जानिए आखिर कैसे करें शरीर के आतंरिक अंगों की सफाई

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शरीर को आंतरिक रुप से स्वच्छ रखकर हम विभिन्न बीमारियों से बचाव कर सकते हैं। साथ ही साथ निरोगी और दीर्घ जीवन के मार्ग पर बिना किसी अस्वस्थता के आगे बढ़ सकते हैं। यह बात देश की जानी-मानी योग और प्राकृतिक चिकित्सका डॉ रजनी पोरवाल ने बताई। डा रजनी पोरवाल श्रीनाथ आयुर्वेद चिकित्सालय भगवत दास घाट कानपुर की मुख्य चिकित्सका के रूप में दुखी निराश परेशान रोगियों की पिछले 25 वर्षों से जनसेवा का कार्य कर रही हैं।

सुबह-सुबह मुंह कड़वाना माइग्रेन या उल्टी आना : सुबह उठकर जी मिचलाना खट्टी खट्टी कड़वी कड़वी ढकारे होना या मुंह में खट्टा पानी आ जाए सीने में जलन हो और खाना खाने के बाद पेट में दर्द और गुड़गुड़ाहट होती है तो यह स्टमक की पाचन शक्ति शिथिलता का प्रतीक है। जब हमारी पाचन ग्रंथियां, लिवर, पेनक्रियाज आदि कमजोर और अशक्त होने लगती हैं, पाचन तंत्र कमजोर हो जाता हैं।

बदपरहेज ही इस बीमारी का मूल कारण है : हम स्वाद लोलुपता में निरंतर पाचन ग्रंथियों की पाचन करने की ताक़त से ज्यादा गरिष्ठ मसालेदार भोजन खाते हैं। तब इस प्रकार की समस्या होती है। ऐसे पीड़ितों को मेरा सबसे पहले सलाह यह है कि अपने भोजन को नियंत्रित करें, संयमित करें, संतुलित और सात्विक आहार रोग से बचाव का सर्वश्रेष्ठ उपाय है। अन्यथा जब तक दवाइयां खाते रहेंगे तब तक ठीक रहेंगे जिस दिन दवाइयां बंद करेंगे आपकी समस्या फिर से विकराल रूप में सामने आ जाएगी। इससे बचाव के लिए तली मसालेदार चीजें, जंक फूड, फास्ट फूड को पूरी तरह छोड़ना चाहिए। सख्त परहेज 12 सप्ताह तक करें आप की समस्या जड़ से ठीक हो जाएगी।

जरूरी है 12 सप्ताह तक परहेज : 12 सप्ताह का पूरे निश्चय के साथ परहेज करने के बाद फिर आप अपनी सुविधा अनुसार इस प्रयोग को लंबे समय तक कर सकते हैं। वर्षों से इस बीमारी से जूझ रहे सामान्य नागरिक व्यक्ति सामान्य व्यक्ति की तरह आहार लेते रहें स्वस्थ रहेंगे।

परहेज के साथ करें यह घरेलू उपाय : परहेज के साथ-साथ आप यह घरेलू उपाय भी नियमित रूप से करें। यह घरेलू उपाय आप सालों साल कर सकते हैं। यह उपाय ज्यादा दिन करने से शरीर एवं मन मस्तिष्क पर इससे कोई अहित नहीं होता है। पुराने पित्त प्रकोप के रोगी एसिडिटी अल्सर और माइग्रेन के मरीज को फायदा ही फायदा है। किसी भी प्रकार का आदत नहीं पड़ता और ना ही कोई अन्य दूसरी समस्या या रोग उत्पन्न होता है।

सरल उपाय है यह : आप सुबह सोकर उठने के बाद शौच आदि से निवृत्त होकर खाली पेट 10 ग्राम कच्चा जीरा चबा चबा कर खाने के बाद एक गिलास साधारण पानी घुट घुट कर के पी ले। बच्चों को 5 ग्राम दे बूढ़े व महिलाएं पूरी मात्रा में लें गर्भावस्था में भी इसका सेवन करने से किसी भी प्रकार का अहित नहीं है। यह आमाशय को स्वच्छ करने का प्रभावशाली उपाय है और आमाशय में एकत्र बिना पचे हुए गरिष्ठ भोजन के कणों और अतिरिक्त पित्त यानी एसिड को मलाशय की ओर भेज कर अमाशय को शुद्ध कर देता है।

एसिड से बीमार हुए शरीर को ऐसे दे नई ताकत : गुलाब के फूल की पंखुड़ियों और पुदीने की पत्तियों को छाया में सुखा लें। अब दोनों पत्तियों को बराबर बराबर मात्रा में लेकर पीसकर पाउडर बनाकर रख ले। इस पाउडर में बराबर मात्रा में मोटी सोफ का पाउडर मिला दीजिए। इस प्रकार तीनों चीजों के मिश्रण से यह औषधि पाउडर घर पर आसानी से बन जाता है। इस औषधि पाउडर को एक-एक चम्मच सुबह नाश्ता करने के बाद और रात्रि में खाना खाने के बाद सेवन करने से पित्त प्रकोप शांत होता है। अतिरिक्त मात्रा में एसिड बनना स्थाई रूप से ठीक हो जाता है। बरसों से पित्त की बीमारी से पीड़ित से परेशान हताश निराश भी व्यक्ति पूर्ण आरोग्यता को प्राप्त होता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि गुलाब के फूल की पत्तियों में अनेक पौष्टिक तत्वों के साथ-साथ लौह तत्व भारी मात्रा में होता है। यह शरीर की कमजोरी और हिमोग्लोबिन को सामान्य बनाता है। वही पुदीने की पत्तियां पाचक ग्रंथियों विशेषकर लीवर और पेनक्रियाज को ताकत देते हैं और उनकी विकृति को ठीक करके की कार्यप्रणाली को सशक्त व सामान्य बनाने में सहयोग देती है। पुदीना की पत्ती आंतों की बिलाई के मोमेंट को सामान्य बनाकर खाना खाने के बाद पेट में ऐठन पेट का फूलना और गैस बनना जैसी समस्याएं पूरी तरह ठीक कर देता है। इस प्रयोग को नियमित रूप से करने पर किसी भी प्रकार का कोई आदत या शरीर को नुकसान नहीं होता। आप इसे नियमित रूप से बरसों बरस तक कर सकते हैं और पेट की लीवर की विभिन्न बीमारियों के शिकार होने से बच सकते हैं।