्ट फोन की सबसे बड़ी भूमिका
एक ऐसे उद्योग के बारे में बताते हैं जिसके मुरीद आप भी हैं। यह कब पैदा हुआ और कब शैशव से किशोरावस्था की दहलीज पर खड़ा हो गया, भनक तक नहीं लगी। अब यह तकरीबन चौदह साल का हो गया। कुलांचे भरनी शुरू कीं तो अस्तित्व का एहसास हुआ।
स्मार्ट फोन ने डिजिटलीकरण के सहारे आभासी होते हुए भी इसके 40 करोड़ मुरीद बना दिए। आनलाइन गेमिंग कहे जाने वाले इस उद्योग में पूंजी खूब लग रही है और फर्राटेदार करोबार से उद्योग का हर अंग उत्साह से लबरेज है। इसकी ऊंची उड़ान तो 5 जी के आने पर शुरू होगी। छोटा- बड़ा, अनपढ़-शिक्षित, बच्चा- स्त्री -पुरुष, नौकरी पेशा है या फैक्ट्री ओनर,आटो चालक या साइकिल पर सब्जी बेचने वाला व्यापारी है या टीचर सबको अपने दायरे में समेटने वाला वर्चुअल उद्योग सबका साथ सबका विकास का नारा सही मायने में चरितार्थ कर रहा है।
भारत में आनलाइन गेमिंग उद्योग की फर्राटेदार रफ़्तार ने चीन और अमेरिका सहित कई दिग्गजों को पछाड़ दिया है। इसकी चाल के आधार पर कहा जा सकता है कि पंद्रह साल का होते-होते देशी आनलाइन गेमिंग उद्योग कारोबारी मोर्चे पर भी कई रिकॉर्ड कायम करेगा। वर्ष 2010 में देश में बमुश्किल दो दर्जन आनलाइन गेम डेवलपर थे। जिनकी संख्या 2020 में 400 से ऊपर निकल गई।
फिक्की की रिपोर्ट बताती है कि वेंचर कैपिटल फर्मों ने 2014 से 2020 तक देशी आनलाइन गेमिंग उद्योग में 35 करोड़ डॉलर निवेश किए। आगे 2024 तक 354 करोड़ डॉलर (25000-26000 करोड़ रु) की पूंजी लगाए जाने का अनुमान है। सवाल है इतना पूंजी निवेश क्यों? इस पूंजी पर भविष्य में जबरदस्त प्रतिफल मिलने की संभावना पर निवेशक जोखिम उठा रहे हैं।
आंकड़े बताते हैं कि देश में डाटा लागत सस्ती होने से इंटरनेट के यूज़र की संख्या बढ़ने के साथ साथ-साथ डाटा का प्रयोग भी बहुत तेजी से बढ़ा है। इसके अलावा मोबाइल की रिचार्जिंग सर्वसुलभ हो गई है, गेमिंग कंपनियों की इनामी स्कीमें, स्पोर्ट्स इवेंटस् पर पुरस्कार जैसे वित्तीय प्रोत्साहनों से आनलाइन गेमर आकर्षित हुए हैं।
2015 में प्रति सब्सक्राइबर प्रति माह औसतन 0.4 जीबी डाटा प्रयोग करता था। 2019 में यह औसत 10.4 जीबी के स्तर पर पहुंच गया। इंटरनेट यूजर्स की संख्या 2016 में 40 करोड़ से 2018 में 50 करोड़, 2020 में 70 करोड़ और 2023 के खत्म होने तक 110 करोड़ के आसपास पहुंचने का अनुमान लगाया गया है।
कोविड लाॅकडाउन ने जहां अर्थव्यवस्था की चूलें हिलाकर रख दीं। इसके ठीक उलट भरपूर इफरात समय और बोरियत में साथी का फ़र्ज निभाते हुए आनलाइन गेमिंग उद्योग की तो किस्मत ही अनलाॅक हो गई। पहला नेशनल लाॅकडाउन लगने से पहले प्रति गेमर रोजाना औसतन 2.5 घंटे गेमिंग पर खर्च करता था। लाॅकडाउन में 4 घंटे से ज्यादा का औसत दर्ज किया गया।
देश में आनलाइन गेमिंग की दिन-दूनी रात चौगुनी बढ़ती लोकप्रियता के परिणामस्वरूप गेमर की संख्या 2016 से 165 % की वृद्धि के साथ 2018 में 26.9 करोड़, 2019 में 30 करोड़, 2020 में 37.5 करोड़ से बढ़कर चालू साल में 43.6 करोड़ और 2022 के खत्म होने तक 52 करोड़ का आंकड़ा पार करने का अनुमान है।
2020 में चीन और अमेरिका में गेमर की संख्या में क्रमशः 8.7 % और 0.8 % की दर से इज़ाफ़ा हुआ। भारत में 28% की वृद्धि दर दर्ज की गई। गेमर की संख्या और इसके कारोबार के मामले में चीन विश्व में अव्वल रहा, वहां 65 करोड़ गेमर हैं। अमेरिका में 16.6 करोड़ हैं, पर कारोबार में यह दूसरे पायदान पर खड़ा है। इसके बाद जापान और दक्षिण कोरिया आता है। देश में आनलाइन गेम डेवलपमेंट के कोई 100 सेंटर काम कर रहे हैं।
