लखनऊ। गाँव में बदलाव की बयार के साथ ही हर किसी के जीवन में खुशहाली लाने के लिए मॉडल गाँव बनाने की अनूठी पहल पर गंभीरता से विचार चल रहा है। इसके पीछे सोच यह है कि अगर देश को विकसित और खुशहाल बनाना है तो सबसे पहले अपने गाँवों का चतुर्दिक विकास करना होगा क्योंकि सही मायने में भारत गाँवों में ही बसता है। इसी सोच को साकार करने और इसे सही मायने में धरातल पर उतारने में आईसीआईसीआई फाउंडेशन के सहयोग से पूरी एक टीम दिन-रात काम कर रही है। इस नवप्रयोग के प्रेरक (मेंटर) आईएएस अधिकारी हीरा लाल ने भी एक खाका तैयार करने में जुटे हैं, जो कि गाँव के लोगों को तरक्की की राह दिखा सके।
श्री हीरा लाल का कहना है कि बांदा के जिलाधिकारी के कार्यकाल के दौरान वह मॉडल गाँव बनाने की पहल कर चुके हैं। जिसके सकारात्मक परिणामों से उत्साहित होकर उस नवप्रयोग को अब पूरे प्रदेश में लागू करने को कुछ संगठन और अधिकारी आगे आये हैं। इस पहल के तहत सर्वप्रथम गाँव घोषणा पत्र (विलेज मेनिफेस्टो) के माध्यम से लोगों को इस सोच के बारे में अवगत कराना है। जिसके जरिये गाँव में विकास का एजेंडा स्थापित कर और चेंज मेकर तैयार कर गाँव का सर्वांगीण विकास किया जा सके। इस तरह अभी पूरा जोर हर गाँव में विलेज मेनीफेस्टो को हर सदस्य तक पहुंचाने, हर गाँव में विलेज चेंज मेकर तैयार करने और हर गाँव स्तर पर किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाने पर पूरा जोर है।
क्या है गाँव घोषणा पत्र : गाँव घोषणा पत्र का मुख्य उद्देश्य इसके माध्यम से गाँव में विकास का एजेंडा स्थापित कर और चेंजमेकर तैयार कर गाँव का सर्वांगीण विकास करना है। इसके अलावा इसमें उन मूलभूत सुविधाओं को शामिल किया गया है, जो उसे मॉडल गाँव की श्रेणी में शामिल कर सके और गाँव खुशहाली ला सके।
इन प्रमुख बिन्दुओं में शामिल हैं: गाँव की सफाई व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त हो, गाँव में कोई भी अनपढ़ न हो, इलाज- दवा के साथ योगा की भी हो व्यवस्था, बिजली भरपूर मात्रा में मिले खासकर सोलर वाला गाँव बनाने पर जोर हो, पेयजल व सिंचाई के लिए पानी की अच्छी व्यवस्था हो, रोजगार यानि सभी हाथ को काम पर जोर दिया जाए, गाँव में संवाद तंत्र यानी आधुनिक इंटरनेट की सुविधा हो, उत्पादों को बेचने की भरपूर और अच्छी व्यवस्था हो। गाँव में जैविक उत्पाद को प्राथमिकता मिले, गाँव को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर हो, विवाद रहित खुशहाली वाले गाँव की सोच विकसित की जाए, गाँव का नियम और लेखा का रखरखाव हो, गाँव का बायोडाटा-प्रोफाइल तैयार किया जाए, किसान उत्पादक संगठन (ऍफ़पीओ) बनाने पर जोर हो, प्रवासी ग्रामवासी संपर्क व सहायता की व्यवस्था हो और कुपोषण को ख़त्म करने पर जोर हो। इसके अलावा वृक्षारोपण (मेड़ पर पेड़) पर जोर हो, खेल, कला व संस्कृति के विकास का ध्यान रखा जाए, महिला विकास पर जोर हो, प्रतिभा चयन व विकास की व्यवस्था हो, ग्राम समस्या और समाधान पर मंथन हो, देश व प्रदेश सरकार के कार्यक्रमों को गाँव में मजबूती के साथ लागू करना और गाँव स्थापना दिवस के आयोजन की व्यवस्था हो। इतनी व्यवस्था यदि गाँवों में कर दी जाए तो वह समूर्ण मॉडल गाँव का दर्जा प्राप्त कर सकता है।
बदलाव लाने वालों की कहानी करेगी प्रेरणा का काम : देश के विभिन्न हिस्सों में इस तरह के मॉडल गाँव बनाने की दिशा में अग्रसर कुछ युवाओं और किसानों की प्रेरक कहानियों का भी इसके लिए सहारा लिया जा रहा है। इसी तरह की एक प्रेरक लघु फिल्म है गुजरात के पुनसारी गाँव के हिमांशु पटेल द्वारा अपने गाँव को मॉडल गाँव बनाने के लिए किये गए प्रयासों के बारे में, जिसके जरिये भी लोगों को इस पहल से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इसमें बताया गया है कि हिमांशु पटेल का गाँव आज देश का एक ऐसा गाँव बन गया है। जिसे देखने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से लोग पहुँच रहे हैं। हिमांशु की कहानी हर किसी को प्रेरित करने वाली है कि अगर हम अपने गाँव को मॉडल गाँव बनाने की ठान लें तो हमें कोई भी ताकत उससे रोक नहीं सकती। इसी तरह से उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के देवी शरण वर्मा द्वारा केले की खेती से गाँव में खुशहाली लाने की कहानी भी लोगों के लिए प्रेरणा का काम कर रही है।