गेमिंग उद्योग में रोजगार की अच्छी संभावनाएं दिख रही हैं। गेम डेवलपिंग में डिज़ाइनिंग और पब्लिशिंग का काम नए अवसर दे भी रहा है। युवाओं को गेमिंग उद्योग आकर्षित कर रहा है। देश में कई संस्थानों ने इंजिनियरिंग, प्रबंधन की तरह गेमिंग उद्योग की जरूरतों के अनुरूप अपने यहां बाकायदा पाठ्यक्रम भी शुरू कर दिए हैं। केपीएमजी की शोध रिपोर्ट के अनुसार 2020,अगस्त से 2021 जनवरी तक भारतीय गेमिंग फर्मों में लगभग चार हजार करोड़ रु का निवेश किया गया।
गेमिंग फर्म मोबाइल प्रीमियम लीग ने 2020 में पेगासस टेक वेंचर्स सहित अन्य निवेशकों से 650 करोड़ रु की पूंजी जुटाई। जेट सिंथेसिस ने त्रिवेदी इंजीनियरिंग ऐंड इंडस्ट्रीज़, डीएसजी और जेटलाइन से 288 करोड़ रु जुटाए। क्रिकी में रिलायंस जियो के जरिए मुकेश अंबानी ने पिछले साल पूंजी लगाई। क्रिकी ने दिसंबर में जियो के साथ यात्रा गेम को लांच किया था। क्रिकी अब तक करीब 155 करोड़ रु जुटा चुकी है।
एक अन्य शोध रिपोर्ट के अनुसार देश में 2019 और 2020 के दौरान क्रमशः 17 और 20 निवेश समझौतों के तहत 350 करोड़ रु और 2600 करोड़ रु की धनराशि गेमिंग फर्मों में लगाई गई। ताजा जानकारी मिली है कि इस साल जनवरी-फरवरी में बड़े निवेश समझौतों के तहत तीन कंपनियों ने 790 करोड़ रु की पूंजी जुटाई। ध्यान दिला दें कि इस साल दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला की पूंजी पोषित कंपनी नज़ारा टेकनाॅलाॅजीज़ ने नज़ारा गेमिंग, फैंटसी और स्पोर्ट्स कंटेंट का सृजन करती है। यह मध्य पूर्व अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका सहित 60 देशों में आनलाइन गेमिंग का व्यवसाय करती है। इसी जून में नज़ारा ने मध्यपूर्व-टर्की स्थित मोबाइल गेमिंग-पब्लिशिंग फर्म पब्लिश्मे का अधिग्रहण सौदा किया।
इसके लिए दो बार में 19 करोड़ रु के भुगतान किए गए हैं। 2017 से अब तक नज़ारा का यह छठवां अधिग्रहण है। नज़ारा ने 2019-20 में 247 करोड़ रु का कारोबार किया। जिसमें से 100 करोड़ रु से ज्यादा गेमिंग आय अन्य देशों से हासिल हुई। फ्राॅस्ट ऐंड सुलिवन की रिपोर्ट से खुलासा हुआ कि आनलाइन गेमिंग के धुरंधर बाजारों के पैटर्न पर ही भारतीय गेमर भी हाथ आजमाइश करते हैं। गेमिंग के लिए पर्सनल कंप्यूटर, कन्सोल और मोबाइल फोन का इस्तेमाल होता है।
आंकड़े बताते हैं कि देश में गेमिंग का सबसे बड़ा साधन मोबाइल फोन है। पर्सनल कंप्यूटर पर होने वाली गेमिंग का बाजार 2016 में 8.5 करोड़ डॉलर, 2018 में 9.1 करोड़ डॉलर और 2020 में 9.8 करोड़ डॉलर रहा। इन्हीं वर्षों में कन्सोल पर होने वाली गेमिंग 19.3 करोड़ डॉलर, 22.3 करोड़ डॉलर और 25.6 करोड़ डॉलर की हुई। जबकि इसी अवधि में मोबाइल फोन पर गेमिंग का ग्राफ 340 % बढ़ा, यह साल 2016 में 27.2 करोड़ डॉलर, 2017 में 38.4 करोड़ डॉलर, 2018 में 57.2 करोड़ डॉलर, 2019 में 83.6 करोड़ डॉलर से बढ़ता हुआ 2020 में 129 करोड़ डॉलर से अधिक हो गया, और 2023 तक 310 करोड़ डॉलर अर्थात 22 हजार करोड़ रु के स्तर पहुंचने का अनुमान शोध रिपोर्टों में लगाया गया है।
पर्सनल कंप्यूटर और कंसोल को शामिल करने पर 2023 तक भारत में आनलाइन गेमिंग का समग्र बाजार 25 हजार करोड़ रु के स्तर पर पहुंचने की पूरी संभावना है। कुछ ही महीनों में 5 जी की लांचिंग होने दीजिए, भारतीय गेमरों की गेमिंग की ऊंची उड़ान तो तब टेक आॅफ करेगी।
प्रणतेश नारायण बाजपेयी